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मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले के राजनगर क्षेत्र में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर जनहित याचिका दायर की गई थी। इस मामले में 30 जुलाई 2025 को जबलपुर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की बेंच ने स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पर नाराजगी जताई।
बेंच ने चेतावनी दी कि अगली सुनवाई तक यदि स्वास्थ्य केंद्र सुचारु नहीं हुआ, तो विभाग के मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होकर जवाब देना होगा।
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10 दिन से बंद पड़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र
याचिकाकर्ता समाजसेवी विकास प्रताप सिंह के अधिवक्ता सिद्धार्थ गोंटिया ने अदालत को बताया। पिछले आदेशों के बावजूद अनूपपुर के राजनगर स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कोई सुधार नहीं हुआ है। उल्टे हालात और बदतर हो गए हैं और बीते 10–12 दिनों से स्वास्थ्य केंद्र पर ताला लगा हुआ है।
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पुलिस निभा रही है एंबुलेंस की भूमिका
अधिवक्ता ने स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स और पुलिस अधिकारियों के बयानों के हवाले से कोर्ट को बताया। 22 जुलाई 2025 को हुई दुर्घटना में घायल लोगों को पुलिसकर्मियों ने अपने वाहनों से अस्पताल पहुंचाया। क्षेत्र में एंबुलेंस उपलब्ध नहीं थी, इसलिए घायल करीब 20-25 किलोमीटर दूर स्थित अस्पताल गए। यह पहली बार नहीं, बल्कि बार-बार देखा जा रहा है कि इस इलाके में आपात स्थिति में मध्यप्रदेश पुलिस ही एंबुलेंस की भूमिका निभा रही है।
याचिकाकर्ता की दलील
सरकार की ओर से पेश हुई उपमहाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि भर्ती प्रक्रिया चलने के कारण स्टाफ की तैनाती में देरी हो रही है। लेकिन स्वास्थ्य केंद्र में फिलहाल स्टाफ मौजूद है। इस पर याचिकाकर्ता पक्ष ने कोर्ट को जवाब देते हुए हाल ही की तस्वीरें दिखाई, जिनमें केंद्र पर ताला लगा देखा जा सकता है।
अधिवक्ता सिद्धार्थ गोंटिया ने कोर्ट को बताया कि सरकार जो स्थिति बता रही है, वह पुराने उप-स्वास्थ्य केंद्र की है। यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र 2024 में शुरू हुआ था। फिर भी आज तक यहां न तो समुचित स्टाफ है, न दवाएं और न ही एंबुलेंस।
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मुख्य सचिव होंगे पेश
कोर्ट ने आज की सुनवाई में पूछा कि आखिर सरकार यह स्पष्ट क्यों नहीं कर पा रही कि यह स्वास्थ्य केंद्र वास्तव में चालू है या नहीं। कोर्ट ने सख्ती से कहा कि अगर अगली तारीख 19 अगस्त तक यह केंद्र चालू नहीं हुआ, तो स्वास्थ्य विभाग के मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर जवाब देना होगा।
कोर्ट के कड़े रुख से जागी बेहतर सुविधाओं की उम्मीद
हाईकोर्ट के पिछले आदेश के बाद भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की सुध नहीं ली गई। यह साफ हो गया है कि यदि लापरवाही के कारण नागरिकों की जान जाती है, तो जिम्मेदारी शासन और प्रशासन की होगी। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंच के लिए सड़क, डॉक्टर और एंबुलेंस का अभाव प्रशासनिक असफलता है। यह संवैधानिक जिम्मेदारियों का उल्लंघन भी है। राजनगर के लोगों के लिए यह सुनवाई एक उम्मीद की किरण हो सकती है। अब यह देखना है कि स्वास्थ्य विभाग जागेगा या अगली सुनवाई में मुख्य सचिव को अदालत में पेश होना पड़ेगा।
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