आयुष चिकित्सा अधिकारी भर्ती के लिए एमपीपीएससी ( MPPSC ) से चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्तियां हाईकोर्ट में लंबित मामले के कारण रुकी हुई थीं। क्योंकि दमोह के संविदा आयुष चिकित्सक ने बोनस अंक न दिए जाने को लेकर मेरिट लिस्ट को कोर्ट में चुनौती दी थी। अब इसका फैसला भी याचिकाकर्ता के पक्ष में आया था।
इस मामले में हाईकोर्ट के फैसले के विरुद्ध सरकार के द्वारा रिट पिटीशन दायर की गई थी। जिसकी सुनवाई के बाद एक्टिंग चीफ जस्टिस की युगल पीठ ने चयनित अभ्यर्थियों को जॉइनिंग देने का रास्ता साफ कर दिया है।
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अनुभव के बोनस अंकों के लिए दायर हुई थी याचिका
दमोह निवासी डॉ. वीरेंद्र अग्रवाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी जिसमें आयुष चिकित्सा भर्ती परीक्षा में बोनस अंक नहीं दी गए थे। वह केंद्र शासन के अधीन संविदा आयुष चिकित्सक के रूप में कार्य कर रहे थे। पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट के सामने यह भी तथ्य रखा गया था की मध्यप्रदेश आयुष विभाग सेवा भारती नियम 2013 के संशोधन 2021 नियम 11(ix) में संविदा कर्मचारियों को भी बोनस अंक दिए जाने का प्रावधान है। जिस पर सरकार ने यह पक्ष रखा था कि याचिकाकर्ता का अनुभव केंद्र सरकार का है और यह बोनस अंक केवल उन कर्मचारियों को मिलेंगे जो राज्य सरकार के अधीन कार्यरत है। इस पर जस्टिस विवेक अग्रवाल ने फैसला करते हुए याचिकाकर्ता को बोनस अंक दिए जाने का आदेश दिया था और PSC को नई मेरिट लिस्ट जारी करने के लिए आदेश किया था
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जल्द ही जारी होंगे नियुक्ति पत्र
अदालत के पिछले फैसले के विरुद्ध शासन ने जबलपुर हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी। इस मामले की सुनवाई 20 सितंबर को एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की युगल पीठ में हुई। शासन की ओर से कोर्ट के समक्ष तथ्य रखा गया कि इस मामले की सुनवाई के चलते 540 आयुष चिकित्सा अधिकारियों की नियुक्ति प्रक्रिया रुकी हुई है। सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने यह आदेश दिया है कि 540 में से 539 पदों पर आयुष चिकित्सा अधिकारियों की नियुक्ति के लिए शासन स्वतंत्र है। एक पद याचिकाकर्ता के लिए रिक्त रखा जाएगा। जिसका फैसला इस याचिका के अंतिम निर्णय के बाद होगा। इस मामले की अगली सुनवाई 22 अक्टूबर को तय की गई है। कोर्ट के आदेश के बाद अब 539 आयुष चिकित्सा अधिकारियों को नियुक्ति पत्र जल्द ही मिलेंगे।
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