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Jabalpur. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की अखिल भारतीय कार्यकारिणी की वार्षिक बैठक इस बार जबलपुर में हो रही है। बैठक का मुख्य एजेंडा संघ के विस्तार को नई गति देना है।
आरएसएस के राष्ट्रीय प्रचार प्रमुख सुनील अंबेकर ने बताया कि हम देश के हर घर तक संघ की बात पहुंचाने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए अलग-अलग स्तरों पर कार्यक्रम बनाए जा रहे हैं। बैठक में जनसंपर्क अभियान, हिंदू सम्मेलन और सार्वजनिक सभाओं जैसे कार्यक्रमों पर विस्तार से चर्चा होगी।
संघ का लक्ष्य- एक लाख हिंदू सम्मेलन
संघ अपने 100 वर्ष पूरे होने के बाद अब विस्तार के नए चरण में प्रवेश कर रहा है। सुनील अंबेकर ने बताया कि पहली बार पूरे देश में एक लाख हिंदू सम्मेलन आयोजित करने की योजना पर विचार हो रहा है।
पहले चरण में संघ प्रचार सामग्री के साथ घर-घर पहुंचने की योजना बना रहा है। इस दौरान गली-मोहल्लों, छोटे गांवों और मंदिर समितियों से संपर्क किया जाएगा ताकि सभी को जोड़कर सामूहिक हिंदू सम्मेलन आयोजित किए जा सकें।
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विस्तारवादी कार्यक्रमों पर बनेगी रणनीति
संघ के विस्तार के लिए अब व्यक्तिगत संपर्क के साथ सामाजिक संगठनों से जुड़ने की पहल की जा रही है। अंबेकर ने बताया कि छोटे शहरों में हिंदू सम्मेलन होंगे, जबकि बड़े शहरों में संघ प्रमुख मोहन भागवत सार्वजनिक सभाएं करेंगे।
दिल्ली में हुए आयोजन की तरह ही बड़े कार्यक्रम अब मुंबई, कोलकाता और बेंगलुरु में भी होंगे। इसके साथ ही गुरु तेग बहादुर और भगवान बिरसा मुंडा से जुड़े कार्यक्रमों को भी राष्ट्रीय स्तर पर प्रसारित करने की रणनीति तैयार की जा रही है।
कुटुंब प्रबोधन और सामाजिक संरचना पर होगी चर्चा
संघ की बैठक में कुटुंब प्रबोधन एक अहम विषय के रूप में शामिल है। मोहन भागवत ने हाल ही में कहा था कि हिंदू समाज को अपने परिवारों को मजबूत और बड़ा बनाना चाहिए।
बैठक में परिवार, संस्कृति और सामाजिक एकता पर आधारित पंच परिवर्तन विषय पर भी चर्चा की जा रही है। यह पहल समाज में सामूहिकता और सांस्कृतिक एकता को बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
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समसामयिक विषयों पर भी होगी चर्चा
आरएसएस (RSS) की इस बैठक में देश के मौजूदा सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर विचार किया जाएगा। सुनील अंबेकर के अनुसार, संघ चुनावी राजनीति में हस्तक्षेप नहीं करता, इसलिए बिहार चुनाव से इसका सीधा संबंध नहीं है।
हालांकि, बैठक में मथुरा और काशी के धार्मिक विषयों के साथ विदेशी घुसपैठ जैसे राष्ट्रीय चिंताओं पर भी मंथन किया जाएगा। बैठक 30 अक्टूबर से शुरू होकर 1 नवंबर तक चलेगी, जिसके बाद लिए गए निर्णयों की औपचारिक जानकारी साझा की जाएगी।
संघ का फोकस: घर-घर संवाद और सांस्कृतिक एकता
इस साल की बैठक को आरएसएस के विस्तार का ब्लूप्रिंट माना जा रहा है। संघ का फोकस अब संगठन से आगे बढ़कर समाज के हर तबके तक पहुंचने, छोटे संगठनों को जोड़ने और हिंदू समाज को एक सूत्र में पिरोने पर है। मोहन भागवत की मौजूदगी में होने वाली यह बैठक आने वाले वर्ष के सामाजिक एजेंडे की दिशा तय करेगी।
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