दफ्तर सील, दर-दर के हुए बालाघाट वन संरक्षक, डेढ़ माह से अधीनस्थों के सहारे कामकाज

मध्‍य प्रदेश वन विभाग में अफसरों के कामकाज का अंदाज निराला है। बालाघाट वन संरक्षक दफ्तर इसकी बानगी है जो बीते डेढ़ माह से कोर्ट के आदेश पर सील है और वन संरक्षक दर-दर के हो गए हैं।

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Ravi Awasthi
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भोपाल।
वन विभाग बालाघाट  वन संरक्षक का दफ्तर बीते डेढ़ माह से कोलकाता हाईकोर्ट के आदेश  पर सील है। इसके चलते वन मंडल वन संरक्षक गौरव चौधरी को अपने सब-आर्डिनेट के दफ्तर में बैठना पड़ रहा है। दफ्तर कुर्की की नौबत आने से  किरकिरी होते देख वन विभाग ने अब न्यायालय में अपील दायर कर अपना पक्ष रखा है,जबकि यही काम यदि वह समय रहते करता तो यह नौबत ही नहीं आती।

अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक,दफ्तर सील होने की यह कार्यवाही बीस साल पुराने एक मामले में गत 11 जुलाई को हुई। विभागीय कर्मचारी जब सुबह अपने कार्यालय पहुंचे तो दफ्तर के बाहर अदालत का नोटिस चस्पा व गेट पर ताला लटका देख सकते में आ गए। 

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समय पर सफाई देते तो ताले की नौबत न आती

दरअसल, वर्ष 2005 में बालाघाट में पश्चिम उत्पादन वनमंडल नामक कार्यालय सक्रिय था, जो वर्ष 2013 में बंद कर दक्षिण उत्पादन में मिला दिया गया। इस दौरान कल्पतरू एग्रो फॉरेस्ट प्रा.लि., कोलकाता नामक फर्म ने विभाग से बड़ी मात्रा में बांस की खरीदारी की थी।

कोलकाता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया

फर्म ने बकायदा भुगतान भी किया, लेकिन कार्यालय के बंद हो जाने के बाद वह बांस उठाव नहीं कर सका। फर्म ने विभाग से अपनी जमा रकम वापस मांगी लेकिन सरकारी ढर्रे में उसकी आवाज दब कर रह गई। नतीजतन,कंपनी ने अपने न्याय क्षेत्र वाले कोलकाता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। 

हैरत की बात यह कि मध्‍य प्रदेश  वन विभाग के अफसरों की नींद केस न्यायालय पहुंचने पर भी नहीं खुली। विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की ओर से समय पर अपना पक्ष नहीं रखे जाने से न्यायालय ने मप्र वन विभाग को कल्पतरू एग्रो फॉरेस्ट प्रा.लि.को मय ब्याज के 1.20 करोड़ रुपए अदा करने को कहा।

एक  भी पेशी पर नहीं पहुंची ओआयसी

सूत्रों के मुताबिक,प्रकरण में बालाघाट वन मंडल डीएफओ (उत्पादन) नेहा श्रीवास्तव को विभाग की ओर से ओआयसी  (ऑफिसर-इन-चार्ज) बनाया गया था। इन्हें न्यायालय में विभाग का पक्ष रखना था,लेकिन वह सुनवाई में पहुंची ही नहीं।इस पर न्यायालय ने नाराजगी भी जताई।

बाद में एक पक्षीय फैसला आने से विभाग की ​किरकिरी हुई। इसके चलते नेहा श्रीवास्तव को हटाकर इसी वनमंडल की टेरीटोरियल शाखा में पदस्थ कर दिया गया। 

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आदेश की अनदेखी और आई कुर्की की नौबत

वन अफसरों ने न्यायालय के भुगतान वाले आदेश की भी परवाह नहीं की। इस पर न्यायालय ने गत 10 जुलाई को एक  अन्य आदेश जारी कर बालाघाट वन संरक्षक व दक्षिण वनमंडल कार्यालय को सील करने व भुगतान न होने पर कुर्की के आदेश दिए। अगले ही दिन फर्म ने कोर्ट के इस आदेश का हवाला देकर वन विभाग के इस दफ्तर पर तालाबंदी कर दी। वह दिन और आज का, विभागीय अफसर इस घटनाक्रम के बाद एक-दूसरे का मुंह ताकते रहे।

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एक माह बाद दायर की अपील

विभाग की ओर से बीते सप्ताह ही कोर्ट में अपील दायर कर अपना पक्ष रखने की गुहार की है। प्रकरण में अगली सुनवाई आगामी सोमवार को होगी। फिलहाल कोर्ट का अगला फैसला आने तक बालाघाट वन संरक्षक गौरव चौधरी  अपने अधिनस्थों के साथ दूसरे वनमंडल के कार्यालयों में बैठकर अपना कामकाज निपटा रहे हैं।

इस बारे में वन संरक्षक चौधरी ने बताया कि न्यायालय में अपील दायर हो चुकी है। आगे न्यायालय का जो भी फैसला होगा,उसे मान्य किया जाएगा।  बालाघाट news 

भोपाल बालाघाट news डीएफओ