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Photograph: (the sootr)
भोपाल अयोध्या बायपास परियोजना शहर के सबसे महत्वपूर्ण ट्रैफिक रिलीफ प्रोजेक्ट्स में से एक मानी जा रही है। इस परियोजना का उद्देश्य शहर के ट्रैफिक को व्यवस्थित करना और यातायात के लिए एक नया मार्ग प्रदान करना है। बायपास चौड़ीकरण के बाद, यह 10 लेन का रोड बनेगा, जिससे न केवल अयोध्या बल्कि आसपास के जिलों के ट्रैफिक की स्थिति में भी सुधार होगा।
इस प्रोजेक्ट के लिए 9 हजार से अधिक पेड़ों की कटाई की जानी है, लेकिन पेड़ कटाई की अनुमति अब तक नहीं मिली है, जिससे यह प्रोजेक्ट लगातार लेट हो रहा है। इस लेटलतीफी के कारण NHAI पर हर रोज 9 लाख रुपये की पेनल्टी लगाई जा रही है, जिसके कारण यह प्रोजेक्ट शुरू होने से पहले ही बंद होने की कगार पर पहुंच गया है।
मुख्य बातें:
बायपास चौड़ीकरण की योजना: 16 किमी लंबी रोड का चौड़ीकरण 10 लेन में किया जाएगा, जिसमें दो ओर 7.5 मीटर की सर्विस रोड और 1.5 मीटर का शोल्डर शामिल होगा।
फ्लाईओवर और अंडरपास: प्रोजेक्ट में कुल 3 बड़े फ्लाईओवर और करीब 18 अंडरपास होंगे।
लागत और समय सीमा: इस प्रोजेक्ट की लागत ₹836 करोड़ है, और इसे 2 साल में पूरा किया जाना है।
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पेड़ कटाई की अनुमति में देरी का असर
एनएचएआई (National Highway Authority of India) ने इस परियोजना की योजना को पूरी तरह से तैयार कर लिया था, लेकिन 9000 पेड़ों की कटाई की अनुमति मिलने में हो रही देरी ने इस प्रोजेक्ट को संकट में डाल दिया है।
अनुबंध के मुताबिक, पेड़ कटाई की अनुमति 11 अगस्त 2025 तक मिल जानी चाहिए थी, लेकिन अब तक यह अनुमति नहीं मिल पाई है। इसके कारण एनएचएआई पर प्रतिदिन ₹9 लाख की पेनल्टी लग रही है, जो परियोजना के लिए वित्तीय बोझ बढ़ा रही है।
एनजीटी (NGT) की भूमिका
एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) की सख्त शर्तों के कारण पेड़ कटाई की प्रक्रिया अटक गई है। एनजीटी का आदेश है कि यदि किसी शहर में 25 से अधिक पेड़ काटे जाने हैं, तो इसके लिए हाई लेवल कमेटी से अनुमति प्राप्त करनी होगी। इसके परिणामस्वरूप, अयोध्या बायपास परियोजना का पेड़ कटाई प्रस्ताव अब तक मंजूरी के लिए अटका हुआ है।
बायपास चाैड़ीकरण और पेड़ कटाई अनुमति के मामले को ऐसे समझेंअयोध्या बायपास चौड़ीकरण में देरी: अयोध्या बायपास के चौड़ीकरण प्रोजेक्ट में 9000 पेड़ों की कटाई की अनुमति में देरी हो रही है, जिससे एनएचएआई पर प्रतिदिन ₹9 लाख की पेनल्टी लग रही है। एनएचएआई की जिम्मेदारी: अनुबंध के अनुसार, पेड़ कटाई की अनुमति लेना एनएचएआई की जिम्मेदारी थी, लेकिन इसकी मंजूरी में देरी ने प्रोजेक्ट को प्रभावित किया है। एनजीटी का आदेश: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने आदेश दिया कि 25 से अधिक पेड़ों की कटाई के लिए उच्च स्तरीय समिति से अनुमति आवश्यक है, जिसके कारण अनुमति में देरी हो रही है। प्रोजेक्ट का संभावित लाभ: चौड़ीकरण के बाद, यातायात का समय घटेगा, जाम की समस्या कम होगी और 20 लाख आबादी को लाभ होगा, साथ ही ब्लैक स्पॉट्स का समाधान होगा। सिटी फॉरेस्ट डेवलपमेंट: पेड़ कटाई के बदले एनएचएआई ने अयोध्या बायपास क्षेत्र में सिटी फॉरेस्ट डेवलप करने का प्रस्ताव दिया है, साथ ही पौधरोपण भी किया जाएगा। |
एनएचएआई और राज्य सरकार का समन्वय
आम तौर पर, एनएचएआई शहरों में काम नहीं करती है, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार की मांग पर इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ था। राज्य सरकार ने एनएचएआई से यह सुनिश्चित करने को कहा था कि परियोजना बिना किसी रुकावट के पूरी हो, लेकिन पेड़ कटाई की अनुमति में देरी ने इस योजना को बुरी तरह प्रभावित किया है।
संभावित फायदे (Potential Benefits)
अयोध्या बायपास के चौड़ीकरण से निम्नलिखित संभावित लाभ होंगे:
समय की बचत: रागिरी से एयरपोर्ट तक का सफर 50 मिनट से घटकर 25 मिनट हो जाएगा।
ट्रैफिक राहत: यह बायपास शहर की 20 लाख आबादी को ट्रैफिक की समस्या से निजात दिलाएगा।
सुरक्षा में सुधार: पूरे रोड पर तीन प्रमुख ब्लैक स्पॉट्स को भी ठीक किया जाएगा, जिससे हादसों की संख्या में कमी आएगी।
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पेड़ कटाई के बदले सिटी फॉरेस्ट
एनएचएआई ने पेड़ कटाई के बदले अयोध्या बायपास के इलाके में सिटी फॉरेस्ट डेवलप करने की योजना बनाई है। इसके अलावा, रोड के सेंट्रल वर्ज और साइड वर्ज पर पौधरोपण भी किया जाएगा, ताकि पर्यावरण पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को संतुलित किया जा सके।
विकल्प नामंजूर तो प्रोजेक्ट निरस्त
यदि अनुमति में और देरी हुई तो एनएचएआई इस प्रोजेक्ट को निरस्त करने पर विचार कर सकता है। प्रोजेक्ट डायरेक्टर, देवांश नुवाल ने कहा, “हमारी पूरी तैयारी है और पेड़ कटाई का सर्वे भी हो चुका है। यदि अनुमति नहीं मिली, तो प्रोजेक्ट निरस्त करने के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं होगा।”