एमपी विधानसभा के विशेष सत्र को लेकर सियासत तेज, उमंग सिंघार बोले, यह विजन नहीं, पब्लिसिटी स्टंट...

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने 17 दिसंबर को बुलाए गए विधानसभा के विशेष सत्र पर सरकार को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा, यह विजन डॉक्यूमेंट नहीं, पब्लिसिटी स्टंट है। सरकार जनता के असली मुद्दों से ध्यान हटा रही है।

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Ramanand Tiwari
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BHOPAL. मध्य प्रदेश विधानसभा में 17 दिसंबर को बुलाए जा रहे विशेष सत्र को लेकर सियासत तेज हो गई है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, विजन डॉक्यूमेंट के नाम पर जनता के पैसे का दुरुपयोग हो रहा है।

विजन डॉक्यूमेंट या प्रचार का जरिया?

उमंग सिंघार का आरोप है कि कुछ अधिकारी सिर्फ प्रचार के लिए दस्तावेज तैयार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह महज ढोंग है। इस तरह के डॉक्यूमेंट को बिना खर्च के सरकारी वेबसाइट पर अपलोड किया जा सकता था।

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एक दिवसीय विशेष सत्र पर उठे सवाल

विधानसभा की अधिसूचना के अनुसार, 17 दिसंबर को सोलहवीं विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र आयोजित होगा। इस सत्र में मध्य प्रदेश को विकसित, आत्मनिर्भर और समृद्ध राज्य बनाने के विजन पर चर्चा प्रस्तावित है।

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जनता विजन नहीं, हिसाब चाहती है

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जब शीतकालीन सत्र बुलाने का मौका था, तब उसे केवल चार दिन चलाया गया। इससे जनता से जुड़े असली मुद्दों पर चर्चा नहीं हो सकी। उनके मुताबिक, सरकार अब जवाब देने के बजाय प्रचार में लगी हुई है।

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दो साल बेमिसाल पर विपक्ष के सवाल

उमंग सिंघार ने सरकार के दावों पर निशाना साधते हुए कहा, अगर किसान और नौजवान परेशान हैं, तो दो साल बेमिसाल कैसे हो गए? उन्होंने कैग रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि प्रदेश में 6,467 डॉक्टरों की कमी है।

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कुपोषण और स्वास्थ्य पर गंभीर आंकड़े

सिंघार ने कहा कि मध्यप्रदेश में 40 प्रतिशत बच्चे बौनेपन का शिकार हैं। 26 प्रतिशत बच्चों का वजन सामान्य से कम है। बजट बढ़ने के बावजूद कुपोषण की दर में कमी नहीं आई है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश में मां बनना आज भी जोखिम भरा है।

मातृ मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से दोगुनी

नेता प्रतिपक्ष के अनुसार, जहां देश का मातृ मृत्यु दर (MMR) 88 है। वहीं मध्य प्रदेश में यह 159 है, जो राष्ट्रीय औसत से लगभग दोगुना है। यह सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।

शिक्षा व्यवस्था पर भी तीखा हमला

उमंग सिंघार ने कहा कि प्रदेश के 7 हजार से अधिक स्कूलों में केवल एक शिक्षक है। 223 स्कूल ऐसे हैं, जहां एक भी टीचर नहीं है। वहीं 463 स्कूलों में एक भी छात्र दर्ज नहीं है।

ऐसे हालात में बेमिसाल कैसे?

नेता प्रतिपक्ष ने सवाल किया, जब शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की स्थिति यह है, तो सरकार अपने दो साल को बेमिसाल क्यों बता रही है? उन्होंने कहा, जनता अब प्रचार नहीं, जवाब चाहती है।

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