बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व बना डेथ जोन, 42 महीने में 40 बाघ मरे, 14 हाथी भी ढेर
मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 42 महीनों में 40 बाघों की मौत हो चुकी है। इन मौतों के कारणों में क्षेत्रीय संघर्ष, बीमारी, करंट और अज्ञात कारण शामिल हैं। इसके अलावा, 14 हाथियों की भी मौत हुई है। यह आंकड़े सुरक्षा के मुद्दे की ओर इशारा करते हैं।
BHOPAL.मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। जनवरी 2022 से जुलाई 2025 के बीच कुल 40 बाघ दम तोड़ चुके हैं। यह चौंकाने वाला आंकड़ा खुद सरकार ने विधानसभा में पेश किया है। इसका मतलब साफ है कि हर महीने औसतन एक बाघ की मौत हो रही है।
कांग्रेस विधायक फुंदेलाल सिंह मार्को ने सवाल लगाया था, जिसके लिखित जवाब में सरकार ने यह जानकारी दी है। जवाब में दावा किया गया है कि ज्यादातर बाघों की मौत टेरिटोरियल फाइट्स (क्षेत्रीय संघर्ष) के कारण हुई है। इसके अलावा बीमारी, करंट और कुछ मामलों में अज्ञात कारण भी मौत की वजह बने हैं।
हर तीसरा मरा जानवर बाघ
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 42 महीनों में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में कुल 108 जानवरों की मौत हुई, जिनमें 40 बाघ शामिल हैं। यानी हर तीसरा जानवर जो मारा गया, वह बाघ था। सवाल ये है कि जब यह इलाका टाइगर रिजर्व है, तब बाघ ही सबसे असुरक्षित क्यों हैं?
यही नहीं, अक्टूबर-नवंबर 2024 में यह टाइगर रिजर्व तब भी चर्चा में आया था, जब 11 जंगली हाथी रहस्यमयी परिस्थितियों में मारे गए थे। तब सरकार ने दावा किया था कि 2018 से यह हाथी इस रिजर्व को अपना स्थायी ठिकाना बना चुके थे और 70-80 की संख्या में झुंड बनाकर घूमते हैं। अब सामने आया है कि जनवरी 2022 से जुलाई 2025 के बीच 14 हाथी भी मारे जा चुके हैं।
अंतरराष्ट्रीय पहचान को चोट
उमरिया जिले में स्थित बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व मध्यप्रदेश की शान है। यह UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट भी है। 1 हजार 526 वर्ग किलोमीटर में फैले इस रिजर्व में 2022 की गणना के अनुसार 165 बाघ थे, जो देश में सबसे घनी बाघ आबादी में से एक है।
यह इलाका बाघों के साथ हाथी, बायसन, भालू, तेंदुए, चीतल, सांभर और नीलगाय जैसे वन्यजीवों का ठिकाना है। बांस और साल के घने जंगल इस रिजर्व की प्राकृतिक खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। यही वजह है कि यह पर्यटकों के लिए भी बड़ा आकर्षण बना हुआ है।
बाघों की मौत का आंकड़ा: बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में जनवरी 2022 से जुलाई 2025 तक 40 बाघों की मौत हो चुकी है, जिससे हर महीने औसतन एक बाघ की मौत हो रही है। इन मौतों के कारणों में क्षेत्रीय संघर्ष, बीमारी, करंट और अज्ञात कारण शामिल हैं।
हाथियों की मौत का मामला: इसी अवधि में 14 हाथी भी मारे गए हैं। पहले अक्टूबर-नवंबर 2024 में 11 हाथियों की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हुई थी, जो इस रिजर्व में बड़े पैमाने पर एक झुंड के रूप में घूमते थे।
रिजर्व की अंतरराष्ट्रीय पहचान पर खतरा: UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों और अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं। यह रिजर्व मध्यप्रदेश की शान है, लेकिन वन्यजीवों की मौतों के बढ़ते आंकड़े इसकी अंतरराष्ट्रीय पहचान को खतरे में डाल सकते हैं। टाइगर डेथ जोन