अस्पताल या मजबूरी का अड्डा? नवजात संग प्रसूता को 3 घंटे जमीन पर लेटाया

अस्पताल प्रशासन ने बेड खाली न होने का हवाला देते हुए महिला और बच्चे को बरामदे में ही लेटने के लिए कह दिया। यहां तक कि महिला और बच्चा लगभग तीन घंटे तक जमीन पर लेटे रहे।​

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Sandeep Kumar
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MP News: मध्य प्रदेश के आलीराजपुर जिले के जिला अस्पताल में एक गंभीर घटना सामने आई है। एक प्रसूता को नवजात के साथ लगभग तीन घंटे तक जमीन पर लेटे रहना पड़ा। यह घटना अस्पताल प्रशासन की लापरवाही और संसाधनों की कमी को उजागर करती है। 

शासकीय स्वास्थ्य केंद्र बरझर का मामला

शनिवार अंजुड़ी गांव की अंजु पति वनसिंह को शासकीय स्वास्थ्य केंद्र बरझर में प्रसव पीड़ा हुई। यहां उन्होंने एक बच्ची को जन्म दिया। नवजात की स्थिति गंभीर होने पर चिकित्सकों ने अंजु और उनके बच्चे को जिला अस्पताल रेफर कर दिया। दोपहर करीब तीन बजे वे जिला अस्पताल पहुंचे, लेकिन अस्पताल में बेड की कमी के कारण उन्हें तत्काल भर्ती नहीं किया गया। अस्पताल प्रशासन ने बेड खाली न होने का हवाला देते हुए महिला और बच्चे को बरामदे में ही लेटने के लिए कह दिया। यहां तक कि महिला और बच्चा लगभग तीन घंटे तक जमीन पर लेटे रहे।​

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क्या बोले सीएमएचओ 

मामले की जानकारी मिलने पर सीएमएचओ डॉ. देवेंद्र सुनहरे ने अस्पताल प्रशासन से रिपोर्ट मांगी। उन्होंने बताया कि जिला अस्पताल में बेड की कमी के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई। हालांकि, उन्होंने प्रसूता को भर्ती कर लिया है और मामले की जांच की जा रही है।​

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अस्पताल में 100 बिस्तर

अलीराजपुर जिला अस्पताल वर्तमान में 100 बिस्तर है। हालांकि, शासन ने 100 और बिस्तरों वाले नए अस्पताल की स्वीकृति दी है, लेकिन नए भवन का निर्माण कार्य अभी चल रहा है। इस कारण अस्पताल में बिस्तरों की कमी बनी हुई है, जो मरीजों को उचित उपचार प्रदान करने में बाधा डाल रही है।​

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स्थानीय नागरिकों में आक्रोश

इस घटना के बाद स्थानीय नागरिकों में अस्पताल प्रशासन के प्रति आक्रोश है। उन्होंने अस्पताल की अव्यवस्था और लापरवाही की आलोचना की है। नागरिकों का कहना है कि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए।​

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स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति में सुधार

अलीराजपुर जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति में सुधार के लिए शासन और प्रशासन को गंभीरता से कदम उठाने की आवश्यकता है। नए बिस्तरों के निर्माण के साथ-साथ अस्पताल में आवश्यक चिकित्सा उपकरणों और स्टाफ की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए। ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।​

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