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INDORE. इंदौर के वार्ड 58 के कांग्रेस पार्षद अनवर कादरी उर्फ डकैत की गिरफ्तारी से बचने की चाल तो पहले ही फेल हो चुकी है। अब क्राइम ब्रांच की तरफ से एक और बड़ा झटका कादरी को लगा है। उसके सिर पर रखा 10 हजार रुपए के इनाम की राशि को बड़ाकर 20 हजार रुपए कर दी गई है। एडिशनल डीसीपी क्राइम राजेश दंडोतिया ने यह जानकारी दी है।
हाईकोर्ट से मिली फटकार
डकैत ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की जगह रिट पिटीशन दायर कर एफआईआर खत्म करने, उस पर घोषित दस हजार के ईनाम को रद्द करने की मांग के साथ याचिका दायर की थी। इस याचिका पर हाईकोर्ट ने कादरी को फटकार भी लगाई। कादरी पर आरोप है कि उसने हिंदू युवतियों को फंसाने के लिए लव जिहाद के लिए फंडिंग की। वह इसके लिए युवकों को एक लाख, दो लाख रुपए तक देता था, ताकि वह इनके साथ लव जिहाद करें, उनसे शादी करें।
हाईकोर्ट में कादरी ने कार्रवाई को राजनीतिक दबाव बताया
हाईकोर्ट इंदौर में कादरी ने याचिका दायर कर अपने ऊपर दर्ज बाणगंगा थाने में दर्ज एफआईआर 800/2025 को राजनीतिक दबाव में होना बताया। कादरी के अधिवक्ता ने कहा कि विविध राजनीतिक दबाव ग्रुप के कारण यह कार्रवाई हुई है। डीसीपी जोन 3 द्वारा घोषित किए दस हजार के ईनाम की कार्रवाई भी गलत हुई है। इन्हें रद्द किया जाए।
शासन की ओर से रखी गई यह बात
इस पर शासन की ओर से बात रखी गई कि यह याचिका गिरफ्तारी से बचने के लिए लगाई गई है। पूरी कार्रवाई के दौरान कादरी जांच के लिए आए ही नहीं, इसके चलते ईनाम घोषित हुआ है। उन्होंने किसी भी जांच में कोई सहयोग नहीं किया और ना ही थाने पर पेश हुए।
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हाईकोर्ट ने लगाई फटकार
सभी तर्क सुनने के बाद हाईकोर्ट जस्टिस प्रणय वर्मा ने याचिका खारिज कर दी। साथ ही कहा कि इस याचिका में जिस तरह से कहा गया है कि कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने के निर्देश दिए जाएं, इससे ही पता चलता है कि यह याचिकाकर्ता द्वारा रिट याचिका के रूप में पेश की गई जमानत याचिका के सिवा कुछ नहीं है। इसकी निंदा की जाना चाहिए। उधर बताया जा रहा है कि कादरी अब गिरफ्तारी से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहा है।
संभागायुक्त के पास चल रही पार्षदी खत्म करने की कार्रवाई
कांग्रेस पार्षद अनवर कादरी की पार्षदी खत्म करने के लिए महापौर पुष्यमित्र भार्गव द्वारा इस संबंध में 20 जून को संभागायुक्त दीपक सिंह को पत्र लिखा गया था। इस मामले में अब प्रक्रिया शुरू हो गई है। संभागायुक्त सिंह ने इस संबंध में कलेक्टर आशीष सिंह और पुलिस आयुक्त संतोष सिंह से प्रतिवेदन मांगा हुआ है।
सीएम बोले पकड़ो उसे, अभी तक फरार
सीएम डॉ. मोहन यादव ने इंदौर दौरे के दौरान 19 जून को कहा था कि डकैत हो या उसका बाप छोड़ेंगे नहीं। अधिकारियों का कहा है जहां भी जैसे हो पकड़ो। बाद में पुलिस ने फरार कादरी पर10 हजार का ईनाम घोषित किया और हाल ही में कलेक्टर ने रासुका भी लगाई है। लेकिन अभी तक वह पुलिस की पकड़ से दूर है।
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यह रिपोर्ट मांगी हुई है संभागायुक्त ने
संभागायुक्त सिंह ने पत्र में लिखा है कि पार्षद पद से वार्ड 58 के पार्षद अनवर कादरी को हटाए जाने के लिए महापौर द्वारा पत्र लिखा गया है। कादरी के खिलाफ एफआईआर हुई है और महापौर द्वारा पद से हटाए जाने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। इस संंबंध में पार्षद मामले में सूक्ष्मता से जांच कराकर पूर्व के प्रकरण आदि का भी डिटेल देते हुए नगर पालिक एक्ट 1956 के तहत आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रतिवेदन/अभिमत शीघ्र भेजा जाए।
नियम के तहत पार्षदी खत्म करने का अधिकार
महापौर द्वारा जो पत्र लिखा गया था इसमें इसमें कादरी को देशद्रोही और आपराधिक प्रवृत्ति का बताया गया है। पार्षदी से हटाए जाने के मामले में नगर निगम एक्ट 1956 की धारा 19 के तहत संभागायुक्त को सीधे अधिकार है। लेकिन इसी धारा 19(2) के तहत उनके द्वारा पहले पार्षद कादरी को नोटिस जाएगा कि क्यों ना आपकी पार्षदी खत्म कर दी जाए। इस पर कादरी से जवाब लिया जाएगा। जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर पार्षदी खत्म होगी। उल्लेखनीय है कि द सूत्र ने ही इस मामले में कादरी के सभी 19 अपराधों का रिकार्ड प्रकाशित किया था और बताया था कि उज्जैन में डकैती केस से उसका उपनाम डकैत हो गया था।
धारा 19 - पार्षदों को हटाने के लिए यह है नियम(1) संभागीय आयुक्त किसी भी समय किसी निर्वाचित पार्षद को हटा सकता है, यदि: (क) संभागीय आयुक्त की राय में पार्षद का बने रहना जनता या निगम के हित में वांछनीय नहीं है; (क-1) यह पाया जाता है कि पार्षद उस आरक्षित श्रेणी से संबंधित नहीं है जिसके लिए सीट आरक्षित थी (म.प्र. अधिनियम संख्या 29, 2003 द्वारा जोड़ा गया); या (ख) निगम, कुल पार्षदों की कम से कम दो-तिहाई संख्या द्वारा समर्थित प्रस्ताव द्वारा, कर्तव्य में कदाचार या अपमानजनक आचरण के आधार पर हटाने की सिफारिश करता है। (2) संभागीय आयुक्त हटाने के आदेश में यह भी निर्दिष्ट कर सकता है कि पार्षद किसी भी निगम में पांच वर्ष तक सेवा करने के लिए पात्र नहीं होगा। हालांकि, कोई भी निष्कासन आदेश या संकल्प तब तक प्रभावी नहीं होगा जब तक कि पार्षद को यह बताने का उचित अवसर न दिया जाए कि उन्हें हटाने की सिफारिश क्यों न की जाए। |
कादरी राज्य सरकार को कर सकेंगे अपील
नियम 19 की धारा 3 में इस आदेश के खिलाफ अपील के भी प्रावधान है। इसके तहत उपधारा (1) या (2) या धारा 18 के तहत पारित कोई भी आदेश, आदेश दिए जाने की तारीख से 30 दिनों के भीतर राज्य सरकार के समक्ष अपील योग्य है।
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महापौर ने यह लिखा था पत्र में
इंदौर महापौर भार्गव ने पार्षद भारत रघुवंशी के पत्र का हवाला दिया है। महापौर ने पत्र में लिखा है कि रघुवंशी जो पार्षद व अपील समिति सदस्य है उन्होंने कादरी के संबंध में एफआईआर व अपराध संबंधी अन्य दस्तावेज भेजे हैं। इससे साफ दिखता है कि कादरी देशद्रोही और आपराधिक प्रवृत्ति के हैं। वार्ड 58 के पार्षद कादरी द्वारा लव जिहाद को बढ़ावा देने के लिए संप्रदाय विशेष के युवकों को फंडिंग भी दी गई। वह अभी फरार है और पुलिस ने दस हजार का ईनाम घोषित किया है। ऐसे में उन्हें मप्र नगर पालिक एक्ट 1956 के तहत पार्षद पद से हटाया जाए।
कांग्रेस कादरी के बचाव में उतरी
उधर, 19 अपराधों से लबरेज कादरी को बचाने में कांग्रेस जुटी है। निगम नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने इसे बीजेपी की साजिश बताया। वहीं प्रवक्ता प्रमोद दिवेदी ने कहा कि अभी कादरी को कोर्ट ने सजा नहीं दी है, ऐसे में महापौर जो खुद कानून के जानकार वह इस तरह से पत्र लिखकर मांग कैसे कर सकते हैं। इसके साथ ही बीजेपी के पार्षद एमआईसी मेंबर रहते हुए जीतू जाटव उर्फ यादव के कांड पर भी कांग्रेस बोल रही है कि उन्हें फिर क्यों इस तरह हटाने के लिए पत्र नहीं लिखा गया, जबकि खुद बीजेपी ने उन्हें पार्टी से बाहर किया था।
कादरी के घर पर अभी बुलडोजर नहीं
उधर कादरी के घर के अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलाने पर फिलहाल रोक लग गई है। इस मामले में निगम ने नोटिस दिया था लेकिन इस नोटिस पर कादरी की ओर से हाईकोर्ट में याचिका लगी और इस पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन वाले बिंदु पर स्टे हो गया।
सीएम बोल चुके डकैत हो या उसका बाप, नहीं बचेगा
सीएम डॉ. मोहन यादव इस मामले में दो दिन पहले ही साफ बोल चुके हैं कि मप्र में कानून की सरकार है बीजेपी की सरकार है, डकैत हो या डकैत का बाप हो कोई नहीं बचेगा। अधिकारियों को कह दिया गया है जहां मिले उसे पकड़ो, जो मर्जी आए करो, लेकिन कानून किसी को तोड़ने नहीं देंगे। वहीं मंत्री कैलाश विजयवर्गीय भी सख्त कार्रवाई की बात कह चुके हैं और यह भी कि कहा था कि कादरी के सिमी से भी संबंध है। बीजेपी नगराध्यक्ष सुमित मिश्रा ने सबसे पहले इसमें कादरी के खिलाफ मोर्चा खोला था और कहा था कि कादरी को पार्षद रहने का अधिकार नहीं है और इसके लिए संभागायुक्त, कलेक्टर, पुलिस आयुक्त सभी को पत्र लिखा था।
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