अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ( ASP) की DPC- Departmental Promotion Committee करने में मध्य प्रदेश सभी राज्यों में पिछड़ गया है। यह लापरवाही PHQ यानी पुलिस मुख्यालय की ही है। 1995 और 1997 बैच के राज्य पुलिस सेवा के अफसरों की डीपीसी छह महीने से अटकी पड़ी है। इसके पीछे कारण दो अफसरों इंटीग्रिटी का अभी तक न होना बताया जा रहा है।
दो अफसरों के कारण रुका सबका प्रमोशन
UPSC के हिसाब से मई तक प्रमोशन का कलेण्डर देना होता है, जुलाई लग गया लेकिन अभी PHQ - POLICE HEAD QUARTER से ही प्रस्ताव नहीं आया। अवधेश प्रताप बगड़ी और अमृत मीना की इंटीग्रिटी के फेर में PHQ ने फाइल रोक रखी है। आइए जानते हैं ये इंटीग्रिटी क्या होती है…
क्या होती है इंटीग्रिटी
किसी अफसर को शोर्ट टर्म की सजा, जिसे लघु शास्ति कहते हैं या फिर विभागीय जांच लंबित है तो उसकी इंटीग्रिटी क्लियर ना होने पर इस तरह के मामले में DOC कमेटी प्रमोशन के लिए उनके नाम पर सहमति तो देती है, लेकिन जब तक इंटीग्रिटी क्लियर नहीं होती, तब तक संबंधित अफसर का लिफाफा बंद रहता है। यानी तब तक उसे प्रमोट नहीं किया जाता।
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पीएचक्यू ने इसलिए रोकी है इंटीग्रिटी
राज्य पुलिस सेवा की अधिकारी निमिशा पांडे ने अपनी वरिष्ठता तय करने को लेकर पुलिस मुख्यालय में अभ्यावेदन दिया है। उनका कहना है उनकी वरिष्ठता तय करने के बाद ही आईपीएस की डीपीसी की जाए। सूत्र बताते हैं कि इसके चलते मुख्यालय ने दो अफसरों की एंटीग्रिटी होम डिपार्टमेंट को नहीं भेजी है। हालांकि निमिशा पांडे ने 2014 में वरिष्ठता तय करने का आवेदन दिया था, लेकिन उस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। अब निमिशा IPS डीपीसी के दावेदारों की सूची के कंसीडर जोन में आ रही हैं। हालांकि जूनियर होने के कारण उनका नाम इस प्रमोशन में क्लियर नहीं हो पाएगा।
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ये अफसर प्रमोशन से वंचित
- सीताराम- अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, टीकमगढ़
- प्रकाश सिंह परिहार- सहायक पुलिस महानिरीक्षक, इंदौर
- दिलीप सोनी- एएसपी, उज्जैन
- अवधेश प्रताप सिंह बागरी- अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, छिंदवाड़ा
- राजेंद्र वर्मा- राज्य सेवा पुलिस अधिकारी
इन सभी अधिकारियों की जनवरी में डीपीसी होना थी। इसके बाद उन्हें आईपीएस अवॉर्ड होना था, लेकिन अभी तक डीपीसी नहीं हुई है।
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आरोप- दलित होने के कारण अटकी DPC
DPC नहीं होने के पीछे एक आरोप यह भी लगाय जा रहा है कि जिन पांच पुलिस अधिकारियों की डीपीसी होना है, उनमें तीन अनुसूचित जाति, एक अनुसूचित जनजाति और एक पिछड़ा वर्ग से हैं। इस कारण विभाग कोई रुचि नहीं ले रहा है।
पुलिस प्रमोशन में मध्य प्रदेश फिसड्डी
अन्य राज्यों की तुलना में मध्य प्रदेश पुलिस विभाग के राजपत्रित अधिकारियों के प्रमोशन में फिसड्डी साबित हो रहा है। छत्तीसगढ़ में जहां 1998 तक, जम्मू कश्मीर में 1999, हिमाचल प्रदेश में 2000, दिल्ली में 2001, गोवा में 2001, तमिलनाडु में 2002, हरियाणा में 2004, महाराष्ट्र में 2004, मेघालय में 2004, बिहार में 2005, उत्तराखंड में 2005, वेस्ट बंगाल में 2009, गुजरात में 2010, आंध्र प्रदेश में 2010, तेलंगाना में 2010 और कर्नाटक में 2012 बेच के राजपत्रित अधिकारियों के प्रमोशन हो चुके हैं। मध्य प्रदेश में 1997 बैच के राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के प्रमोशन यानी की डीपीसी भी नहीं हुई है।
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