अक्षय बम के हटने से बीजेपी प्रत्याशी शंकर लालवानी हुए कंजूस बीते चुनाव से आधी राशि ही खर्च की

शंकर लालवानी ने खर्च के लिए अपनी जेब खाली नहीं की और वह पूरी तरह से इस मामले में पार्टी संगठन, कार्यकर्ताओं के साथ ही मोदी की छवि के सहारे है। पार्टी को अधिक से अधिक वोटिंग दिखाना है, इसके लिए पार्टी लगी हुई है।

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Sandeep Kumar
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संजय गुप्ता @ INDORE. कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम ( Akshay Kanti Bom ) के चुनाव से हटने और बीजेपी में जाने का फायदा बीजेपी के ही प्रत्याशी शंकर लालवानी (Shankar Lalwani ) ने भरपूर उठाया है। उन्होंने इस चुनाव में खर्च करने से हाथ खींच लिए और केवल 23.84 लाख रुपए खर्च किए। जो बीते चुनाव में खर्च की गई उनकी राशि 48 लाख रुपए का मात्र 50 फीसदी है। 

अंतिम चरण में केवल 7 लाख खर्च किए

चुनाव प्रचार के पहले शंकर लालवानी फिर भी खर्च कर रहे थे, उनके 5 मई को पहले खर्च रजिस्टर में यह राशि करीब 17 लाख रुपए थी। लेकिन जब दूसरे चरण में 10 मई को अगला ब्यौरा दिया गया तो यह राशि केवल 23.84 लाख रुपए हुई। यानि बाद में उन्होंने केवल 7 लाख रुपए ही खर्च किए। क्योंकि वह समझ गए थे अब मुकाबला उनके लिए खाली है। 

बीजेपी पार्टी में भी उठी थी बात, खर्च नहीं कर रहे लालवानी

यह बात बीजेपी दफ्तर में ताई ( पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन ) के बयान के बाद हुई हलचल के बाद बुलाई गई पार्टी मीटिंग में भी हुई थी। इसमें भी कुछ नेताओं ने कहा था कि लालवानीजी खर्च कीजिए। हर बूथ पर कार्यकर्ता लगा हुआ, उसके लिए तो खर्च करना चाहिए। लेकिन लालवानी ने हां कहकर बात को टाल दिया। 

पूरी तरह पार्टी, कार्यकर्ता के सहारे लालवानी

लालवानी ने खर्च के लिए अपनी जेब खाली नहीं की और वह पूरी तरह से इस मामले में पार्टी संगठन, कार्यकर्ताओं के साथ ही मोदी की छवि के सहारे है। पार्टी को अधिक से अधिक वोटिंग दिखाना है, इसके लिए पार्टी लगी हुई है। जिले के 16 हजार पन्ना प्रमुखों (हर पन्ने में औसतन 30 मतदाता होते हैं) को वोटिंग के लिए लगा रखा है। वहीं हर पदाधिकारी अपने कार्यक्षेत्र में 50 ऐसे लोगों को फोन कर रहा है जो समाज में दखल रखते हैं और उन्हें वोट कराने के लिए अपील कर रहा है। बीजेपी ने दफ्तर में वार रूम बना रखा है और वहां से लगातार इस बात पर नजर रखी जा रही है कि अधिक से अधिक वोटिंग हो सके। बीजेपी का लक्ष्य 70 फीसदी वोटिंग का है। 

अन्य प्रत्याशी में बीएसपी ने ढाई लाख खर्च किए

चुनाव मैदान में 14 प्रत्याशी है लेकिन केवल बीएसपी के संजय सोलंकी ने ही ढाई लाख खर्च किए हैं। बाकी प्रत्याशी 1 लाख से भी कम खर्च में चुनाव लड़ रहे हैं। इस चुनाव में अभी तक सभी प्रत्याशियों ने मिलकर भी 30 लाख रुपए खर्च नहीं किए हैं। जबकि चुनाव प्रत्याशी की अधिकतम खर्च सीमा 95 लाख रुपए प्रति उम्मीदवार है। इस बार इंदौर में किसी भी बड़े नेता की रैली, जनसभा नहीं हुई है, केवल 11 मई को सीएम डॉ. मोहन यादव का ही रोड शो हुआ और बेटमा में जनसभा हुई।

कांग्रेस मैदान में नहीं, नोटा को 3 लाख वोट डलवाने में जुटी

कांग्रेस मैदान में नहीं है लेकिन बीजेपी की जीत दागदार करने के लिए जुटी है और नोटा पर कम से कम तीन लाख वोट डलवाने के लिए कोशिश कर रही है। इसके लिए कांग्रेस के प्रवक्ता गिरीश जोशी ने तो काले कपड़े पहनकर वोट डाला और इसे इंदौर के लिए काला दिवस बताया। शहराध्यक्ष सुरजीत सिंह चड्‌ढा ने कहा कि हम लगातार चुनाव में नजर रखे हैं और लोगों को बता रहे है कि बीजेपी ने लोकतंत्र की हत्या की है और आपसे निष्पक्ष वोट डालने का अधिकार छीना है।

 

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SANJAY GUPTA

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