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मध्यप्रदेश के जिला और तहसील न्यायालयों में वकीलों के लिए चैंबर्स बनाए जाएंगे। वहीं, अब यह चैंबर्स अब स्पष्ट नियमों के दायरे में होंगे। एमपी हाईकोर्ट के आदेश पर विधि विभाग ने नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इससे सालों से चली आ रही अव्यवस्था और विवादों पर विराम लगने की उम्मीद है।
लोक धन से बनेंगे चैंबर्स, निजी कब्जे पर रोक
नए नियमों के मुताबिक, न्यायालय परिसरों में बनने वाले सभी लॉयर्स चैंबर्स सरकारी यानी लोक धन से बनाए जाएंगे। इन पर किसी भी वकील का निजी स्वामित्व नहीं होगा। चैंबर्स का अधिकार क्षेत्र जिला प्रधान न्यायाधीश के अधीन रहेगा, जिससे पारदर्शिता बनी रहे।
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किन वकीलों को मिलेगा चैंबर?
लॉयर्स चैंबर का आवंटन अब मेरिट और आवश्यकता के आधार पर किया जाएगा। कम से कम तीन साल की नियमित प्रैक्टिस करने वाले वकील इसके लिए पात्र होंगे। इससे नए और योग्य अधिवक्ताओं को भी न्यायालय परिसर में काम करने का उचित अवसर मिलेगा।
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एमपी में लॉयर्स चैंबर की खबर पर एक नजर...
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सुरक्षा राशि और मासिक शुल्क तय
चैंबर मिलने पर संबंधित वकील को 10 हजार रुपए की सुरक्षा निधि जमा करनी होगी। इसके अलावा लाइसेंस फीस, बिजली, पानी और सफाई जैसे खर्च नियमित रूप से देने होंगे। नियमों का उल्लंघन होने पर चैंबर निरस्त किए जाने का प्रावधान भी रखा गया है।
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सीनियर वकील घोषित करने के नियम भी बदले
हाईकोर्ट के निर्देश पर विधि विभाग ने सीनियर वकील घोषित करने के नियमों में भी संशोधन किया है। अब सीनियर वकील बनने के लिए सालाना आय 12 लाख रुपए या उससे अधिक होना अनिवार्य होगा।
उम्र और अनुभव की शर्तें
सीनियर वकील के लिए न्यूनतम उम्र 45 वर्ष तय की गई है। हालांकि, विशेष मामलों में आयु सीमा में छूट दी जा सकेगी। साथ ही, विधिक व्यवसाय में कम से कम 10 साल का अनुभव जरूरी होगा।
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पुरानी समस्याओं की पृष्ठभूमि
गौरतलब है कि इससे पहले कई जिलों में लॉयर्स चैंबर्स को लेकर विवाद सामने आते रहे हैं। कहीं चैंबर्स पर सालों से एक ही वकील का कब्जा रहा, तो कहीं नए अधिवक्ताओं को बैठने की जगह तक नहीं मिल पाई थी। कुछ मामलों में हाईकोर्ट को हस्तक्षेप कर अस्थायी व्यवस्थाएं भी करनी पड़ी थीं।
व्यवस्था सुधारने की कोशिश
नए नियमों का उद्देश्य न्यायालय परिसरों में संसाधनों का समान वितरण और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। सरकार और न्यायपालिका दोनों का मानना है कि इससे वकीलों को बेहतर कार्य वातावरण मिलेगा और विवादों में कमी आएगी।
कुल मिलाकर लॉयर्स चैंबर्स और सीनियर वकीलों से जुड़े नए नियम न्यायिक व्यवस्था को अधिक अनुशासित और जवाबदेह बनाने की दिशा में बड़ा कदम माने जा रहे हैं।
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