केरवा डैम की जमीन पर अवैध डंपिंग का खुलासा, NGT सख्त– दोषियों से होगी वसूली ,कार्रवाई

मध्य प्रदेश की राजधानी के केरवा डैम क्षेत्र में हो रही अवैध मलबा डंपिंग पर एनजीटी ने सख्त रुख अपनाया है। एनजीटी ने कहा- मलबा तत्काल हटाया जाए और दोषियों से वसूली हो।

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Ravi Awasthi
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भोपाल। राजधानी के केरवा डैम क्षेत्र में हो रही अवैध मलबा और मिट्टी डंपिंग पर अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सख्त रुख अपनाते हुए कार्रवाई के स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए हैं। एक आदेश में एनजीटी ने कहा है कि एफटीएल (फुल टैंक लेवल) क्षेत्र में डाला गया मलबा तत्काल हटाया जाए। साथ ही इसकी लागत उन लोगों से वसूली जाए, जिन्होंने यह गैरकानूनी काम किया है। यह मामला अभी भोपाल स्थित एनजीटी की केंद्रीय पीठ में विचाराधीन है।

मास्टर प्लान की खुली धज्जियां

भोपाल मास्टर प्लान 2005 के अनुसार, केरवा और कलियासोत जैसे जलाशयों के चारों ओर 33 मीटर क्षेत्र को ग्रीन बेल्ट के रूप में सुरक्षित रखा जाना अनिवार्य है। लेकिन, हकीकत इसके उलट सामने आई है। हजारों डंपरों से कोपरा, मुर्रम और काली मिट्टी डालकर जलाशय की जमीन को समतल कर दिया गया। उद्देश्य साफ है- अवैध प्लॉटिंग और निर्माण कार्य।

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4 पॉइंट्स में समझें ये खबर... 

👉 एनजीटी की सख्त कार्रवाई: एनजीटी ने भोपाल के केरवा डैम क्षेत्र में हो रही अवैध मलबा डंपिंग पर सख्त निर्देश जारी किए। मलबा हटाने और दोषियों से वसूली का आदेश दिया गया।

👉 मास्टर प्लान का उल्लंघन: भोपाल मास्टर प्लान 2005 के अनुसार, जलाशय के पास 33 मीटर क्षेत्र को हरित पट्टी के रूप में सुरक्षित रखा जाना चाहिए था, लेकिन अवैध प्लॉटिंग और निर्माण कार्य के लिए मलबा डाला गया।

👉 गठित समिति की रिपोर्ट: एनजीटी ने एक समिति बनाई, जिसने 14 जुलाई को निरीक्षण कर 10 फीट तक मलबा डंप होने की पुष्टि की। इस डंपिंग से जलाशय की पारिस्थितिकी और जल संग्रहण क्षमता को खतरा है।

👉 दोषियों की पहचान और सजा: एनजीटी ने संबंधित अधिकारियों को दोषियों की पहचान करने, उनके खिलाफ कार्रवाई करने और पर्यावरणीय हर्जाना वसूलने का आदेश दिया है। अगली सुनवाई 11 अगस्त 2025 को होगी।

एनजीटी की गठित समिति की रिपोर्ट

एनजीटी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए गत 21 अप्रैल को एक संयुक्त समिति गठित की, जिसमें भोपाल कलेक्टर कार्यालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड , मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड  और राज्य वेटलैंड प्राधिकरण के अधिकारी शामिल थे। समिति ने 14 जुलाई को स्थल निरीक्षण कर रिपोर्ट सौंपी, जिसमें एफटीएल क्षेत्र में करीब 10 फीट तक मिट्टी और मलबा डंप पाए जाने की पुष्टि हुई।

हालांकि निरीक्षण के समय डंपिंग बंद थी, लेकिन पहले से पड़े मलबे के प्रमाण स्पष्ट थे, जो जलाशय की पारिस्थितिकी और उसकी जल संग्रहण क्षमता के लिए खतरा बने हुए हैं।

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दोषियों की होगी पहचान और सज़ा

21 जुलाई को एनजीटी ने निर्देश दिए हैं कि भोपाल नगर निगम, जिला कलेक्टर और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मिलकर इस अवैध गतिविधि में शामिल लोगों की पहचान करें, उनके खिलाफ अभियोजन चलाएं और पर्यावरणीय हर्जाना वसूलें। याचिकाकर्ता राशिद नूर खान को भी निर्देशित किया गया है कि वे संबंधित दोषियों की जानकारी प्रस्तुत करें।

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"भोज वेटलैंड" की संवेदनशीलता पर चिंता

एनजीटी ने अपने आदेश में दोहराया कि केरवा डैम सहित भोज वेटलैंड एक रामसर घोषित आर्द्रभूमि क्षेत्र है, जिसकी सुरक्षा करना राज्य सरकार का संवैधानिक दायित्व है। इस पर्यावरणीय अपराध से न केवल कानून का उल्लंघन हुआ है, बल्कि जैव विविधता और राजधानी के जलस्रोत पर भी गंभीर संकट खड़ा हुआ है।

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अगली सुनवाई 11 अगस्त को

एनजीटी ने इस मामले की अगली सुनवाई 11 अगस्त 2025 को तय की है। तब तक सभी संबंधित अधिकारियों को एक्शन टेकन रिपोर्ट जमा करनी होगी, जिसमें बताया जाएगा कि अब तक क्या कदम उठाए गए हैं। प्रकरण में याचिकाकर्ता राशिद नूर की ओर से पैरवी अधिवक्ता हर्षवर्धन तिवारी ने की।

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