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MP NEWS: जबलपुर में लोकायुक्त पुलिस ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की। अतिरिक्त लोक अभियोजक कुक्कू दत्त को रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। मंगलवार शाम साढ़े सात बजे घर से यह गिरफ्तारी हुई। कुक्कू दत्त ने एक मामले में पुनः अपील दायर करने के लिए दस्तावेजों पर हस्ताक्षर के बदले 15 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी।
बिना रिश्वत दिए नहीं हो रहा था काम
इस प्रकरण की शुरुआत तब हुई जब सिविल लाइन निवासी बिहारी लाल रजक ने लोकायुक्त एसपी को शिकायत दी। शिकायत में कहा गया कि शिकायतकर्ता कई दिनों से अतिरिक्त लोक अभियोजक कुक्कू दत्त से मिल रहे थे। वे अपील से संबंधित दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाने के लिए प्रयास कर रहे थे। लेकिन कुक्कू दत्त 15 हजार रुपए रिश्वत की मांग कर रही थी। बिना रिश्वत दिए वह दस्तावेजों पर साइन करने और प्रतिवेदन बनाने को तैयार नहीं थी। आरोपी वकील ने शिकायतकर्ता को धमकी दी थी कि अगर रिश्वत नहीं मिली, तो ऐसा प्रतिवेदन बनाएगी कि अपील नहीं हो पाएगी।
घर पर ही रिश्वत लेते दबोची गई सरकारी वकील
शिकायत का परीक्षण करने के बाद लोकायुक्त ने ट्रैप सेट किया। मंगलवार शाम कुक्कू दत्त ने शिकायतकर्ता बिहारी लाल को अपने घर बुलाया और 15 हजार रुपए की रिश्वत ली। जैसे ही रिश्वत दी गई, लोकायुक्त की टीम ने उन्हें रंगे हाथ पकड़ लिया। इस कार्रवाई के दौरान उप पुलिस अधीक्षक नीतू त्रिपाठी के नेतृत्व में निरीक्षक शशि मर्सकोले, रेखा प्रजापति, नरेश बेहरा और अन्य अधिकारी मौके पर मौजूद थे।
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2022 के केस की अपील के नाम पर मांग रही थी घूस
जानकारी के अनुसार, साल 2022 में बिहारी लाल रजक ने एक अपराध पंजीबद्ध करवाया था। कोर्ट में सुनवाई के बाद आरोपी को दोषमुक्त करार दिया गया था। इस मामले में सरकारी पक्ष से कुक्कू दत्त ने पैरवी की थी। बाद में शासन ने कुक्कू दत्त को कोर्ट में अपील करने के लिए अधिकृत किया। लेकिन उन्होंने अपील की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए प्रार्थी से घूस की मांग कर दी।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज
लोकायुक्त पुलिस ने कुक्कू दत्त के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधन 2018) की धारा 7, 13(1)(B), और 13(2) के तहत मामला दर्ज किया है। गिरफ्तारी के बाद आगे की विधिक कार्रवाई जारी है। सरकारी पद पर रहते हुए रिश्वत लेना गंभीर अपराध है और यदि दोष सिद्ध हुआ तो अभियोजक को लंबी सजा हो सकती है।
न्याय के मंदिर में भ्रष्टाचार का काला साया
यह घटना न केवल प्रशासनिक व्यवस्था, बल्कि न्याय प्रणाली की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े करती है। जब इंसाफ दिलाने का जिम्मेदार ही कानून तोड़ने लगे, तो आमजन में न्याय की उम्मीदें डगमगाने लगती हैं। लोकायुक्त की यह कार्रवाई भ्रष्ट अधिकारियों को कड़ा संदेश देती है कि चाहे पद कुछ भी हो, कानून सभी के लिए समान है।
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लोकायुक्त कार्रवाई