राम मंदिर आंदोलन के संत डॉ. रामविलास वेदांती का निधन, रीवा में ली अंतिम सांस

डॉ. रामविलास दास वेदांती, राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरा और पूर्व सांसद, रीवा में निधन हो गया। तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें एयर एंबुलेंस से भोपाल ले जाना था, लेकिन खराब मौसम के कारण ऐसा नहीं हो सका।

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Manya Jain
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 राम मंदिर आंदोलन के अग्रणी संत और पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती का सोमवार सुबह रीवा में निधन हो गया। वे अयोध्या के प्रमुख संतों में थे और राम जन्मभूमि आंदोलन का अहम चेहरा माने जाते थे। खराब मौसम के कारण उन्हें एयर एंबुलेंस से भोपाल नहीं ले जाया जा सका।

 5 प्वाइंट में समझें क्या है पूरा मामला 

  • राम मंदिर आंदोलन के संत डॉ. रामविलास वेदांती का सोमवार को निधन हुआ। 

  • वे रीवा में रामकथा के दौरान बीमार पड़े और अस्पताल में भर्ती रहे। 

  • एयर एंबुलेंस से भोपाल एम्स ले जाने की तैयारी थी, मौसम ने रोका। 

  • वेदांती अयोध्या के जाने माने संत और राम मंदिर आंदोलन के बड़े चेहरा थे। 

  • अब उनका पार्थिव शरीर अयोध्या लाया जा रहा है, सरयू तट पर अंतिम संस्कार होगा। 

राम मंदिर आंदोलन की गूंज से जुड़ा नाम था डॉ. रामविलास दास वेदांती। सोमवार सुबह रीवा के सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में उनके जीवन की डोरी टूट गई। अयोध्या के संत ने आखिर सांस भी मध्य प्रदेश की धरती पर ली। वे 67 वर्ष के थे और पिछले कुछ दिनों से लगातार अस्वस्थ चल रहे थे। 

अयोध्या से दिल्ली, फिर रीवा तक की अंतिम यात्रा

7 दिसंबर को वेदांती अयोध्या से दिल्ली पहुंचे थे। वहां वे विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की महत्वपूर्ण बैठक में शामिल हुए। 10 दिसंबर को वे दिल्ली से रीवा आए, जहां उनकी रामकथा चल रही थी। कथा के बीच ही तबीयत बिगड़ी और उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा।  

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अस्पताल में दो दिन की जद्दोजहद, फिर भी न बच सके 

रीवा के सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में उन्हें दो दिन पहले भर्ती किया गया। डॉक्टरों की टीम लगातार उनकी स्थिति पर नजर रखे हुए थी।  रविवार को मध्य प्रदेश के डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने उन्हें एयरलिफ्ट कराने की तैयारी की। फैसला हुआ कि उन्हें भोपाल एम्स शिफ्ट किया जाएगा, ताकि बेहतर इलाज मिल सके। 

कोहरे ने रोका रास्ता, एयर एंबुलेंस लैंड न कर सकी

दिल्ली से एयर एंबुलेंस रीवा के लिए उड़ान भर चुकी थी। सबको उम्मीद थी कि वेदांती जल्द एम्स पहुंचकर बच जाएंगे। लेकिन मौसम ने साथ नहीं दिया, घने कोहरे के कारण एयर एंबुलेंस को लैंडिंग की अनुमति नहीं मिली। कई घंटे की कोशिशें बेअसर रहीं और उन्हें रीवा से बाहर नहीं ले जाया जा सका।

अस्पताल में ही इलाज चलता रहा, लेकिन सोमवार दोपहर करीब 12 बजकर 20 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली। यह खबर आते ही अयोध्या और रीवा, दोनों जगहों पर शोक की लहर दौड़ गई। 

राम मंदिर आंदोलन का मजबूत चेहरा थे वेदांती

डॉ. रामविलास दास वेदांती केवल संत ही नहीं, आंदोलनकारी भी थे। राम जन्मभूमि आंदोलन में उन्होंने खुलकर नेतृत्व किया और मंच से लगातार आवाज बुलंद की। वे रामजन्मभूमि न्यास के सदस्य रहे और बाद में कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाली। अयोध्या में राम मंदिर की लड़ाई उन्हें “आंदोलन के योद्धा” के रूप में पहचान दिलाती रही। 

बचपन से अयोध्या तक, कौन थे डॉ. वेदांती?

उनका जन्म 7 अक्टूबर 1958 को मध्य प्रदेश के रीवा जिले के गुढ़वा गांव में हुआ। दो साल की उम्र में ही उनकी मां का निधन हो गया, बचपन कठिन रहा।

पिता राम सुमन त्रिपाठी पुरोहित थे और पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन सिंह के गुरु भी रहे। 12 साल की उम्र में वे पहली बार अयोध्या पहुंचे और यहीं से साधु जीवन शुरू हुआ।

हनुमानगढ़ी के महंत के शिष्य, अयोध्या में साधना 

डॉ. वेदांती, हनुमानगढ़ी के महंत अभिराम दास के शिष्य थे। अयोध्या में उनका डेरा हिंदू धाम नया घाट पर लगा और यहीं से उनका प्रभाव बढ़ा। 

उन्होंने वशिष्ठ भवन नाम से आश्रम बनाया और रामलला व हनुमानगढ़ी (MP News) के सामने वर्षों तक रामकथा की। कथा के माध्यम से वे राम मंदिर आंदोलन की सोच आम लोगों तक पहुंचाते रहे। 

 सांसद भी रहे, विद्वान भी माने गए 

वेदांती केवल धार्मिक मंच तक सीमित नहीं रहे, वे संसद भी पहुंचे। 1996 में वे जौनपुर की मछलीशहर सीट से सांसद बने।

इसके बाद 12वीं लोकसभा में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ से बीजेपी के सांसद चुने गए। संस्कृत के विशिष्ट विद्वान माने जाते थे और शास्त्रों की गहरी समझ रखते थे। 

 बाबरी विध्वंस केस में नाम, बाद में बरी 

डॉ. वेदांती का नाम बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आरोपियों में शामिल रहा। वर्षों तक केस चला, बयान दर्ज हुए और सियासी बहसें भी हुईं। 2020 में सीबीआई की विशेष अदालत ने उन्हें बरी कर दिया। अदालत ने माना कि विध्वंस के पीछे कोई साजिश साबित नहीं हो सकी।

अंतिम यात्रा अयोध्या में, सरयू तट पर विदाई 

फिलहाल उनका पार्थिव शरीर रीवा के आश्रम में रखा गया है। यहां से शव को सड़क मार्ग से अयोध्या लाया जा रहा है।उनके उत्तराधिकारी महंत राघवेश दास वेदांती ने बताया कि अंतिम यात्रा हिंदू धाम से निकलेगी। शव यात्रा राम मंदिर तक जाएगी और फिर सरयू तट की ओर बढ़ेगी।

सुबह 8 बजे सरयू किनारे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। अयोध्या के संत, साधु और हजारों श्रद्धालु अंतिम दर्शन के लिए पहुंचने वाले हैं।

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