IAS अमनबीर सिंह बैंस पर गंभीर आरोप, 200 करोड़ की जमीन से जुड़े मामले में उलझे, पिता इकबाल सिंह रह चुके CS

बैतूल में 36 एकड़ जमीन के आवंटन को लेकर नया विवाद पैदा हो गया है, जिसमें ऊर्जा विकास निगम के महाप्रबंधक अमनबीर सिंह बैंस की भूमिका सवालों के घेरे में है।

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Sourabh Bhatnagar
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मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम के महाप्रबंधक अमनबीर सिंह बैंस पर बैतूल कलेक्टर रहते हुए 36 एकड़ जमीन के प्रयोजन को बदलने और उसे नियमों के खिलाफ आवंटित करने का गंभीर आरोप लगा है। इस मामले को लेकर अब विवाद गहरा गया है, और अमनबीर सिंह बैंस की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं। बता दें कि अमनबीर सिंह तत्कालीन शिवराज सरकार में मुख्य सचिव रहे इकबाल सिंह बैंस के बेटे हैं।

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जमीन के आवंटन में घिरे अमनबीर सिंह बैंस

एक समाचार पत्र में छपी खबर के मुताबिक, इस विवादित जमीन पर जेल विभाग 60 करोड़ रुपए की लागत से एक नई जेल बनाने का काम कर रहा है, जबकि बाकी हिस्से को उद्योग विभाग को सौंप दिया गया है। आरोप है कि कलेक्टर ने हाउसिंग बोर्ड के जरिए पुरानी जेल और 6 एकड़ जमीन एक निजी कंपनी को आवंटित कर दी थी। यह जमीन बैतूल के मुख्य क्षेत्र में स्थित है, जिसकी बाजार में कीमत 200 करोड़ रुपए से अधिक बताई जा रही है। कंपनी ने इस पर मॉल और फ्लैट्स बनाने की योजना बनाई है, और इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 500 करोड़ रुपए से भी अधिक हो सकती है।

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अमनबीर सिंह बैंस पर आरोप

आरोप है कि अमनबीर सिंह बैंस ने 2022-2023 में बैतूल कलेक्टर के रूप में कढ़ाई पंचायत की चरनोई की जमीन का प्रयोजन बदलकर उसे नियमों के खिलाफ निजी कंपनी को आवंटित किया। पंचायत ने इस मुद्दे पर ग्रामसभा में प्रस्ताव भी पारित किया है, जिससे विवाद और बढ़ गया है।

ये है पूरा मामला

बैतूल की कढ़ाई पंचायत के खसरा 123/1, 123/2, 123/3 की 7.499, 4.000 और 2.430 हेक्टेयर जमीन के साथ-साथ खसरा 176/2 की 2.430 हेक्टेयर जमीन कुल 36 हेक्टेयर क्षेत्र 2022-2023 में जेल विभाग और उद्योग विभाग को आवंटित की गई। इस जमीन के आवंटन में नियमों के उल्लंघन के आरोप ने एक नया राजनीतिक मोड़ ले लिया है, जिससे प्रशासन के अधिकारियों पर दबाव बढ़ गया है।

मुख्य सचिव अनुराग जैन को नोटिस

सुप्रीम कोर्ट के वकील आदित्य मिश्रा ने 23 मार्च को मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन को नोटिस भेजा है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर इस मामले की जांच नहीं की जाती, तो वह कोर्ट में आगे की कार्रवाई करेंगे। आदित्य मिश्रा ने अधिकारियों को नोटिस भेजकर मामले की गंभीरता से जांच की मांग की है।

प्रक्रिया मजाक बन गई है: शिकायतकर्ता

बैतूल के शिकायतकर्ता मुकेश तुल्ला ने आरोप लगाया कि भूमि के प्रयोजन बदलने और उसके आवंटन में कई स्तरों पर गड़बड़ी हुई है, जिसकी उन्होंने लिखित में शिकायत की थी। तुल्ला ने बताया कि नायब तहसीलदार को गड़बड़ी की जांच करने के लिए निर्देश दिए गए थे, लेकिन वह भी कार्रवाई से बचते नजर आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें इस पूरी प्रक्रिया में एक मजाक जैसा महसूस हो रहा है।

कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी की प्रतिक्रिया

बैतूल के कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी ने कहा कि जनसुनवाई में मिलने वाली शिकायतों को संबंधित अधिकारियों को सौंपा जाता है। यदि जांच के आदेश दिए गए हैं, तो वे निरस्त कर दिए जाएंगे क्योंकि उनका मानना है कि आवंटन पूरी तरह से नियमानुसार हुआ है।

आरोपों पर बोले अमनबीर सिंह बैंस 

इस पूरे मामले पर अमनबीर सिंह बैंस ने भी अपनी सफाई दी। उन्होंने कहा कि आवंटन पूरी तरह से शासन के हित और नियमों के आधार पर किया गया था और आरोप पूरी तरह से निराधार हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि इस संबंध में कोई शिकायत हुई है, तो जांच के दौरान सभी तथ्य सामने आ जाएंगे।

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पिता रह चुके है मुख्य सचिव

अमनबीर सिंह बैंस, जो 2013 बैच के आईएएस अधिकारी हैं, उनके पिता इकबाल सिंह बैंस भी मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव रह चुके हैं। अमनबीर सिंह 9 फरवरी 2021 से 31 दिसंबर 2023 तक बैतूल के कलेक्टर के पद पर कार्यरत रहे। यह मामला उस समय का है जब उनके पिता मुख्य सचिव थे, और इस समय अमनबीर सिंह की गिनती राज्य के प्रमुख और प्रभावशाली अधिकारियों में की जाती थी।

सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी बैतूल और नीमच में कलेक्टर की पदस्थापना आदेश

दो बार बढ़ा था बैंस का कार्यकाल

इकबाल सिंह बैंस को छह-छह माह के दो एक्सटेंशन मिले थे। पहले बैंस को पिछले साल नवंबर (30 नवंबर 2022) को रिटायर्ड होना था, लेकिन इससे पहले ही सरकार ने इसका 6 महीने यानी 30 मई 2023 कर एक्सटेंशन बढ़ा दिया था। इसके बाद 30 मई को विधानसभा चुनाव को देखते हुए बैंस का फिर से 6 महीने के लिए एक्सटेंशन मिले था। अब आज उनका आखिरी दिन है।

भ्रष्टाचार मामले में उलझे हैं इकबाल सिंह बैंस

EOW ने पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और दो पूर्व IAS अफसरों के खिलाफ पद के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार के मामले की जांच के लिए सामान्य प्रशासन विभाग ( GAD ) से अनुमति मांगी है। बता दें कि 2017-18 में आजीविका मिशन में मिशनकर्मियों की नियम विरुद्ध नियुक्ति और इसमें किए गए भ्रष्टाचार की शिकायत EOW में 12 फरवरी को की गई थी। मगर कोई कार्रवाई नहीं होने पर आवेदक आरके मिश्रा ने सीजेएम कोर्ट में परिवाद दायर कर दिया। इसके बाद कोर्ट ने 28 मार्च तक ईओडब्ल्यू से इस मामले में की गई जांच और कार्रवाई की स्टेटस रिपोर्ट तलब कर ली। जिसके बाद आनन- फानन EOW ने इस मामले में सामान्य प्रशासन विभाग ( GAD ) से अनुमति मांगी है। 

इन अफसरों के खिलाफ जांच की मांग

  • पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस
  • अशोक शाह, महिला एवं बाल विकास विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव
  • मनोज कुमार श्रीवास्तव, ग्रामीण एवं पंचायत विभाग के तत्कालीन एसीएस
  • ललित मोहन बेलवाल, आजीविका मिशन के तत्कालीन राज्य प्रबंधक 

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यह है मामला

मामला आजीविका मिशन के तहत 15 नए जिलों में मिशनकर्मियों की नियुक्ति से जुड़ा हुआ है। आरोप है कि इन नियुक्तियों में अफसरों ने खुलकर नियमों की अनदेखी की। साथ ही विभागीय मंत्री के आदेशों को भी नहीं माना। शिकायत में कहा गया है कि तत्कालीन राज्य स्तरीय परियोजना प्रबंधक ललित मोहन बेलवाल ने 8 मार्च 2017 को प्रशासकीय स्वीकृति के लिए फाइल तत्कालीन अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग इकबाल सिंह बैंस को भेजी थी। इसमें रिक्त पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी करने की बात कही गई। एक अन्य विभागीय अधिकारी ने इस मामले में चयन प्रक्रिया के लिए पांच सदस्यीय समिति बनाने की टीप लिखी, जिसे बैंस ने नकार दिया। साथ ही इस फाइल को विभागीय मंत्री के पास भेजा ही नहीं गया। मंत्री ने भर्ती प्रक्रिया को प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड से करवाने को कहा, तो मंत्री के उस निर्देश को भी दरकिनार कर दिया गया।  

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