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मध्य प्रदेश में नर्सिंग कोर्स में छात्रों की घटती रुचि एक गंभीर समस्या बन गई है। हाल ही में हुए GNM (जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी) कोर्स के अलॉटमेंट में 12 हजार 50 खाली सीटों में से सिर्फ 124 स्टूडेंट्स को एडमिशन मिला। यह स्थिति चिंताजनक है, क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर सीटें खाली रह जाना शिक्षा क्षेत्र के लिए खतरे की घंटी है।
इन पांच प्वाइंट में समझें क्या है पूरा मामला?
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नर्सिंग छात्रों की क्या रही बड़ी समस्या?
इस बेरुखी की सबसे बड़ी वजह पिछले तीन सत्रों का फर्जीवाड़ा है। एडमिशन लेने वाले छात्रों (Nursing Students) की परीक्षा समय पर नहीं हो पाई। सबसे बड़ी समस्या नर्सिंग फर्जीवाड़ा से जुड़ी थी। इसके चलते छात्र तीन साल तक एक ही सत्र में अटके रहे। इस वजह से प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों की साख बुरी तरह प्रभावित हुई है।
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हजारों स्टूडेंट्स एलिजिबल, फिर भी नहीं लिया एडमिशन
GNM Counselling में पात्र स्टूडेंट्स की कमी नहीं थी। मध्य प्रदेश नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल ने 10 हजार पात्र स्टूडेंट्स की मेरिट लिस्ट जारी की थी।
बावजूद इसके, आवंटन में सिर्फ 124 छात्रों का नाम आया। या तो स्टूडेंट्स को काउंसिलिंग की जानकारी नहीं मिली, या वे जानबूझकर प्रवेश लेने से बच रहे हैं।
बीएससी नर्सिंग की 11 हजार सीटें भी खाली
GNM की तरह ही बीएससी नर्सिंग कोर्स का भी बुरा हाल है। 16 हजार सीटों में से लगभग 11 हजार सीटें अभी भी खाली पड़ी हैं। इसमें निजी नर्सिंग कॉलेजों की हालत सबसे खराब है। कॉलेज संचालकों ने सीट भरने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी लगाई है। सत्र 2025-26 के लिए भी एफिलिएशन जारी नहीं हो सकी है। इसलिए छात्र इस कोर्स में भी प्रवेश लेने से हिचक रहे हैं।
काउंसिलिंग के नए शेड्यूल पर अब संशय
सीटें खाली होने के कारण कॉलेज संचालक चिंतित हैं। वे मांग कर रहे हैं कि उन्हें सीधे प्रवेश देने का अधिकार मिले। संचालकों का कहना है कि जिन्होंने प्री नर्सिंग टेस्ट नहीं दिया, उन्हें भी मौका मिले। बीएससी नर्सिंग कोर्स में प्रवेश के लिए काउंसिल नया शेड्यूल जारी करेगी। इस पर अब संशय है, क्योंकि 30 नवंबर तक प्रवेश देने की छूट दी गई थी।
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