सागर. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने सागर की महापौर संगीता सुशील तिवारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। यह कदम उनके द्वारा महापौर परिषद (MAYOR COUNCIL) में बिना पार्टी नेतृत्व की अनुमति के बदलाव करने के कारण उठाया गया है। यह नोटिस तब जारी हुआ जब महापौर ने नगर निगम (Nagar Nigam) का पुनर्गठन बिना राज्य नेतृत्व की जानकारी या स्वीकृति के कर दिया। इसके अलावा, महापौर को शनिवार को भोपाल बुलाया गया था ताकि वे अपनी कार्रवाई का स्पष्टीकरण दे सकें, लेकिन उन्होंने बैठक में भाग नहीं लिया।
नोटिस में उठाए गए प्रमुख मुद्दे
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महापौर परिषद का अनुशासनहीन पुनर्गठन
महापौर संगीता तिवारी द्वारा महापौर परिषद (M.I.C.) के दो सदस्यों को हटाकर अपनी पसंद के उम्मीदवारों को नियुक्त करने का मामला विवाद का कारण बना। इस कदम का बीजेपी में तत्काल विरोध हुआ। कई वरिष्ठ पार्टी नेताओं, जैसे कि पूर्व मंत्री शरद जैन और लता वानखेड़े ने शिकायत की कि पार्टी नेतृत्व के समर्थकों को अनुचित तरीके से बाहर किया गया। बिना पार्टी नेतृत्व की स्वीकृति के परिषद के पुनर्गठन को अनुशासनहीनता माना गया।
राज्य नेतृत्व की बैठक में अनुपस्थिति
पार्टी ने महापौर पर यह आरोप भी लगाया कि उन्होंने राज्य नेतृत्व द्वारा बुलाए गए बैठक में भाग नहीं लिया, जो कि अनुशासनहीनता का और एक उदाहरण है। नोटिस में स्पष्ट रूप से कहा गया कि महापौर का बैठक में अनुपस्थित रहना पार्टी के नियमों का उल्लंघन है।
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बीजेपी महापौर संगीता तिवारी से क्या चाहती है?
बीजेपी ने महापौर संगीता तिवारी को तीन दिन का समय दिया है ताकि वे पार्टी नेतृत्व को अपनी कार्रवाई का स्पष्टीकरण दे सकें। पार्टी ने उनसे पूछा है कि महापौर परिषद के पुनर्गठन से पहले कोई अनुमति क्यों नहीं ली गई। पार्टी महापौर के स्पष्टीकरण को सुनने के बाद अनुशासनात्मक कार्रवाई पर विचार करेगी, अगर उनका स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं होता।
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बीजेपी की राजनीतिक रणनीति और आंतरिक विवाद
महापौर परिषद के पुनर्गठन पर बीजेपी के भीतर हुए विवाद ने पार्टी की एकता को लेकर सवाल उठाए हैं। महापौर तिवारी द्वारा किया गया पुनर्गठन कुछ लोगों के लिए रणनीतिक कदम जैसा प्रतीत हुआ, जबकि पार्टी के समर्थक नेताओं के लिए यह एक हानिकारक कदम था। इस पर पार्टी के नेताओं का आरोप है कि महापौर ने पार्टी के अनुशासन को ताक पर रख दिया।
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