कोल परियोजना पर बढ़ा टकराव: सिंगरौली में पेड़ कटाई और विस्थापन को लेकर विरोध प्रदर्शन

सिंगरौली जिले में कोल परियोजना को लेकर भूमि अधिग्रहण और जंगल कटाई का विवाद बढ़ गया है। आदिवासी समुदाय ने आरोप लगाया कि उन्हें बिना अनुमति और पुलिस दबाव में उजाड़ा जा रहा है।

author-image
Ravi Awasthi
New Update
coal project forest

Photograph: (THESOOTR)

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

SINGRAULI/BHOPAL. सिंगरौली जिले में कोल खदान परियोजना को लेकर भूमि अधिग्रहण और जंगल कटाई का विवाद और तेज हो गया है। किसान संघर्ष समिति के नेतृत्व में ग्रामीणों ने कलेक्टर कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। आदिवासी समुदाय ने आरोप लगाया कि वन भूमि डायवर्जन के नाम पर उन्हें बिना अनुमति और पुलिस दबाव में उजाड़ा जा रहा है। 

प्रदर्शनका​री आदिवासियों का आरोप है कि कोल खदान के लिए उन्हें बलपूर्वक उजाड़ा जा रहा है। प्रस्तावित परियोजना के लिए लगभग 14सौ हेक्टेयर वन भूमि के डायवर्जन होना है। इससे 8 गांवों के 600 से अधिक परिवार सीधे तौर पर प्रभावित होंगे। ग्रामीणों का दावा है कि यह क्षेत्र विशेष रूप से संवेदनशील जनजाति समूह (पीवीटीजी) से संबंधित है।

नहीं ली गई ग्राम सभा की अनुमति

प्रदर्शनकारियों ने अपने ज्ञापन में कहा कि,यह भूमि अधिग्रहण इन समुदायों के संवैधानिक अधिकारों,ग्रामसभा की स्वीकृति और पारंपरिक वनाधिकारों का उल्लंघन करता है। प्रशासनिक दबाव में पुलिस की मदद लेकरआदिवासी परिवारों को जबरन उनके घरों से बेदखल किया जा रहा है। धरौली वन क्षेत्र में हजारों की संख्या में वृक्ष काटकर जंगल को उजाड़ा जा रहा है।  

ये खबरें भी पढ़ें...

पन्ना के प्रिंसिपल जज सस्पेंड, हाईकोर्ट की सख्त कार्रवाई से बढ़ी हलचल, विशेष न्यायाधीश को मिली कमान

ग्वालियर-चंबल के बाद अब मालवा- महाकौशल में भी शिक्षक भर्ती में अंकसूचियों का फर्जीवाड़ा

जयराम रमेश भी उठा चुके हैं सवाल

पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश भी कुछ दिन पहले सिंगरौली में कोयला खदान के लिए सरकारी और वनभूमि पर पेड़ कटाई पर सवाल उठा चुके हैं। उन्होंने एक्स पर लिखा कि जंगलों की यह कटाई बिना स्टेज-II फॉरेस्ट क्लियरेंस के की जा रही है। इस मामले में वनाधिकार अधिनियम, 2006 (एफआरए) व पेसा एक्ट  का भी उल्लंघन किया जा रहा है। जबकि कोल खदान वाला  गांव वाले, जिनमें ज्यादातर अनुसूचित जनजाति समुदाय और यहां तक कि एक विशेष रूप से संवेदनशील जनजातीय समूह (पीवीटीजी) शामिल हैं।

बैगा परियोजना में शामिल करने की मांग

इधर,जिले के बैगा आदिवासियों ने भी रैली निकालकर सिंगरौली व सीधी को बैगा परियोजना में शामिल करने की मांग की। रैली में बड़ी तादाद में बैगा समाज के लोग शामिल रहे। 

coal-project

coal-project

ये खबरें भी पढ़ें...

मध्यप्रदेश की वनभूमि पर बढ़ता अतिक्रमण, विपक्ष ने सरकार पर लगाए गंभीर आरोप

इंदौर प्रशासन ने SIR के लिए शुरू की नई पहल, उद्योगपतियों, आईटी एक्सपर्ट के साथ बैठक

जहां पेड़ कटाई, वहां आबादी नहीं:कलेक्टर

दूसरी ओर जिला कलेक्टर गौरव बैनल का कहना है कि कोल आवंटन क्षेत्र के जिस हिस्से में पेड़ कटाई जारी है,वहां कोई आबादी नहीं है। दूसरे चरण का काम शुरू होने में काफी वक्त है। इससे पहले इस क्षेत्र के रहवासियों का पुनर्वास नियमों के तहत ही किया जाएगा। इसके लिए जगह भी तय हो गई है। 

सभी अनुमतियां मिल चुकी हैं:कांत  

वहीं, महान एनर्जेन लिमिटेड के प्रवक्ता शैलेंद्र कांत ने कहा कि वन मंत्रालय से दूसरे फेज के जिस पर्यावरणीय अनुमति की बात कही जा रही है,वह पहले ही मिल चुकी है। वृक्षों की कटाई  कर जगह उपलब्ध कराने का काम वन विभाग का है।

जयराम रमेश सिंगरौली जंगल कटाई भूमि अधिग्रहण कोल खदान परियोजना
Advertisment