/sootr/media/media_files/2025/12/06/mp-assembly-special-session-2025-12-06-15-43-59.jpg)
Photograph: (thesootr)
BHOPAL. आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश पर चर्चा करने सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुला सकती है। 17 दिसंबर को एक दिन के विशेष सत्र में सभी विधायक सामूहिक रूप से आत्मनिर्भर मप्र और विकसित मप्र का खाका खींचेंगे। इस सत्र में सरकार रेवेन्यू और रोजगार बढ़ाने पर भी चर्चा कर सकती है।
अलग से जारी नहीं होगी अधिसूचना
बता दें कि इस सत्र के लिए अलग से अधिसूचना जारी नहीं की जाएगी। दरअसल 1-5 दिसंबर तक आयोजित शीतकालीन विधानसभा सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया गया है। इसलिए विशेष सत्र में विधायकों को सीधे ही बुलाया जा सकेगा।
चलिए जानते हैं क्या होता है विधानसभा विशेष सत्र
विधानसभा का विशेष सत्र नियमित सत्रों के अलावा बुलाया जाता है। यह सरकार द्वारा असाधारण सत्र होता है। हालांकि भारतीय संविधान में "विशेष सत्र" शब्द का स्पष्ट उल्लेख नहीं है। अनुच्छेद 174(1) के तहत राज्यपाल को सत्र बुलाने का अधिकार है।
ये भी पढ़ें...बंदर बनकर एमपी विधानसभा पहुंचे कांग्रेस विधायक, विधायक ने ऐसा क्यों किया, जानें यहां
बुलाने की प्रक्रिया
सत्र बुलाने का निर्णय कैबिनेट या संसदीय समिति लेती है। राज्यपाल इसे औपचारिक रूप से मंजूरी देते हैं। सभी सदस्यों को तारीख, समय और स्थान की सूचना दी जाती है। दो सत्रों के बीच छह माह से अधिक अंतर नहीं हो सकता।
एमपी विधानसभा का विशेष सत्र...👉 मध्यप्रदेश सरकार 17 दिसंबर को एक दिन का विशेष सत्र आयोजित कर सकती है। इसमें विधायक आत्मनिर्भर और विकसित मध्यप्रदेश पर चर्चा करेंगे। सत्र में रेवेन्यू और रोजगार बढ़ाने पर भी विचार किया जा सकता है। 👉इस सत्र के लिए अलग से अधिसूचना जारी नहीं होगी। 1-5 दिसंबर तक शीतकालीन सत्र स्थगित किया गया था। इसलिए विशेष सत्र में विधायकों को सीधे बुलाया जाएगा। 👉विधानसभा का विशेष सत्र नियमित सत्रों के अलावा असाधारण स्थितियों में बुलाया जाता है। भारतीय संविधान में "विशेष सत्र" का उल्लेख नहीं है। अनुच्छेद 174(1) के तहत राज्यपाल को सत्र बुलाने का अधिकार है। 👉सत्र बुलाने का निर्णय कैबिनेट या संसदीय समिति लेती है। राज्यपाल इसे औपचारिक रूप से मंजूरी देते हैं। सभी विधायकों को तारीख, समय और स्थान की सूचना दी जाती है। दो सत्रों के बीच छह माह से अधिक का अंतर नहीं हो सकता। 👉इस सत्र में प्रश्नकाल या शून्यकाल सीमित हो सकते हैं। यह महत्वपूर्ण विधेयकों या आपातकालीन मुद्दों पर केंद्रित होता है। मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में यह संकटपूर्ण परिस्थितियों या महत्वपूर्ण विधायी कार्यों के लिए आयोजित होता है। |
विशेषताएं और उद्देश्य
विशेष सत्र में प्रश्नकाल या शून्यकाल सीमित हो सकते हैं। यह महत्वपूर्ण विधेयकों या आपात मुद्दों पर केंद्रित होता है। मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में यह विधायी कार्यों या संकटपूर्ण परिस्थितियों के लिए आयोजित किया जाता है।
ये भी पढ़ें...MP में फिर बजा चुनावी बिगुल, निकाय और पंचायतों के उपचुनाव की वोटिंग डेट फिक्स
कब-कब बुलाया गया विशेष सत्र
|
/sootr/media/agency_attachments/dJb27ZM6lvzNPboAXq48.png)
Follow Us