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Photograph: (the sootr)
BHOPAL. मध्य प्रदेश में एमएससी नर्सिंग की प्रवेश प्रक्रिया को लेकर मप्र उच्च न्यायालय ने कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने नर्सिंग काउंसिल की प्रक्रिया पर स्वतः संज्ञान लेते हुए परिषद से जवाब मांगा है। मामला शिक्षा और भविष्य से जुड़ा होने के कारण न्यायालय ने इसे गंभीर माना है।
याचिका में उठे प्रवेश प्रक्रिया पर सवाल
रवि परमार सहित अन्य याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर एमएससी नर्सिंग प्रवेश में हो रही गड़बड़ियों की ओर ध्यान दिलाया। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने काउंसलिंग प्रक्रिया और सूचना व्यवस्था में खामियों को प्रमुख मुद्दा बताया।
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15 दिसंबर को काउंसिल को पेश होने के निर्देश
उच्च न्यायालय ने एमएससी नर्सिंग प्रवेश प्रकरण को गंभीर मानते हुए मप्र नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल को 15 दिसंबर को न्यायालय में उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट इस मामले में परिषद की भूमिका और जवाबदेही की जांच करेगा।
काउंसलिंग शेड्यूल जारी, वेबसाइट बंद
कोर्ट ने कहा कि पोस्ट बीएससी और एमएससी नर्सिंग की काउंसलिंग की समय-सारणी तो जारी कर दी गई है। लेकिन संबंधित वेबसाइट काम नहीं कर रही है। इससे पात्र अभ्यर्थियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का दिया गया हवाला
याचिकाकर्ताओं ने बताया कि दिसंबर 2025 में मप्र नर्स पंजीकरण परिषद के रजिस्ट्रार कार्यालय ने भारतीय नर्सिंग परिषद को पत्र भेजा था। यह पत्र सुप्रीम कोर्ट में लंबित एसएलपी क्रमांक 29570/2025 के संदर्भ में भेजा गया था।
31 दिसंबर तक बढ़ी थी प्रवेश की अंतिम तारीख
पत्र में उल्लेख किया गया कि 3 दिसंबर 2025 के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि भारतीय नर्सिंग परिषद प्रवेश प्रक्रिया में शामिल उम्मीदवारों के प्रवेश में कोई बाधा न डाले। इसी के तहत नर्सिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश की अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2025 तक बढ़ाई गई थी।
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हाईकोर्ट का सवाल-एमएससी नर्सिंग अलग क्यों?
उच्च न्यायालय ने अहम सवाल उठाया कि जब सुप्रीम कोर्ट ने नर्सिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश की समय-सीमा बढ़ाई है। एमएससी नर्सिंग को इससे अलग क्यों रखा गया है। कोर्ट ने इस पर भारतीय नर्सिंग परिषद से स्पष्ट जवाब मांगा है।
आईएनसी का पत्र भी रिकॉर्ड में शामिल
भारतीय नर्सिंग परिषद द्वारा 8 दिसंबर 2025 को जारी पत्र को भी उच्च न्यायालय ने अपने रिकॉर्ड में शामिल कर लिया है। अब कोर्ट सभी तथ्यों और दस्तावेजों के आधार पर आगे की कार्रवाई करेगा।
एमएससी नर्सिंग प्रवेश प्रक्रिया को लेकर उठा यह मामला हजारों छात्रों के भविष्य से जुड़ा है। हाईकोर्ट की सख्ती के बाद अब नर्सिंग काउंसिल और भारतीय नर्सिंग परिषद की भूमिका पर साफ तस्वीर सामने आने की उम्मीद है।
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