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मध्यप्रदेश के नक्सल प्रभावित बालाघाट जिले में पुलिस ने 46 थानों और कैंपों में एकल सुविधा केंद्र शुरू किए हैं। इन केंद्रों के माध्यम से आदिवासी समुदाय को विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है। यह पहल "ऑपरेशन पहचान" के तहत लागू की गई है, जिसमें आधार कार्ड, आयुष्मान योजना, वृद्धावस्था पेंशन और वनाधिकार पट्टों जैसे दस्तावेज उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
नक्सलियों द्वारा विरोध
शुरुआत में नक्सलियों ने ग्रामीणों को इन केंद्रों से दूर रहने के लिए उकसाया। लेकिन जब लोगों को इन केंद्रों से सीधे सरकारी लाभ मिलने लगे, तो उनका नजरिया बदल गया। इसका सबसे बड़ा उदाहरण तब देखने को मिला जब कुख्यात नक्सली कमांडर संपत की पत्नी हिरोड़ा बाई स्वयं पुलिस कैंप पहुंची और वनाधिकार पट्टे का फॉर्म भरकर जमा किया।
मॉडल को लागू करने की योजना
अब इस मॉडल को MP के 89 आदिवासी ब्लॉकों में लागू किया जाएगा। सीएम मोहन यादव ने हाल ही में सीएम हाउस में इस फैसले को मंजूरी दी। मुख्यमंत्री ने वन अधिकार अधिनियम और पेसा एक्ट के कार्यान्वयन पर राज्य स्तरीय टास्क फोर्स से चर्चा की और इसे प्रदेश भर में लागू करने का निर्देश दिया।
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आदिवासियों को मिलेगा फायदा
बालाघाट के एसपी आदित्य मिश्रा ने 2022 में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पुलिस चौकियों को एकल सुविधा केंद्रों में बदलने की शुरुआत की थी। यह पायलट प्रोजेक्ट ग्रामीणों, खासकर आदिवासी वर्ग को सरकारी योजनाओं से जोड़ने का महत्वपूर्ण कदम था। इस पहल के तहत आदिवासियों को वनाधिकार पट्टों, जाति प्रमाण पत्र और अन्य सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ मिल रहा था।
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युवाओं के लिए सम्मेलन
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने आदिवासी छात्रों और युवाओं के लिए सम्मेलन आयोजित करने की बात कही थी। इस सम्मेलन से सरकार इन बच्चों तक पहुंचने वाले लाभ का फीडबैक लेगी। जो लोग सरकारी योजनाओं और सुविधाओं से वंचित हैं, उन्हें मदद मिल सकेगी।
पेसा एक्ट और वनाधिकार पट्टों का निराकरण
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि 31 दिसंबर तक वनाधिकार पट्टों का निराकरण किया जाए। इसके लिए पेसा मोबिलाइजर्स का सहारा लिया जाएगा, जो जनजातियों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करेंगे और उन्हें योजनाओं का लाभ दिलाएंगे। पेसा मोबिलाइजर्स को ग्राम सभाओं द्वारा नियुक्त किया जाएगा और उनकी कार्यप्रणाली की निगरानी की जाएगी।
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