कब तक होगा प्रशासनिक इकाइयों का पुनर्गठन, दौरे पूरे हुए न रिपोर्ट बनी

मध्यप्रदेश की भौगोलिक स्थितियों के आधार पर प्रशासनिक इकाइयों के पुनर्गठन का काम पिछड़ता दिख रहा है। नापजोख और जनता का अभिमत जुटाने के बाद भी आयोग रिपोर्ट तैयार नहीं कर पाया है।

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Sanjay Sharma
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THE SOOTR

administrative units Photograph: (THE SOOTR)

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BHOPAL. मध्यप्रदेश की भौगोलिक स्थितियों के आधार पर प्रशासनिक इकाइयों के पुनर्गठन का काम पिछड़ता दिख रहा है। सालभर से प्रदेश में संभाग, जिला और तहसील मुख्यालयों का नापजोख और जनता का अभिमत जुटाने के बाद भी आयोग रिपोर्ट तैयार नहीं कर पाया है। आयोग के सदस्यों ने शुरूआत में खासी तेजी दिखाई थी जिससे साल के अंत तक प्रदेश में नए जिले, तहसील और विकासखंड अस्तित्व में आने की उम्मीद थी। काम की धीमी गति को देखते हुए आयोग की रिपोर्ट आने में अभी कई महीने और इंतजार करना पड़ सकता है। 

सरकार की कमान थामने के कुछ महीने बाद ही सीएम डॉ.मोहन यादव ने प्रदेश की प्रशासनिक इकाइयों की समीक्षा की थी। उन्होंने प्रशासनिक इकाई यानी जिला, तहसील और विकाखंडों की विसंगति, भौगोलिक स्थितियों में आए बदलाव के आधार पर इनके पुनर्गठन की जरूरत जाहिर की थी। इसके बाद पुनर्गठन आयोग का गठन कर उसे यह काम सौंप दिया गया था। साल 2024 में नवम्बर माह में आयोग ने अधिकारियों की बैठक भी बुलाई थी। भोपाल, सागर और ग्वालियर संभाग में प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा स्थानीय लोगों, जनप्रतिनिधि, कारोबारी तबके से भी रायशुमारी की गई थी। प्रशासनिक इकाइयों के पुनर्गठन की सुगबुगाहट से लोगों में भी उत्साह नजर आया था। 

लोगों को पुनर्गठन का इंतजार 

प्रदेश में साल 1982 में आखिरी बार संभाग, जिला, तहसील और विकासखंडों का पुनर्गठन किया गया था।  उसके बाद कुछ नए संभाग, जिले और तहसीलें बनीं लेकिन ये मूल जिले के विभाजन से बनाए गए थे। इस कारण इन इकाइयों में बदलाव नहीं आया। चार दशक में प्रशासनिक इकाइयों की भौगोलिक स्थिति बदल चुकी है। आबादी, परिवहन के साधन, कनेक्टिविटी के मामले में कई जिले, विकासखंड और तहसील के लोग बदलाव चाहते हैं। कोई नजदीकी जिले से जुड़ने से होने वाले फायदे गिना रहा है तो कोई पुरानी तहसील में शामिल होने की कठिनाइयों का हवाला दे रहा है। पुनर्गठन आयोग की तीन संभाग की बैठकों में ये मुद्दे प्रमुखता से जनता ने उठाए थे। वहीं अधिकारी भी इससे सहमत थे। 

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धीमी गति से पिछड़ गया काम 

नवम्बर 2024 में पुनर्गठन आयोग के सदस्य बनने के बाद सेवानिवृत्त आईएएस मनोज श्रीवास्तव ने लगातार दौरे किए थे। उन्होंने अधिकारियों से भी प्रशासनिक अधिकारियों का ब्यौरा जुटाते हुए वर्तमान परिस्थितियों की समीक्षा की थी। करीब एक माह बाद आयोग में सेवानिवृत्त आईएएस मुकेश शुक्ला को सदस्य बनाया गया। जिससे आयोग में सदस्यों की संख्या दो हो गई। इसके अलावा इस काम में सहयोग के लिए एक अधिकारी भी सचिव के रूप में नियुक्त किए गए थे। हांलाकि सदस्य संख्या बढ़ने के बाद आयोग के काम की गति में तेजी नहीं आ सकी।

बिना अध्यक्ष काम कर रहा आयोग 

प्रशासनिक इकाइयों के पुनर्गठन के लिए सीएम डॉ.मोहन यादव की घोषणा के बाद फरवरी 2024 को कैबिनेट ने पुनर्गठन आयोग को स्वीकृति दी थी। इसके लिए 12 मार्च को नोटिफिकेशन भी जारी किया गया और सदस्यों की नियुक्ति भी की गई। हांलाकि साल भर बाद भी आयोग बिना अध्यक्ष के है। सरकार अब तक पुनर्गठन जैसे महत्वपूर्ण काम के लिए गठित आयोग को अध्यक्ष नहीं दे पाई है। इस वजह से प्रशासनिक इकाइयों का नए सिरे से सीमांकन होने की  रफ्तार बेहद धीमी है। अभी आयोग ने जिले, तहसील, विकासखंडों के पुनर्गठन को लेकर कोई रिपोर्ट सरकार को नहीं सौंपी है। वहीं आयोग को काम करने के लिए कार्यकाल एक साल और बढ़ा दिया है। 

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इन तहसीलों को जिले बनाने की मांग 

मध्यप्रदेश में बीते सालों में कई नए जिले बनाए गए हैं। शिवराज सरकार के कार्यकाल में आगर मालवा, मैहर, पांढुर्णा और निवाड़ी को नया जिला बनाया गया था। वहीं कुछ महीने पहले ही सीएम डॉ.मोहन यादव ने रीवा के मऊगंज को नए जिले का दर्जा दिया है। इनके अलावा सागर जिले के बीना और खुरई, उज्जैन जिले के नागदा, मंदसौर के गरोठ, रतलाम के जावरा, शिवपुरी के पिछोर, देवा के बागली, सोनकच्छ और खातेगांव, गुना के चांचौड़ा, विदिशा के गंजबासौदा, सिवनी के लखनादौन को जिला बनाने की मांग दो दशकों से भी पुरानी है। पुनर्गठन आयोग के सदस्यों के पहुंचने के दौरान भोपाल, सागर, ग्वालियर अंचल के लोगों ने अपनी मांग भी रखी थी।  

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