यूनियन कार्बाइड के वकील ने कोर्ट में सीबीआई के आरोप पत्र को बताया दुर्भावनापूर्ण

भोपाल जिला न्यायालय में यूनियन कार्बाइड गैस रिसाव मामले की सुनवाई अंतिम चरण में है। यूनियन कार्बाइड के वकील ने 92 पन्नों का जवाब दाखिल किया। उन्होंने सीबीआई के आरोप पत्र को गलत बताया।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL. यूनियन कार्बाइड से गैस रिसाव त्रासदी से जुड़े क्रिमिनल केस में सुनवाई अंतिम दौर में पहुंच गई है। भोपाल जिला कोर्ट में यूनियन कार्बाइड के वकील ने 92 पेज का दस्तावेज पेश किया। उन्होंने सीबीआई के आरोप पत्र को दुर्भावनापूर्ण बताया। यूका के वकील ने क्रिमिनल केस की दोबारा सुनवाई करने की अपील भी कोर्ट से की है। कोर्ट में 28 जुलाई को प्रकरण की अंतिम सुनवाई के साथ फैसला सुनाए जाने की संभावना जताई जा रही है। 

सीजेएम कोर्ट सुना चुका है सजा 

भोपाल में 1984 में यूनियन कार्बाइड कारखाने से मिथाइल आइसो साइनेट गैस का रिसाव हुआ था। इस दुर्घटना में हजारों लोगों की जान गई थी। हजारों परिवार बेघर हुए और अनगिनत लोग शारीरिक-मानसिक विकृतियों का शिकार हुए थे।

इस मामले में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड के खिलाफ सुनवाई जारी है। ट्रायल कोर्ट ने 2010 में निर्णय सुनाया था। इसमें कार्बाइड के अधिकारी जे. मुकुंद और एस.पी. चौधरी दोषी ठहराए गए थे। यूसीआईएल ने निर्णय के खिलाफ आपत्ति दर्ज कराई थी। यूसीआईएल की अपील पर भोपाल कोर्ट में दोबारा सुनवाई हो रही है।

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काबाईड ने रखा 92 पेज का दस्तावेज

गैस पीड़ितों की ओर से वकील एनएनडी जय प्रकाश ने कोर्ट में दलील पेश की। यूनियन कार्बाइड के वकील अनिर्बान रॉय ने बचाव में तर्क दिए। उन्होंने सीबीआई की रिपोर्ट पर सवाल उठाए। रिपोर्ट 2010 में सीजेएम कोर्ट के निर्णय का आधार थी। वकील ने 92 पेज का दस्तावेज कोर्ट में पेश किया। सुनवाई में दोषी ठहराए गए पूर्व अधिकारी जे. मुकुंद और एस.पी. चौधरी भी मौजूद रहे।

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दोबारा सुनवाई पर जताई आपत्ति

यूनियन कार्बाइड के वकील अनिर्बान रॉय ने कोर्ट में सीबीआई की जांच और आरोप पत्र को दुर्भावनापूर्ण कहा है। उन्होंने इसे निराधार भी बताते हुए प्रकरण की दोबारा सुनवाई की अपील पर विचार करने का आग्रह किया। 
वहीं गैस पीड़ित पक्ष और सीबीआई के वकीलों ने कार्बाइड की अपील पर विचारण पर आपत्ति दर्ज कराई।

रॉय ने कहा आपदा का दोष यूनियन कार्बाइड कारखाने की मूल कंपनी पर डालने की कोशिश की जा रही है। ताकि इसके लिए जिम्मेदार और पूर्व में दोषी ठहराए जा चुके अधिकारियों को दोषमुक्त कराया जा सके। 
लंबे समय तक जारी बहस के बाद अदालत ने सुनवाई को 28 नवम्बर तक टाल दिया है। बचाव पक्ष के अंतिम तर्कों के बाद अब गैस पीड़ित संगठन इस मामले में 28 नवम्बर को निर्णय आने की संभावना जता रहे हैं।

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