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BHOPAL.मध्य प्रदेश में अजाक्स संगठन को लेकर कौन असली और कौन नकली की लड़ाई अब खत्म होने वाली है। सरकार 1-2 दिनों में साफ कर देगी कि अजाक्स का असली अध्यक्ष कौन होगा और आगे किस संगठन को आधिकारिक रूप से मान्यता मिलेगी।
फर्म एंड सोसाइटी पहले ही मौर्य सहित अन्य पदाधिकारियों का रजिस्ट्रेशन कर चुकी है। अब जल्द ही सामान्य प्रशासन विभाग मान्यता का पत्र जारी करके इस पर मुहर लगा देगा। सरकार के इस निर्णय से 21 साल से अजाक्स की जिम्मेदारी संभाल रहे आईएएस जेएन कंसोटिया की सल्तनत अब खत्म होगी।
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21 साल बाद खत्म होगी जे.एन. कंसोटिया की ‘अजाक्स सल्तनत’
IAS जेएन कंसोटिया, जिन्होंने लंबे समय तक अजाक्स की कमान संभाली, अब अपना अधिकार खो सकते हैं। सरकार कदम उठाती है तो नया नेतृत्व संगठन पर कब्जा कर लेगा और प्रदेश में सिर्फ एक ही वैध अजाक्स काम करेगा। इसके साथ ही संगठन के मौजूदा पदाधिकारी भी बदले जा सकते हैं।
IAS संतोष वर्मा का बयान बना विवाद का केंद्र
अजाक्स के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष IAS संतोष वर्मा का हालिया बयान संगठन के लिए भारी पड़ रहा है। उनकी टिप्पणी ने न केवल सदस्यों में नाराजगी पैदा की, बल्कि सरकार भी इससे असहज बताई जा रही है। सूत्रों के अनुसार, यह बयान अजाक्स की वैधता और उसके ढांचे पर सीधे सवाल खड़ा करता है।
GAD ले सकता है बड़ा एक्शन
सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) कुछ ही वक्त में बड़ा आदेश जारी कर सकता है। IAS वर्मा जिस संगठन के अध्यक्ष बने हैं, उस पर सरकार कार्रवाई कर सकती है और उसकी मान्यता रद्द भी हो सकती है। यह फैसला वर्षों पुराने विवाद को खत्म करने की दिशा में अहम होगा।
दो अजाक्स, दो दावेदार… अब कौन मान्यता पाएगा?
मध्यप्रदेश में इस समय दो समानांतर अजाक्स संगठन सक्रिय हैं। दोनों अपने-आपको असली बताते हैं और वर्षों से पदों पर दावेदारी कर रहे हैं। दो संगठनों का विवाद 29 जुलाई, 2023 से चल रहा है। ‘द सूत्र’ लगातार चल रहे इस विवाद पर असली कौन, नकली कौन को उजागर करता रहा है। अब सरकार की मुहर से यह भ्रम खत्म होने वाला है।
सरकार की अंतरिम व्यवस्था
सूत्र बताते हैं कि GAD की नई व्यवस्था के तहत पहले दो महीने तक दूसरे अजाक्स प्रांताध्यक्ष मुकेश मौर्य को अंतरिम जिम्मेदारी मिलेगी। अगले दो महीने के लिए अजाक्स के कार्यवाहक अध्यक्ष आईएएस विशेष गढ़पाले कमान संभालेंगे। यह व्यवस्था अंतिम फैसले तक संगठन को स्थिर रखने के लिए की जा रही है।
34 साल पुराना संगठन खत्म होने की कगार पर
जैसे ही सरकार एक संगठन को आधिकारिक मान्यता देगी, दूसरा, 34 साल से सक्रिय संगठन स्वतः समाप्त माना जाएगा। IAS संतोष वर्मा जिस इकाई का नेतृत्व कर रहे हैं, उसकी वैधता भी इसी आदेश पर टिकी है।
चुनाव की मांग हुई तो विवाद पहुंचेगा कोर्ट
अगर दूसरा पक्ष संगठनात्मक चुनाव कराने की मांग करता है, तो यह मामला अदालत तक जा सकता है। इससे प्रक्रिया लम्बी हो सकती है, लेकिन फिलहाल सरकार का फैसला अस्थायी रूप से विवाद समाप्त कर सकता है।
समाधान की ओर बढ़ा मामला
द सूत्र लगातार दिखाता रहा है कि दो अध्यक्ष, दो संगठन, दो दावेदार और जनता व प्रशासन में लगातार भ्रम। GAD की हस्तक्षेप से अब असली और नकली अजाक्स पर सरकार की अंतिम मुहर लगने वाली है।
आगे क्या होगा?
सरकार का आदेश जारी होते ही संगठन का ढांचा बदलेगा,नया नेतृत्व स्थापित होगा,और 34 साल पुरानी कमान समाप्त हो जाएगी। फिलहाल पूरे प्रदेश की नज़र GAD के अगले आदेश पर टिकी है।
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