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MP की राजधानी भोपाल में खेल की आड़ में हथियारों और कारतूसों का खेल सालों से चल रहा था, लेकिन जिला प्रशासन के अफसरों ने कभी आंख उठाकर देखने की जहमत तक नहीं उठाई।
सेल्फ डिफेंस और स्पोर्ट्स कोटे के नाम पर लाखों कारतूस बांट दिए गए। 8 हजार नाम पोर्टल पर चढ़ गए और लाखों कारतूस अपराधियों के हाथों में पहुंचकर अवैध शिकार, ड्रग्स तस्करी और काले धंधों में इस्तेमाल हो रहे थे। अब जब घोटाला सामने आया है तो अफसर भागदौड़ कर रहे हैं।
अब सभी लाइसेंसधारियों को बुलाया जा रहा है, दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं, लेकिन सच यह है कि ये अफसर कभी यह जानने की कोशिश ही नहीं करते थे कि कारतूस कहां जा रहे हैं। जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। कई तथाकथित 'शूटर्स' कभी प्रतियोगिताओं में हिस्सा ही नहीं लेते, लेकिन हर साल हजारों-लाखों कारतूस हड़प लेते हैं।
जब 77 ऐसे संदिग्ध शूटर्स से पिछले 5 सालों का हिसाब मांगा गया तो 3 लाख कारतूसों का कोई रिकॉर्ड ही नहीं मिला। अब कलेक्टर ने पूरे 10 सालों का ब्यौरा खंगालने का आदेश दिया है, लेकिन सवाल उठता है, इतने सालों तक रिकॉर्ड क्यों नहीं रखा गया?
क्या अफसरों की जेब गर्म हो रही थी?
सूत्रों के अनुसार, चौंकाने वाला खुलासा यह है कि इन 77 शूटर्स में से 50 से ज्यादा मुस्लिम समुदाय से हैं। इस एंगल ने जांच की दिशा ही बदल दी है। आशंका है कि खेल की आड़ में कारतूसों का इस्तेमाल अवैध शिकार में किया जा रहा था। जिला प्रशासन के अफसरों ने कभी यह जांचने की जहमत नहीं उठाई कि कारतूसों का क्या हो रहा है? ये इस्तेमाल हो रहे हैं या बाजार में बिक रहे हैं? ये अफसर तो बस कागजों पर साइन करके इतिश्री कर लेते थे।
रिकॉर्ड का नामोनिशान नहीं
शर्मनाक बात यह है कि जिला प्रशासन के पास कारतूस आवंटन का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड ही नहीं है। खिलाड़ियों और सेल्फ डिफेंस लाइसेंसधारियों की किताबों में ही कारतूस चढ़ा दिए जाते थे, मतलब अफसरों को पता ही नहीं चलता था कि कब, किसे और कितने कारतूस दिए गए। यह लापरवाही अब सामने आ गई है।
गौरतलब है कि हर साल भोपाल में तकरीबन 31 लाख कारतूस शूटर्स को जारी होते हैं। ये कारतूस प्रैक्टिस और प्रतियोगिता के नाम पर दिए जाते हैं, लेकिन इनका उपयोग कहां हुआ? किसी को नहीं पता। न तो खोखों की गिनती हुई। ना ही प्रैक्टिस का ब्यौरा लिया गया। इसी ढिलाई का फायदा उठाकर कारतूस बाजार और अपराधियों तक पहुंच गए।
पांच लोगों पर दर्ज है एफआईआर
अब प्रशासन ने तय किया है कि जिन खिलाड़ियों का आपराधिक रिकॉर्ड मिलेगा, उनके लाइसेंस निरस्त किए जाएंगे। इसके लिए प्रशासन ने पुलिस, आबकारी और फॉरेस्ट विभाग से शूटर्स का रिकॉर्ड मांगा है। इस क्रम में जिला प्रशासन ने कार्रवाई भी शुरू कर दी है।
भोपाल कलेक्टर के निर्देश पर पांच शस्त्र लाइसेंस निलंबित किए गए हैं। इनमें शाहिद अहमद, शाहजेब अहमद, शफीक अहमद, शहरयार अहमद और सोहेल अहमद शामिल हैं। इन पर केस दर्ज है। भोपाल क्राइम ब्रांच ने पांचों पर 13 जुलाई 2025 को धारा 08/22 एनडीपीएस एक्ट में केस दर्ज कर प्रकरण जांच में लिया था। अब यह जानकारी सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने इनके शस्त्र लाइसेंस सस्पेंड कर दिए हैं। ये पांचों लोग एक ही परिवार के हैं।
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अब तक निगरानी ही नहीं हो रही थी
गौरतलब है कि भोपाल में हर साल तकरीबन 31 लाख कारतूस शूटर्स को जारी होते हैं। ये कारतूस खिलाड़ियों को प्रैक्टिस और प्रतियोगिता के नाम पर जारी किए जाते हैं, लेकिन उनका उपयोग कहां हुआ, इसका कोई पुख्ता रिकॉर्ड नहीं है। न कारतूसों के खोखों की गिनती हो रही है और न ही प्रैक्टिस का पूरा ब्यौरा लिया जा रहा है। इसी ढिलाई का नतीजा है कि लाखों कारतूस बाजार और अपराध जगत तक पहुंचने की आशंका है। मामले का खुलासा होने के बाद प्रशासन कार्रवाई कर रहा है।
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