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Photograph: (the sootr)
JABALPUR. पर्यावरण संरक्षण को लेकर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक बड़ी पहल करते हुए स्वतः संज्ञान लिया है। मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार लोक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा 488 पेड़ बिना अनुमति काटे गए। पेड़ों की यह कटाई भोपाल के पास भोजपाल मंदिर मार्ग पर की गई। इस रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान (Suo Motu) याचिका दर्ज कर ली है।
एनजीटी और हाईकोर्ट के आदेशों की अनदेखी पर चिंता व्यक्त
रिपोर्ट में यह बताया गया कि पेड़ों की कटाई के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) से अनुमति ली गई। न ही राज्य सरकार द्वारा गठित 9 सदस्यीय समिति या ट्री ऑफिसर से इसकी अनुमति ली। इसके बावजूद ADM, रायसेन द्वारा पेड़ काटने की अनुमति दे दी। अदालत ने इस पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि यह मामला “चौंकाने वाली स्थिति” है। NGT और हाईकोर्ट के बार-बार दिए गए आदेशों के बावजूद पेड़ काटे गए हैं।
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PWD से मांगा विस्तृत हलफनामा, पेड़ों की कटाई पर तत्काल रोक
चीफ जस्टिस सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिविजनल बेंच ने राज्य सरकार सहित PWD को नोटिस जारी करते हुए निर्देश दिया कि विभाग यह बताए कि
अब तक कितने पेड़ काटे जा चुके हैं,
कितने और पेड़ काटे जाने का प्रस्ताव है,
और क्या इस संबंध में राज्य की विशेष समिति या ट्री ऑफिसर से विधिवत अनुमति ली गई है।
साथ ही, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई तक किसी भी पेड़ की कटाई या छंटाई नहीं की जाएगी। अब मध्यप्रदेश प्रोटेक्शन ऑफ ट्रीज़ एक्ट (Urban), 2001 के तहत वैध अनुमति के बाद ही पेड़ कटाई होगी।
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अमल पुष्प श्रोती को नियुक्त किया न्याय मित्र
पर्यावरण संबंधी इस गंभीर मुद्दे पर कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता अमल पुष्प श्रोती को न्याय मित्र(अमिकस क्यूरी) नियुक्त किया है, जो अदालत की सहायता करेंगे। वहीं राज्य की ओर से उप महाधिवक्ता अभिजीत अवस्थी और सरकारी अधिवक्ता अनुभव जैन ने नोटिस स्वीकार किया है।
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अगली सुनवाई 4 नवंबर को
हाईकोर्ट ने मामले को 4 नवंबर 2025 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। साथ ही कोर्ट ने साफ कर दिया है कि पर्यावरण और हरित क्षेत्र से जुड़ी ऐसी घटनाओं को हल्के में नहीं लिया जा सकता, क्योंकि यह सीधे जनहित और प्राकृतिक संतुलन से जुड़ा मामला है। अब मामले की अगली सुनवाई में पीडब्ल्यूडी विभाग हलफनामे के साथ कोर्ट में जवाब देगा।
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