जब फ्लाइट्स नहीं बढ़ा सकते तो बंद कर दो जबलपुर एयरपोर्ट और एयरलाइंस : HC

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने जबलपुर हवाई कनेक्टिविटी में गिरावट पर चिंता जताई। कोर्ट ने राज्य सरकार और एयरलाइंस कंपनियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए।

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Neel Tiwari
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MP NEWS: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने जबलपुर एयरपोर्ट से हवाई उड़ानों की संख्या में गिरावट पर चिंता जताई है। कोर्ट ने राज्य सरकार और एयरलाइंस कंपनियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की बेंच ने कड़ी टिप्पणी की।

कोर्ट ने कहा कि यदि राज्य सरकार और एयरलाइंस जबलपुर को हवाई कनेक्टिविटी नहीं दे सकते, तो 412 करोड़ रुपए की लागत से बने एयरपोर्ट का क्या औचित्य है? कोर्ट ने यहां तक कह दिया कि “जब आप फ्लाइट्स बढ़ा नहीं पा रहे हैं तो एयरपोर्ट को बंद क्यों नहीं कर देते?”

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एयरलाइंस नहीं मानती निवेदन

राज्य सरकार के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि एयरलाइंस से संपर्क किया गया है। यह संपर्क जबलपुर से हवाई कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए किया गया। 29 जुलाई 2025 को एयरलाइंस कंपनियों के साथ बैठक हुई। बैठक में जबलपुर से उड़ानों की संख्या बढ़ाने का निवेदन किया गया।

कंपनियों को ईमेल और पत्राचार के जरिए भी आग्रह किया गया। कोर्ट के समक्ष यह जानकारी प्रस्तुत होते ही बेंच ने हैरानी जताई। बेंच ने कहा, "सिर्फ निवेदन से क्या होगा? यदि कंपनियां नहीं सुन रही हैं, तो ठोस कार्यवाही कीजिए। केवल निवेदन और आश्वासन से जनता को कोई राहत नहीं मिलेगी।"

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इंडिगो एयरलाइंस को कोर्ट की सख्त फटकार

यह जनहित याचिका नागरिक उपभोक्ता मंच के पी.जी. नाजपांडे और रजत भार्गव के द्वारा दायर की गई है। इस मामले में प्रतिवादी बनाई गई निजी विमान कंपनियों में से इंडिगो एयरलाइंस को कोर्ट ने विशेष रूप से फटकार लगाई।

पिछली सुनवाई में कंपनी ने आश्वासन दिया था कि वह जबलपुर से अपनी फ्लाइट्स की संख्या में बढ़ोतरी करेगी। लेकिन जब 30 जुलाई की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस पर स्टेटस पूछा, तो कंपनी की ओर से जवाब आया कि "हम विचार कर रहे हैं।"

कोर्ट ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा, "पिछले एक साल से अनुरोध किया जा रहा है, और अब भी आप सिर्फ विचार की बात कर रहे हैं? हकीकत यह है कि आपने उड़ानें बढ़ाने की बजाय घटाई हैं।"

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महंगी टिकट्स पर भी कोर्ट की आपत्ति 

कोर्ट ने एयरलाइंस द्वारा वसूली जा रही अत्यधिक टिकट दरों पर भी नाराजगी जताई। चीफ जस्टिस ने कहा कि "एक सामान्य उड़ान का किराया जहां 4 से 5 हजार रुपए होना चाहिए, वहां यात्रियों से 25 से 40 हजार रुपए तक वसूले जा रहे हैं।"

इससे एयरलाइंस को भी भारी मुनाफा हो रहा है, इसके बाद भी फ्लाइट्स की संख्या ना बढ़ाया जाना समझ से परे है। इसके साथ ही कोर्ट ने इंदौर को एक वैकल्पिक रूट बनाकर जबलपुरवासियों को मजबूर करने की स्थिति को भी गलत बताया।

कोर्ट ने कहा कि "लोगों को अब पहले इंदौर जाना पड़ता है और फिर वहां से डायरेक्ट फ्लाइट पकड़नी पड़ती है। यह व्यवस्था बिल्कुल भी व्यवहारिक नहीं है।

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फ्लाइट टाइमिंग पर आपत्ति

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एयरलाइंस की फ्लाइट टाइमिंग पर भी सवाल उठाए। जस्टिस संजीव सचदेवा ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति बिजनेस मीटिंग या कामकाजी कारण से यात्रा करता है, तो वह सुबह जाकर शाम तक लौटना चाहता है। 

ऐसे में दोपहर 1:30 बजे की फ्लाइट का कोई व्यावहारिक महत्व नहीं है। कोर्ट ने पूछा, "क्या ऐसी टाइमिंग सिर्फ प्लेन उड़ाने के लिए रखी गई है या यात्रियों की सुविधा के लिए?" कोर्ट की यह टिप्पणी गहरी चिंता को दर्शाती है कि फ्लाइट्स के रूटीन आम जनता की जरूरतों को ध्यान में रखकर नहीं बनाए जा रहे हैं।

5 पॉइंट्स में समझें पूरी स्टोरी

👉मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने जबलपुर में हवाई उड़ानों की कमी पर चिंता जताई। कोर्ट ने राज्य सरकार और एयरलाइंस कंपनियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। 

👉 राज्य सरकार ने एयरलाइंस से संपर्क किया और 29 जुलाई को बैठक आयोजित की। बैठक में जबलपुर से उड़ानों की संख्या बढ़ाने का निवेदन किया गया। इसके बावजूद कंपनियां कोई ठोस कदम नहीं उठा रही हैं।

👉 कोर्ट ने इंडिगो एयरलाइंस को खासतौर पर फटकार लगाई। एयरलाइंस ने पिछले साल उड़ानें बढ़ाने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक कोई बदलाव नहीं किया।

👉कोर्ट ने एयरलाइंस द्वारा वसूले जा रहे अत्यधिक टिकट दरों पर नाराजगी जताई। सामान्य किराया 4-5 हजार रुपये के बजाय 25-40 हजार रुपए तक पहुंच गया है, लेकिन उड़ानों की संख्या नहीं बढ़ाई जा रही है।

👉हाईकोर्ट ने 11 अगस्त 2025 को अगली सुनवाई निर्धारित की है। इसमें एयरलाइंस कंपनियों को जबलपुर से उड़ानों की संख्या बढ़ाने और फ्लाइट टाइमिंग में सुधार के लिए स्पष्ट योजना और रोडमैप प्रस्तुत करना होगा।

नहीं दे सकते सुविधा तो बंद करो एयरलाइन

कोर्ट ने याद दिलाया कि जब एयरलाइंस ने राज्य सरकार से राहत मांगी थी, तो सरकार ने सरचार्ज में छूट सहित नीतिगत सुविधाएं और सहयोग दिया। इसके बावजूद विमान कंपनियां अपने वादों पर खरी नहीं उतरीं और उड़ानों की संख्या बढ़ाने में टालमटोल करती रही।

कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कड़े शब्दों में कहा कि "जब आप सुविधा नहीं दे सकते तो एयरलाइंस को बंद कर दीजिए।" यह टिप्पणी संकेत देती है कि अदालत अब केवल औपचारिकताओं से संतुष्ट नहीं होगी। आने वाली सुनवाई में कोर्ट से कड़े आदेश जारी होने की संभावना है।

11 अगस्त को अगली सुनवाई

हाईकोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई 11 अगस्त 2025 को निर्धारित की है। अब निजी विमान कंपनियों को अपनी योजना और रोडमैप स्पष्ट करना होगा कि वे जबलपुर से उड़ानों की संख्या कब और कैसे बढ़ाएंगी? साथ ही फ्लाइट की टाइमिंग में भी सुधार कैसे किया जाएगा, इसका भी स्पष्टीकरण देना होगा। हाईकोर्ट की इस सख्ती से उम्मीद है कि अब जबलपुर की हवाई कनेक्टिविटी को लेकर कोई ठोस कदम सामने आएगा।

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