अडानी ग्रुप का सिंगरौली कोल माइन प्रोजेक्ट आया हाईकोर्ट की रडार में, स्वतः संज्ञान मामले के साथ होगी सुनवाई

मध्यप्रदेश में पेड़ कटाई पर रोक लगी है। सिंगरौली में अडानी ग्रुप के धिरौली कोल माइन प्रोजेक्ट के लिए लाखों पेड़ों की कटाई का मामला हाईकोर्ट में है। 17 दिसंबर की सुनवाई में जनहित याचिका प्रस्तुत की गई।

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Neel Tiwari
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JABALPUR. पूरे मध्यप्रदेश में पेड़ कटाई पर रोक लगी है। सिंगरौली में अडानी ग्रुप के धिरौली कोल माइन प्रोजेक्ट के लिए लाखों पेड़ों की कटाई का मामला हाईकोर्ट पहुंच चुका है।

17 दिसंबर को हुई सुनवाई में यह सामने आया कि इस मामले में एक नई जनहित याचिका पहले से ही दायर हो चुकी है। इसके बाद स्वतः संज्ञान मामले में हस्तक्षेपकर्ता अधिवक्ता मोहित वर्मा ने अपना आवेदन वापस ले लिया। हालांकि, उन्होंने हाईकोर्ट से यह स्वतंत्रता ली कि वह इस पूरे मामले को लेकर NGT में शिकायत दर्ज कर सकेंगे।

बैढ़न जनपद पंचायत अध्यक्ष ने दायर की PIL 

सिंगरौली की बैढ़न जनपद पंचायत अध्यक्ष सविता सिंह द्वारा यह जनहित याचिका दायर की गई है। उनकी ओर से अधिवक्ता ब्रह्मानंद पाठक ने कोर्ट के सामने तथ्य रखे।

साथ ही कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी अडानी ग्रुप के कोल माइनिंग प्रोजेक्ट के लिए 6 लाख पेड़ों की कटाई हो रही है। उन्होंने कहा कि जिस क्षेत्र में कटाई हो रही है, वहां आम नागरिकों और मीडिया की एंट्री नहीं है। इससे यह जानना भी लगभग असंभव हो गया है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद वास्तविक स्थिति क्या है। कोर्ट ने इसे गंभीर विषय मानते हुए जनहित याचिका को मुख्य याचिका से जोड़ दिया।

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अडानी ग्रुप की स्टारटेक मिनरल्स को बनाया प्रतिवादी 

इस मामले की अहम बात यह है कि अब तक पेड़ कटाई से जुड़े suo-moto प्रकरण में कोई निजी कंपनी प्रतिवादी नहीं थी। सविता सिंह की याचिका में अदानी के स्टारटेक मिनरल रिसोर्सेस प्राइवेट लिमिटेड को प्रतिवादी बनाया गया है। याचिका में मांग की गई है कि सिंगरौली में पेड़ कटाई पर पूरी तरह रोक लगाई जाए।

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पहले ही प्रदेश में पेड़ कटाई पर है रोक 

मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिविजनल बेंच ने की। इसमें यह दोहराया कि पहले से ही पूरे प्रदेश में पेड़ कटाई पर रोक लगी हुई है। केवल वहीं कटाई हो सकती है, जहां NGT द्वारा गठित कमेटी या ट्री ऑफिसर की अनुमति हो।

कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सुझाव दिया कि यदि आदेश के बावजूद कटाई हो रही है, तो वे निगरानी करें और अवमानना याचिका दायर करें। इन टिप्पणियों से स्पष्ट संकेत मिला कि अदानी ग्रुप की कानूनी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

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नए पेड़ लगा रही सरकार

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्वतः संज्ञान की याचिका पर भी सुनवाई की। सरकार ने बताया कि ट्रांसप्लांट किए जा रहे पेड़ों की जियो टैगिंग की जा रही है। पेड़ लगाने वाली जगहों की जानकारी भी कोर्ट को दी गई। जब कोर्ट ने नई जगहों को देखा, तो सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि पेड़ लगाने वाली जगहों पर पहले से ही घना जंगल है। कोर्ट ने अगली सुनवाई में सरकार से यह जवाब तलब किया कि कितनी जगहों पर पेड़ कटाई की अनुमति दी गई है।

एनजीटी के अधिकार क्षेत्र पर सरकार ने उठाया सवाल

सरकार ने यह आपत्ति उठाई कि NGT कमेटी या ट्री ऑफिसर को पेड़ कटाई की अनुमति देने का अधिकार है। NGT कमेटी के पास केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित वन भूमि में अनुमति देने का अधिकार नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा कि NGT कमेटी को पूरे मध्यप्रदेश में अनुमति देने का अधिकार है। यदि ऐसा नहीं है, तो कोर्ट ने अपने आदेश से रोक लागू कर दी है। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि वह NGT से निवेदन करे। इसके बाद ही आगे विचार किया जाएगा।

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एनजीटी कमेटी दे रही पेड़ कटाई की अनुमति

हस्तक्षेपकर्ता हरप्रीत गुप्ता ने आपत्ति उठाई कि NGT की कमेटी की बैठकों में सभी सदस्य उपस्थित नहीं होते। आदेशों पर सभी सदस्य के हस्ताक्षर भी नहीं होते। कोर्ट ने कहा कि NGT हाईकोर्ट के क्षेत्राधिकार में नहीं आता। इस तरह की आपत्तियों के लिए संबंधित पक्ष को NGT के पास जाना होगा।

सिंगरौली का धिरौली कोल ब्लॉक

सिंगरौली के धिरौली कोल ब्लॉक में कई हजार हेक्टेयर वन भूमि डायवर्ट की जा रही है। जहां 5.7 से 6 लाख पेड़ काटे जाने का प्रस्ताव है। करीब 620 परिवारों के विस्थापन की स्थिति बन रही है। इस परियोजना को लेकर आदिवासी विरोध, पुलिस बंदोबस्त, धारा 144 और विधानसभा में वॉकआउट ने इसे बड़ा पर्यावरणीय और राजनीतिक मुद्दा बना दिया है। अब जब यह मामला सीधे हाईकोर्ट की सख्त निगरानी में आ चुका है। इस मामले की अगली सुनवाई 5 जनवरी को तय की गई है। आने वाले समय में अदानी ग्रुप के लिए भी यह प्रकरण मुसीबत खड़ी कर सकता है।

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