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Photograph: (thesootr)
JABALPUR. भोपाल में पेड़ कटाई के मामले में एमपी हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। इस बीच कोर्ट ने सागर कलेक्टर कार्यालय में एक हजार पेड़ काटे जाने के मामले का भी संज्ञान ले लिया है। कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि आप खुश नसीब हैं जो मध्य प्रदेश में रहते हैं। पेड़ों की कटाई की अनुमति देने वाले अधिकारी प्रदूषित प्रदेशों में रहें। उन्हें पेड़ों के महत्व का एहसास होगा।
पेड़ों की कटाई ग्रीन कवर का विनाश
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की डिविजनल बैंच ने 26 नवंबर को सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ थे। अदालत ने राज्य सरकार, रेलवे और प्रशासनिक अधिकारियों से पूछताछ की। अदालत ने कहा कि पेड़ों की कटाई "ग्रीन कवर का विनाश" है। यह विकास नहीं हो सकता। भोपाल में पेड़ों की कटाई पर रोक बरकरार रखी गई। कोर्ट ने 7 वरिष्ठ अधिकारियों को तलब किया। पश्चिम मध्य रेलवे के महाप्रबंधक की जगह डीआरएम भोपाल पेश हुए।
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पेड़ों के ट्रांसप्लांटेशन के तरीके पर कोर्ट नाराज
सरकार ने कोर्ट को बताया कि भोपाल में 244 पेड़ों में से 112 को पुनर्स्थापित किया गया है। इसकी तस्वीरें कोर्ट के सामने पेश की गईं। लेकिन तस्वीरें देखकर कोर्ट भड़क उठा। कोर्ट ने टिप्पणी की ऐसे ट्रांसप्लांटेशन से पेड़ नहीं बचते, मर जाते हैं। बताइए उस अधिकारी का नाम जिसने इसे ट्रांसप्लांटेशन कहा है।
अदालत ने कहा कि 50-60 साल पुराने पेड़ों को काटना गलत है। नए पेड़ उपयोगी बनने में उतना ही समय लेंगे। ग्रीन कवर को नष्ट कर, इसे विकास कहना गलत है।
सुनवाई के दौरान यह तथ्य सामने आया। NGT के निर्देशों के बावजूद पेड़ कटाई की अनुमति दी गई। गजेटेड फॉरेस्ट ऑफिसर और नगरीय निकाय आयुक्त को यह अधिकार मिला। उन्होंने यह अधिकार अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को सौंप दिया। यह नियमों के विरुद्ध है। कोर्ट ने इसे गंभीर लापरवाही कहा।
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8000 पेड़ काटने के आरोप पर रेलवे घिरा
कोर्ट ने रेलवे से पूछा कि वंदे भारत ट्रेन के शेड के लिए 8000 पेड़ों की कटाई की जानकारी सामने क्यों आई। रेलवे ने बताया कि 435 बबूल के पेड़ काटे गए। यह पेड़ नेशनलाइज्ड प्रजातियों की सूची में नहीं आते। इसलिए उनकी कटाई के लिए अनुमति जरूरी नहीं थी।
इस पर कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताई है। कोर्ट ने कहा कि गाइडलाइन प्रस्तुत करें जिसमें लिखा है कि आप पेड़ काटने से पहले अनुमति नहीं लेंगे। रेलवे ने इस संबंध में दस्तावेज दाखिल करने के लिए समय मांगा, जिसे कोर्ट ने मंजूर किया।
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खुशनसीब हैं कि MP में हैं
सुनवाई के दौरान यह मामला भी सामने आया कि सागर कलेक्टर कार्यालय परिसर में लगभग एक हजार पेड़ काटे गए। कोर्ट ने इस पर बेहद सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि पेड़ों की कटाई की परमिशन देने वाले अधिकारी प्रदूषित प्रदेशों में कुछ दिन रहकर देखें। आप खुशकिस्मत हैं कि मध्यप्रदेश की हरियाली और स्वच्छ हवा आपको मिल रही है। कुछ दिन प्रदूषण वाले राज्यों में रहकर देखें, तब शायद पेड़ों की कीमत समझ आएगी। अदालत ने सागर कलेक्टर को नोटिस जारी कर पूछा है कि किसकी अनुमति पर पेड़ काटे गए और कुल कितने पेड़ हटाए गए।
पेड़ काटने का मामला भी उठा
कोर्ट ने कहा कि मध्यप्रदेश में निजी जमीनों पर भी बिना अनुमति पेड़ काटे जा रहे हैं। अदालत ने प्रतिवादियों से पूछा, क्या किसी को अपने घर में लगे 50-60 साल पुराने बरगद के पेड़ को काटने की छूट है?
इसके बाद कोर्ट ने सभी विभागों से विस्तृत एफिडेविट मांगा है। इसमें अब तक कितने पेड़ काटे गए, कितने पेड़ रीलोकेट किए गए और कितने पेड़ बचे हैं इसकी जानकारी देनी होगी। ट्रांसप्लांट किए गए पेड़ों की उम्र और प्रजाति इन सभी विवरणों को शामिल करना होगा।
मध्य प्रदेश में पेड़ कटाई पर रोक
एमपी में पेड़ की कटाईअदालत ने प्रतिवादियों को हलफनामा जमा करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया। कोर्ट ने पूरे मध्य प्रदेश में पेड़ कटाई पर रोक लगाई। पेड़ों की कटाई के लिए एनजीटी की कमेटी से अनुमति जरूरी होगी। अगली सुनवाई 17 दिसंबर 2025 को होगी। हाईकोर्ट ने कड़ा संदेश दिया है कि पेड़ कटाई से ग्रीन कवर और पर्यावरण को नुकसान होगा।
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