इंदौर में फर्जी रजिस्ट्री का 100 करोड़ का खेल, दशहरा मैदान तक की संदिग्ध रजिस्ट्री, सब पर होगी FIR

इंदौर में 100 करोड़ रुपए के फर्जी रजिस्ट्री घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। इसमें पंजीयन विभाग और निगम के कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी रजिस्ट्री तैयार कर संपत्तियों पर कब्जा किया गया। इसमें 20 रजिस्ट्री फर्जी पाई गईं और मामला पंढ़रीनाथ थाने भेजा गया।

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Sanjay Gupta
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Photograph: (THESOOTR)

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INDORE. इंदौर में फर्जी रजिस्ट्री के जरिए संपत्ति हड़पने का सौ करोड़ से ज्यादा का खेल सामने आया है। यह खुलासा और इस खेल के होने की भी अलग ही कहानी है। इसमें पंजीयन विभाग के रिकार्ड कीपर, निगम के कर्मचारी और खाली पड़े प्लाट पर कब्जा करने वालों की पूरी सांठगांठ सामने आई है।

इस मामले की कलेक्टर आशीष सिंह ने गोपनीय रूप से जांच कराई तो ऐसी एक नहीं 20 रजिस्ट्रियां फर्जी निकली और कुछ संदिग्ध भी। संदिग्ध रजिस्ट्री में इंदौर के चर्चित दशहरा मैदान के सर्वे नंबर के भी कागज है। अब जांच के बाद कलेक्टर ने इस पूर खेल में शामिल सभी पर केस दर्ज करने के लिए मामला पंढ़रीनाथ थाने भेजा है। 

इस तरह मुंबई के व्यक्ति ने किया खुलासा

इंदौर फर्जी रजिस्ट्री के खेल का खुलासा बीते साल अगस्त-सिंतबर 2024 में मुंबई में रहने वाले हस्तीमल चौकसे की एक शिकायत से हुआ। दअसल चौकसे हर साल एक बार इंदौर आते हैं और निगम में सभी अपने टैक्स भरते हैं।

जब वह बीते साल टैक्स भरने आए तो बताया गया कि जोन 3 में शिवविलास पैलेस का प्लाट तो उनके नाम पर है ही नहीं। इस पर वह चौंक गए। उन्होंने इसकी शिकायत कलेक्टर, निगमायुक्त और पंजीयन विभाग में की। कलेक्टर ने वरिष्ठ जिला पंजीयक दीपक शर्मा को इसकी जांच का जिम्मा दिया। 

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जांच की चौंकाने वाली बात आई

जांच में सामने आया कि इस प्लाट की फर्जी रजिस्ट्री रिकार्ड रूम में मौजूद है और इसी फर्जी रजिस्ट्री के आधार पर निगम में इस प्लाट का नामांतरण दूसरे नाम पर कर लिया गया। इसमें भी कहानी पता चली कि इस प्लाट पर कचरा फैले की शिकायतें हुई तो निगम का कर्मचारी वहां गया तो उसे पता चला यहां कोई नहीं आता सालों से यह खाली है।

इसके बाद उसने सांठगांठ की और इसकी फर्जी रजिस्ट्री रिकार्ड रूम में बनवाकर रखी और फिर इसी आधार पर प्लाट का नामांतरण अपने नाम करा लिया। इसके बाद इसे बेचने की साजिश की गई। इस पर कलेक्टर ने थाने में केस दर्ज कराया। साथ ही दीपक शर्मा को इस तरह के सभी दस्तावेजों की जांच करने के लिए कहा गया।

इसमें पांच सदस्यीय कमेटी बनाई गई और इस सभी रजिस्ट्री की जांच की तो इस तरह की 20 रजिस्ट्री फर्जी पाई गई। इसमें से 18 के दस्तावेज जुटाकर पंढरीनाथ थाने पर केस दर्ज कराने के लिए आवेदन किया गया है। 

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जांच में इन संपत्तियों को लिया गया...

  1. नैनोद का सर्वे नंबर 294/1

     

  2. चौहानखेड़ी सर्वे नंबर 192/1

     

  3. मित्रबंधु नगर सर्वे 1087, 1088, 1092 व अन्य 

     

  4. न्यायनगर प्लाट 208

     

  5. बिहाड़िया सर्वे 3

     

  6. बिहाडिया सर्वे नंबर 82/2, 84

     

  7. गोकन्या महू सर्वे नंबर 72, 190, 191, 181/1, 123, 184, 185

     

  8. पिपल्याहाना सर्वे नंबर 213/1

     

  9. मूसाखेड़ी सर्वे नंबर 461/3, 

     

  10. पालाखेड़ी सर्वे नंबर 1

     

  11. बुढ़ानिया सर्वे नंबर 162/3/1, 161

     

  12. प्लाट 293 उषानगर

     

  13. खजराना सर्वे नंबर 664/2

     

  14. शिवविलास पैलेस प्लाट

     

  15. छोटा बांगड़दा सर्वे नंबर 103/1/35

     

  16. मनोरमागंज प्लाट 481

     

  17. उषा नगर दशहरा मैदान भूखंड 293

     

  18. नीर नगर भूखंड 84

     

  19. छोटा बागंड़दा सर्वे 103/3

     

  20. भिचौली हप्सी के सर्वे नंबर ⅙, 30/1

इस तरह किया गया पूरा खेल

इस पूरे खेल में शामिल लोगों ने पंजीयन विभाग के रिकार्ड रूम प्रभारी मर्दन सिंह रावत के साथ मिलकर खेल किया। इसमें रिकार्ड रूम से असली दस्तावेज हटाकर फर्जी दस्तावेज रख दिए गए।  मूल रजिस्ट्रियां हटाकर फर्जी रजिस्ट्रियां लग दी गई हैं। इसमें फर्जी दस्तावेज थे, अंगूठे के फर्जी निशान थे। जांच समिति को यह मामला अंगुष्ठ पंजी से पकड़ में आया क्योंकि जिन जमीनों और संपत्तियों की फर्जी रजिस्ट्रीयां तैयार की गई उनकी मूल अंगूष्ठ पंजी फाड़ दी गई थी। 

कोरोना काल में बनाए यह दस्तावेज

जांच में सामने आया है कि जिन संपत्तियों और जमीनों की फर्जी रजिस्ट्रीयां तैयार की गई यह सभी फजी रजिस्ट्री कोरोना काल में की गई है जब पंजीयन कार्यालय  बंद था। इस समय का फायदा उठाकर इस कृत्य में लिप्त अधिकारी/कर्मचारियों ने फर्जीवाड़े को अंजाम दिया। फिलहाल 27 शिकायतें प्राप्त हुई थीं, जिनकी जांच हुई।

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