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Photograph: (The Sootr)
Gwalior. ग्वालियर निवासी भारतेंदु शर्मा ने अपनी बहन के इलाज के लिए 8.50 लाख की एयर एंबुलेंस बुक की थी। उन्हें अहमदाबाद में किडनी ट्रांसप्लांट करवाना था। इसलिए एयर एंबुलेंस के 4 लाख एडवांस जमा करा दिए थे।
एंबुलेंस तय शेड्यूल के ठीक 45 मिनट पहले ही रद्द कर दी गई। अस्पताल समय पर न पहुंचने से ट्रांसप्लांट नहीं हो सका, और परिवार को मानसिक तनाव भी हुआ।
जानें उपभोक्ता फोरम ने क्या कहा?
फोरम ने नीरज ट्रेवल्स और लाइफविंग्स कार्डिएक एंबुलेंस को सेवा में कमी का दोषी माना। 4 लाख रुपए 45 दिन में लौटाने का आदेश दिया। मानसिक क्षति के लिए 5 हजार, केस खर्च के 2 हजार अतिरिक्त देने होंगे।
कोर्ट में कंपनियों का क्या जवाब रहा?
नीरज ट्रेवल्स ने फोरम में जवाब पेश किया, जबकि लाइफविंग्स कार्डिएक एंबुलेंस ने कोई खंडन नहीं किया। दस्तावेजों के आधार पर फोरम ने आदेश सुनाया।
5 प्वाइंट में समझें क्या है पूरा मामला
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लोगों के लिए क्या सबक?
सर्विस में देरी या रद्द होने की स्थिति में रिफंड का हक हर उपभोक्ता को है। कानूनी अधिकारों को जानना और समय रहते कार्रवाई करना जरूरी है।
ऐसे मामलों में क्या करें?
अगर कोई भी सेवा समय पर न मिले तो संबंधित कंपनी से लिखित में शिकायत करें। उपभोक्ता फोरम में केस करना आसान है, साक्ष्य मुख्य रोल निभाते हैं।
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मेडिकल सेवा में देरी- बड़ा जोखिम
मरीज के इलाज में देरी से जान खतरे में पड़ सकती है। इसलिए एयर एंबुलेंस या किसी भी इमरजेंसी सर्विस की बुकिंग सोच-समझ कर करें। ऐसी हालत में कंपनियां चाहिए तो भरोसा बनाए रखें। संभावित समस्याओं के लिए रिफंड पॉलिसी स्पष्ट रखें, ताकि भविष्य में उपभोक्ताओं का भरोसा बढ़े।
उपभोक्ता की जीत- समाज के लिए मिसाल
फोरम के फैसले से उपभोक्ताओं को अपने अधिकार पहचानने की प्रेरणा मिलेगी। सेवा में कमी या धोखाधड़ी का शिकार होने पर जल्द कानूनी सलाह लें।
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