क्या उज्जैन से जन्मी मराठी? इतिहास के पन्नों से उठे सवाल, जानिए जानकारों की राय...

महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर सियासत गरमाई हुई है। विशेषज्ञों के अनुसार, मराठी भाषा की जड़ें उज्जैन से जुड़ी हुई मानी जाती है। वि.भि. कोलते ने अपने शोध में इसे 'मराठी का मायका' बताया है।

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The Sootr
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UJJAIN. महाराष्ट्र इन दिनों एक बार फिर भाषा की राजनीति की आग में तप रहा है। मराठी को लेकर शिवसेना के उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के राज ठाकरे एक मंच पर आ गए हैं।

इसके पीछे सियासी तौर पर वजह महा नगरपालिका के चुनाव हैं। इस सियासत के बीच पुराना सवाल फिर चर्चा में है कि क्या मराठी भाषा की जड़ें उज्जैन में हैं?

'द सूत्र' की पड़ताल में यह तथ्य सामने आया कि उज्जैन (पुराना नाम अवंति या उज्जयिनी) मराठी का पहला घर रहा है। जाने-माने भाषाविद् वि.भि.कोलते ने अपने शोध आलेख 'अवंति: मराठी का मायका' में यही लिखा था। उनका शोध 1946 में 'विक्रम स्मृति ग्रंथ' में छपा था।

कोलते के मुताबिक, छठवीं-सातवीं सदी में उज्जैन और आसपास के इलाकों में नागर अपभ्रंश बोली जाती थी। इसी से मराठी की नींव पड़ी। बाद में यही नागर अपभ्रंश यादव कालीन मराठी बनी। उसी में संत ज्ञानेश्वर ने ज्ञानेश्वरी जैसा अद्भुत ग्रंथ लिखा। उस वक्त की मराठी को मह्राटी या देशी भाषा कहा जाता था।

यादव राजाओं ने दिया राजभाषा का दर्जा 

इतिहास में दर्ज है कि यादव राजाओं ने मराठी को राजभाषा का दर्जा दिया। साहित्य, शिलालेख और तत्कालीन शासन प्रणाली में इसके प्रमाण मिलते हैं। यादवों ने 860 ईस्वी से लेकर 1313 तक महाराष्ट्र के उत्तर-पूर्वी इलाके पर राज किया। देवगिरी उनकी राजधानी थी, जो आज दौलताबाद के नाम से जाना जाता है।

दिलचस्प यह है कि अवंति प्रदेश में शौरसेनी और महाराष्ट्री प्राकृत से मिलकर जो भाषा तैयार हुई, उसे भरतमुनि ने अपने नाट्यशास्त्र में भी दर्ज किया है। इतिहासकार बताते हैं कि प्राचीन समय में उज्जैन को ही महाराष्ट्र का शुरुआती हिस्सा माना जाता था।

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सिंधिया शासनकाल में मराठी प्रमुख भाषा रही 

सिंधिया शासनकाल में भी मराठी प्रमुख भाषा रही। जानकार मानते हैं कि उज्जैन की धरती ने मराठी को जन्म देने के साथ उसे पहचान भी दी। हालांकि कुछ विद्वान मानते हैं कि मराठी के विकास की कहानी सिर्फ उज्जैन तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे दक्षिणी भारत में इसकी यात्रा फैली हुई है। मराठी की इस विरासत ने आज महाराष्ट्र की राजनीति को फिर नया मोड़ दे दिया है। 

ये सिर्फ वोट बैंक की राजनीति 

वि.भि.कोलते के शोध के हिन्दी अनुवादक व वरिष्ठ पत्रकार अजय ​बोकिल महाराष्ट्र में भाषा के विवाद पर मुखर होकर अपनी बात रखते हैं। उनका कहना है कि महाराष्ट्र में जो चल रहा है, वह वोट बैंक की राजनीति से ज्यादा कुछ नहीं। ये मराठी और हिन्दी के नाम पर वोटों के ध्रुवीकरण का प्रयास है। नेताओं को कितनी सफलता मिलेगी, ये भविष्य बताएगा। हां, यह जरूर है कि योजनाकार बिना दूरगामी परिणामों के ऐसे फैसले ले लेते हैं, जो व्यवहारिक रूप से उचित ही नहीं।

उन्होंने सवाल करते हुए कहा, क्या ये संभव है कि पहली क्लास का बच्चा तीन भाषाएं सीख जाएगा? उन्होंने कहा, कोलते ने सीधे तौर पर यह दावा नहीं किया कि उज्जैन ही मराठी की जन्मस्थली है। उन्होंने कालखंड और चर्चाओं के आधार पर ये अनुमान जताया है। 

मराठी भाषा कहां से आई है?

मराठी मुख्य रूप से महाराष्ट्र में बोली जाती है। 1966 से यह महाराष्ट्र की आधिकारिक भाषा है। मराठी को लेकर विद्वानों के अलग अलग मत हैं। कुछ विद्वानों का कहना है कि मराठी 1300 साल से भी पुरानी भाषा है।

इसकी शुरुआत संस्कृत से हुई थी। फिर यह प्राकृत और अपभ्रंश के जरिए विकसित होती गई। मराठी के व्याकरण और वाक्य रचना का आधार भी पाली और प्राकृत से लिया गया है। प्राचीन समय में मराठी को महराट्टी, मरहट्टी और महाराष्ट्री जैसे नामों से जाना जाता था।

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