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Photograph: (thesootr)
BHOPAL. वन मुख्यालय के आदेश का गलत अर्थ निकालना अनूपपुर के डीएफओ को भारी पड़ गया। उन्होंने कार्यवाहक प्रभार पर रोक के निर्देश को डिमोशन समझ लिया। दो दर्जन से अधिक कर्मचारियों को उनके पुराने पदों पर भेजने का आदेश जारी कर दिया।
डिमोशन आदेश सामने आते ही वन मंडल में हड़कंप मच गया। कर्मचारियों ने विरोध जताया तो वरिष्ठ अधिकारियों ने डीएफओ विपिन पटेल को फटकार लगाई। इसके बाद उन्हें आदेश वापस लेना पड़ा।
मध्य प्रदेश सरकार ने सभी विभागों में वरिष्ठ पदों पर कार्यवाहक प्रभार देने पर रोक लगाई है। यह आदेश पिछले महीने जारी किया गया था। वन मुख्यालय ने इसे सर्कल के मुख्य वन संरक्षकों को भेजा है।
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डीएफओ ने कर डाली आदेश की गलत व्याख्या
शहडोल मुख्य वन संरक्षक कार्यालय से आदेश अनूपपुर वन मंडल पहुंचा। यहां डीएफओ विपिन पटेल पदस्थ हैं। उन्होंने आदेश को सही से नहीं पढ़ा। साथ ही पहले से उच्च प्रभार पाने वाले अधिकारियों को पुराने पदों पर काम करने का आदेश दे दिया। डीएफओ को ऐसा आदेश जारी करने का अधिकार नहीं था।
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25 से अधिक अधिकारी, कर्मचारी हुए डिमोट
डीएफओ के आदेश से उच्च पदों के प्रभार पाए दो दर्जन से अधिक अधिकारी और कर्मचारियों का डिमोशन हुआ। इससे एक दशक से पदोन्नति से वंचित कर्मचारी भड़क गए।
अफसर तानाशाही पर उतारू: पांडे
मप्र कर्मचारी मंच के प्रदेशाध्यक्ष अशोक पांडे और अन्य नेताओं ने डीएफओ के आदेश पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि वन मंडल अधिकारी को ऐसा आदेश देने का अधिकार नहीं है। अफसर तानाशाही रवैया अपना रहे हैं, जैसा कि अनूपपुर डीएफओ के आदेश से साबित होता है।
फटकार के बाद वापस लिया आदेश
सूत्रों के मुताबिक, अनूपपुर वन मंडल में डीएफओ पटेल को उक्त गलत आदेश जारी करने पर वरिष्ठ अधिकारियों ने कड़ी फटकार लगाई। इसके बाद, डीएफओ ने अपने आदेश को वापस ले​ लिया।
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डीएफओ का आदेश निरस्त: एपीसीसीएफ
इस संबंध में विभागीय स्थापना शाखा एपीसीसीएफ कोमलिका के.मोहंता ने बताया कि डीएफओ मुख्यालय के आदेश को ठीक से समझ नहीं सके। इसके चलते भ्रम की स्थिति पैदा हुई। मोहंता ने कहा कि अनूपपुर वन मंडल डीएफओ के उक्त आदेश को निरस्त कर दिया गया है।
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