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मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) से एक बार फिर उत्तरपुस्तिकाएं दिखाने की मांग की गई है। दिसंबर में चार दिन तक दिन-रात चले आंदोलन के दौरान भी यह अहम मांग उठी थी और इस पर प्रारंभिक सहमति भी बनी थी। लेकिन सात माह बीत जाने के बाद भी इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है। इसे लेकर नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन (एनईवाययू) ने 14 जुलाई को आयोग को ज्ञापन दिया।
मांगपत्र में यह कहा गया
एनईवाययू (NEYU) के प्रतिनिधिमंडल में शैक्षणिक प्रमुख प्रदेश अध्यक्ष धर्मवीर विश्वनोई व सदस्य शुभम दोगने के साथ अन्य सदस्य थे। इसमें साल 2019 की राज्य सेवा परीक्षा से राज्य सेवा परीक्षा 2022 तक की 87 फीसदी रिजल्ट वाले अभ्यर्थियों की कॉपियां दिखाने की मांग की गई। आयोग के सचिव के नाम पर यह ज्ञापन दिया गया।
ज्ञापन में यह है
ज्ञापन में कहा गया है कि दिसंबर के आंदोलन में आश्वासन दिया गया था कि आयोग की जनवरी की बोर्ड बैठक में 87 फीसदी अभ्यर्थियों को कॉपियां दिखाने का मुद्दा हल किया जाएगा। अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं हुआ। रिजल्ट में 87 फीसदी में जो चयन से वंचित रहे गए, उन सभी ने काफी मेहनत की है लेकिन वह अभी तक अपनी कॉपियां नहीं देख सके हैं। इसके चलते वह अगली परीक्षा की मेंस के लिए सुधार नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि उन्हें अपनी गलतियां ही पता नहीं चल रही है। इसलिए कृपया इस अहम मसले पर फैसला करते हुए जल्द उत्तरपुस्तिकाएं दिखाई जाएं।
5 प्वाइंट्स में समझें पूरी खबरउत्तरपुस्तिकाएं दिखाने की मांग: एनईवाययू के प्रतिनिधियों ने आयोग से 2019 से 2022 तक के रिजल्ट की कॉपियां दिखाने की मांग की है। यह मुद्दा दिसंबर 2022 में एक आंदोलन के दौरान उठाया गया था। आयोग ने जनवरी की बोर्ड बैठक में समाधान का आश्वासन दिया था। समस्याएं और अभ्यर्थियों के मुद्दे: चयन से वंचित उम्मीदवारों का कहना है कि उन्होंने कड़ी मेहनत की थी, लेकिन वे अब तक अपनी उत्तरपुस्तिकाएं नहीं देख सके हैं। इस कारण उन्हें अपनी गलतियों को सुधारने का मौका नहीं मिल रहा है, जो आगामी मेंस परीक्षा के लिए जरूरी है। आरक्षण विवाद और परीक्षा रिजल्ट: मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण विवाद के बाद सभी भर्ती परीक्षाओं के रिजल्ट रोक दिए गए थे। फिर 87-13% फार्मूला लागू किया गया, जिसके तहत रिजल्ट 87% में जारी किए गए। लेकिन इसके साथ ही उत्तरपुस्तिकाएं दिखाने का प्रावधान बंद कर दिया गया। उम्मीदवारों को अंक का न पता होना: इस समय, केवल चयनित उम्मीदवारों को उनके अंक बताए गए हैं। चयन से वंचित उम्मीदवारों को न तो उनके अंक के बारे में जानकारी दी गई है, न ही उनकी उत्तरपुस्तिकाएं दिखाई गई हैं। नैतिक और न्यायिक जिम्मेदारी: यह मामला उम्मीदवारों के भविष्य और न्यायपूर्ण चयन से जुड़ा है। आयोग की जिम्मेदारी है कि वह उम्मीदवारों को उनकी उत्तरपुस्तिकाएं दिखाए। इससे वे अपनी गलतियों को सुधार सकते हैं और आगामी परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। |
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क्या है पूरा मामला ?
मप्र की भर्तियों में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण के विवाद के बाद सभी भर्ती परीक्षाओं के रिजल्ट रोक दिए। इसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने सितंबर 2022 में 87-13 फीसदी का फार्मूला लागू किया। इसके तहत रिजल्ट 87 फीसदी में जारी किए जाने लगे। लेकिन इसके साथ ही पहले जो वह अंतिम रिजल्ट के बाद सभी उम्मीदवारों को शुल्क लेकर उत्तरपुस्तिकाएं दिखाता, वह बंद कर दिया गया।राज्य सेवा परीक्षा 2019 के साथ ही 2020, 2021 और 2022 के अभी तक अंतिम रिजल्ट आ चुके हैं, लेकिन कॉपियां नहीं दिखाई गई है। तीन साल से उम्मीदवार मेंन्स की कॉपियां देखने का इंतजार कर रहे हैं। वहीं आयोग कोर्ट में आरक्षण संबंधी केस चलने का हवाला देकर इन उत्तपुस्तिकाएं दिखाने से बच रहा है। हालांकि किसी भी कोर्ट से उत्तरपुस्तिकाएं दिखाने पर रोक नहीं है।
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उम्मीदवारों को अंक तक नहीं पता कितने मिले
हालत तो यह है कि जो अंतिम चयनित हुए हैं, आयोग ने केवल उन्हीं उम्मीदवारों के ही अंक बताए हैं। बाकी जो चयन से वंचित रह गए, उनकी कॉपियां दिखाने का तो सवाल ही नहीं है। इन उम्मीदवारों को अभी तक अपने अंक भी नहीं पता हैं।
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mppsc | इंदौर