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इंदौर एमजीएम मेडिकल कॉलेज के अधीन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस फॉर आई के डॉक्टर ऋिषी गुप्ता ने एक बड़ी गड़बड़ी कर डाली है। पिछले गुरूवार को उन्होंने सदर बाजार की जिस रेशमा बी का मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया था उसे मोतियाबिंद था ही नहीं। यह खुलासा स्वयं महिला के बेटे ने द सूत्र से बातचीत में किया है। ऑपरेशन के बाद जब महिला की आंख की रौशनी चली गई तो अपनी करतूत पर पर्दा डालने के लिए ताबड़तोड़ कॉर्निया ट्रांसप्लांट किया गया। अब इसमें महिला के परिजन गुरूवार को कलेक्टर को इसकी शिकायत लिखित में करेंगे।
नासूर का करना था ऑपरेशन
सदर बाजार निवासी रेशमा बी के बेटे रेहान खान ने द सूत्र को बताया कि उसकी मां को आंख में नासूर हो गया था। जिसको आई हॉस्पिटल में दिखाया। इसके बाद 17 जुलाई 2025 की शाम को डॉ. गुप्ता ने ऑपरेशन किया था। अगले दिन शुक्रवार की सुबह उसकी मां को सिर में दर्द होने लगा और उल्टियां भी हो गईं। इस पर जब अस्पताल के डॉक्टरों को बताया तो उन्होंने एमवाय अस्पताल जाने का कह दिया। पीड़िता को एमवाय अस्पताल लेकर पहुंचे तो वहां पर उन्हें एक दवाई दी गई और फिर वापस आई हॉस्पिटल में आ गए। तब से अस्पताल के 207 नंबर प्राइवेट वॉर्ड में भर्ती करके रखा गया है। उसके बाद से दो बार और ऑपरेशन कर दिए गए हैं, लेकिन अभी तक मां की आंख की रौशनी वापस नहीं लौटी है।
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विशेषज्ञ बोले, आंख निकालना पड़ सकती है
नेत्र रोग विशेषज्ञों के मुताबिक, आंख के नासूर, जो कि आंख से आंसू निकलने वाली नली होती है (डीसीआर) उसका ऑपरेशन करने के बजाए अगर मोतियाबिंद का ऑपरेशन कर दिया है तो फिर उससे इन्फेक्शन होने की संभावना रहती है। ऐसी स्थिति में आंख की रौशनी जाने का खतरा बना रहता है। क्योंकि कई केस में देखने में आता है कि ऐसी स्थिति में कार्निया (कैलिटोप्लास्टी) भी नहीं लगा पाते हैं। वहीं, अगर आंख की रौशनी चली गई है तो फिर मजबूरन मरीज की आंख ही निकालनी पड़ती है। अगर ऐसा नहीं किया जाता तो फिर इन्फेक्शन के और ज्यादा फैलने का खतरा बना रहता है।
डॉ. श्रीवास्तव ने की सीएमएचओ को लिखित शिकायत
जिला अंधत्व निवारण समिति की अध्यक्ष डॉ. अनुभा श्रीवास्तव ने आई हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ. डीके शर्मा द्वारा की गई बदसलूकी की लिखित में शिकायत सीएमएचओ को की है। सूत्रों के मुताबिक वे इसकी शिकायत नारी उत्पीड़न से संबंधित संगठनों को भी करेंगी। इधर, डॉ. डीके शर्मा का कहना है कि ऑपरेशन के बाद एक दिन के लिए मरीज को घर भेज दिया गया था। उस दौरान कोई इन्फेक्शन हुआ होगा। जिससे कि आंख में परेशानी आई है।
यह हुआ था अभी तक
डॉ. अनुभा श्रीवास्तव ने द सूत्र को बताया कि हमने नियमों का हवाला देते हुए कार्रवाई करने की बात कही तो डॉ. शर्मा ने हमसे बदसलूकी करनी शुरू कर दी। उन्होंने धमकाते हुए अपशब्दों का उपयोग करते हुए कहा कि ये मेरा अस्पताल है। आप होते कौन हो मेरे अस्पताल में घुसने वाले, निकलो यहां से। मैंने उन्हें शांति पूर्वक समझाने की कोशिश की और कहा भी कि हम लोग शासकी कार्य करने आए हैं। हमें अपना काम करने दीजिए, लेकिन वे नहीं माने। वे फिर भी नहीं माने और अपशब्दों का उपयोग करते हुए कहा कि मेरे अस्पताल से बाहर निकलो। मैं सबको देख लूंगा।
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गलत कर दिया था ऑपरेशन
एमजीएम के अधीन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस फॉर आई में सदर बाजार की रहने वाली 40 वर्षीय रेशमा बी अपनी एक आंख में मोतियाबिंद की शिकायत लेकर इलाज के लिए पहुंची थीं। सूत्रों के मुताबिक उन्हें डॉ. ऋषि गुप्ता और उनकी टीम ने चेक किया और ऑपरेशन किया जाना तय हुआ। डॉ. गुप्ता ने 25 लोगों के ऑपरेशन किए। इसमें रेशमा बी भी शामिल थीं। जब उनकी आंख की पट्टी खोली गई तो उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। यह बात उन्होंने वहां मौजूद डॉक्टरों को बताई तो उन्होंने चेक किया। जब काफी देर तक दवाई डाली और बार-बार चेक किया तो डॉक्टरों को होश उड़ गए। क्योंकि महिला की आंख की रौशनी (एन-ड्रॉप) पूरी तरह से जा चुकी थी।
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