मप्र लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) मेंस 2023 के रिजल्ट को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट में 14 नवंबर (गुरुवार) को सुनवाई के दौरान पीएससी की ओर से एजी प्रशांत सिंह ने अहम बात कही। उन्होंने हाईकोर्ट को आश्वस्त करते हुए कहा कि उम्मीदवारों ने मेंस दे दी है और वह रिजल्ट का इंतजार कर रहे हैं, हम इसे पब्लिश करने जा रहे हैं। इसके बाद से ही उम्मीदवार रिजल्ट का इंतजार कर रहे हैं। इसे लेकर 'द सूत्र' के पास लगातार संदेश, फोन आए, जिसके बाद 'द सूत्र' भी लगातार सूत्रों से बात कर जानकारी जुटा रहा था, लेकिन इसमें चौंकाने वाली बात सामने आई।
एजी ने क्या ऐसे ही बोल दिया यह
इसमे चौंकाने वाली बात यह है कि इस राज्य सेवा परीक्षा 2023 मेंस का रिजल्ट जारी करने को लेकर आयोग और एजी प्रशांत सिंह के बीच कोई चर्चा ही नहीं हुई। एजी ने हाईकोर्ट में ऐसा कहा इसकी जानकारी लगने के बाद आयोग ने उनसे संपर्क कर जानने की कोशिश की, लेकिन दो-तीन दिन छुट्टियों में बात तक नहीं हुई। क्योंकि आयोग के सामने अभी भी विधिक मुद्दा यही है कि मेंस के रिजल्ट जारी करने के लिए हाईकोर्ट से कोई डायरेक्शन नहीं हुए और ना ही एजी ने आयोग को बताया कि किस प्रक्रिया और तरीके से यह रिजल्ट जारी करना है। कुल मिलाकर आयोग और एजी के बीच कोई चर्चा नहीं हुई, अब सवाल यही है कि एजी ने फिर क्या अपने स्तर पर ही हाईकोर्ट को आश्वस्त कर दिया। यदि किया भी है तो वह होना यही चाहिए था कि एजी आयोग को इसे जारी करने की विधिक प्रक्रिया भी बताते। लेकिन यह सब नहीं हुआ और आयोग फिर असमंजस में उलझ गया।
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हाईकोर्ट में 14 नवंबर को यह हुआ
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अंशुल तिवारी ने मुद्दा ब्रीफ किया। इस पर जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की बेंच ने पूछा कि इस मैटर में क्या अर्जेंसी है, क्योंकि आज बहुत केस लिस्ट है। दो सप्ताह बाद इसे करें। इस पर अधिवक्ता तिवारी ने कहा कि अर्जेंसी केवल यही है कि पीएससी रिजल्ट जारी नहीं कर रहा है। इस पर बेंच ने कहा कि वह (एजी) कह रहे हैं कि वह रिजल्ट की प्रोसेस में हैं। इसके बाद मामले को दो दिसंबर को लिस्ट कर दिया गया है। अब सवाल यह है कि क्या आयोग और एजी इस संवेदनशील मुद्दों पर बात करेके दो दिसंबर से पहले कोई हल निकालेंगे, नहीं तो फिर वही बात हाईकोर्ट में उठेगी कि एजी ने आश्वासन दिया लेकिन इसके बाद भी रिजल्ट जारी नहीं हुआ।
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क्या चल रहा है 2023 में
इस केस पर ही राज्य सेवा 2023 की मेंस का रिजल्ट टिका हुआ है। कोर्ट में केस के चलते ही पीएससी इसका रिजल्ट जारी नहीं कर रहा। दरअसल प्री 2023 के दो सवाल को हाई कोर्ट सिंगल बेंच ने मई 2024 के आदेश में गलत बताया और कहा था कि इस आधार पर राज्य वन सेवा 2023 के प्री का रिजल्ट रिवाइज किया जाए। लेकिन पीएससी रिट अपील 1232/24 में गया और स्टे मिल गया। इसके बाद से ही इस केस में सुनवाई चल रही है। हालांकि पीएससी ने राज्य वन सेवा मेंस का रिजल्ट भी जारी किया और इंटरव्यू शेड्यूल भी तय किया, लेकिन इसके उलट राज्य सेवा 2023 की मेंस का रिजल्ट रोक दिया।
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बीती सुनवाई में भी उठा था अर्जेंसी वाला मुद्दा
इससे पहले 24 सितंबर को सुनवाई हुई। एक्टिंग चीफ जस्टिस की बेंच में करीब तीन मिनट तक सुनवाई चली और इसके बाद तय हुआ कि इसमें अभी अत्यंत आवश्यक वाला मुद्दा नहीं है, इसलिए इसकी सुनवाई दो सप्ताह बाद रखी जाएगी।
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यह है पूरा मामला
राज्य सेवा परीक्षा प्री 2023 दिसंबर में हुई थी और फिर जनवरी 2024 में रिजल्ट आकर मात्र 50 दिनों में ही इसकी मेंस भी मार्च में आयोजित कराई गई। प्री के रिजल्ट के बाद 150 से ज्यादा उम्मीदवारों ने आंसर की को लेकर सवाल उठाए जो करीब सात सवालों पर थे। हालांकि बेंच ने केवल दो सवालों को संज्ञान में लिया और उन पर पीएससी के आंसर को गलत बताया। इसमें सभी याचिकाकर्ता जिन्होंने आपत्ति लगाई थी उन्हें सशर्त मेंस में बैठने के आदेश हुए, लेकिन डिटेल आर्डर जारी नहीं किया। बाद में राज्य सेवा मेंस होने के बाद 16 मई को डिटेल आर्डर आया और दो सवालों को गलत बताया और साथ ही कहा कि नए जवाब के आधार पर राज्य वन सेवा 2023 प्री का रिजल्ट रिवाइज किया जाए और मेंस कराई जाए, क्योंकि तब तक राज्य सेवा की तो मेंस हो गई लेकिन वन सेवा की बाकी थी। इस फैसले के खिलाफ आयोग तत्काल अपील में चला गया और स्टे ले आया। तभी से यह केस चल रहा है।
यह दो सवालों को लेकर था फैसला
प्रेस की स्वतंत्रता वाले विलियम बैंटिंक के सवाल को हाईकोर्ट ने गलत माना था और इसी तरह कबड्डी संघ के मुख्यालय के सवाल पर भी पीएससी के जवाब को गलत माना और नया आंसर दूसरा बताया। इन दो सवालों के आधार पर जबलपुर हाईकोर्ट ने कहा कि इन दो सवालों का लाभ केवल हाईकोर्ट आने वालों को नहीं बल्कि सभी प्रभावित उम्मीदवार को मिलेगा। यानी यह सभी उम्मीदवार जो इन दो सवालों के कारण कटऑफ पर अटक गए थे, वह सभी इसका लाभ लेने वालों में आ सकते हैं। इसी आधार पर जस्टिस ने कहा कि वन सेवा क्योंकि नहीं हुई तो इसका प्री का रिजल्ट संशोधित किया जाए और इसी आधार पर मेंस हो। लेकिन राज्य सेवा मेंस 2023 हो चुकी है इसलिए इसके लिए अलग से आदेश नहीं हो सकते हैं लेकिन इन सवालों का लाभ लेने के सभी पात्र है जो एक पर लागू वह सभी पर भी होगा। इसके बाद आयोग ने अपील दायर की और स्टे लिया।
एजी को लेकर ओबीसी एसोसिएशन लिख चुका पत्र
एजी की कार्यशैली को लेकर हाल ही में ओबीसी अधिवक्ता एसोसिएशन मप्र शासन को पत्र लिख चुका है। साथ ही 87-13 फीसदी विवाद को लेकर उन्हें जिम्मेदार बता चुके हैं। अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर ने गंभीर आरोप लगाए हैं और कहा है कि भर्ती को लेकर आने वाली समस्याओं की जड़ सिंह ही हैं। उनके द्वारा दिए गए गैर विधिक सलाह के कारण जीएडी ने ओबीसी की 27 फीसदी भर्ती को रोका हुआ है और यह 13 फीसदी फार्मूला लागू किया है।
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