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Photograph: (The Sootr)
सुनील जैन
राजस्थान (Rajasthan) के मशहूर टाइगर रिजर्व सरिस्का (Sariska Tiger Reserve) में वयस्क होते जा रहे बाघों को रेडियो कॉलर लगाया जाएगा। ये बाघ सरिस्का के लिए चुनौती बनते जा रहे हैं, क्योंकि 2 साल का होने के बाद ये टाइगर अपनी टेरिटरी बनाते हैं। वे कभी अपनी टेरिटरी बनाने के लिए सरिस्का जंगल से बाहर भी चले जाते हैं। अब इन पर निगरानी रखने के लिए रेडियो कॉलर लगाए जाने का प्रस्ताव है।
सरिस्का में छह टाइगर को लगेंगे रेडियो कॉलर
नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) की स्वीकृति के उपरांत इन बाघों के रेडियो कॉलर लगाए जाएंगे। कई मेल टाइगर सरिस्का का जंगल छोड़कर सवाईमाधोपुर ,दौसा, हरियाणा और जयपुर तक पहुंच गए थे। इनमें से कई बाघों का पता भी नहीं लगा है। अब उनकी निगरानी बहुत जरूरी हो गई है। रेडियो कॉलर लगाए जाने के बाद उनके हर मूवमेंट पर नजर रहेगी। अभी नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी से स्वीकृति मांगी गई है। पहले चरण में 6 मेल टाइगर को रेडियो कॉलर लगाए जाने का प्रस्ताव है।
टाइगर की निगरानी के लिए रेडियो कॉलर जरूरी
सरिस्का के उपवन संरक्षक अभिमन्यु सहारण ने बताया कि छह मेल टाइगर्स की उम्र 16 से 20 माह है। चार महीने बाद वे अपनी मां से अलग रहकर टेरिटरी बनाएंगे। इनकी निगरानी जरूरी है। रेडियो कॉलर लगाए जाने का प्रस्ताव एनटीसीए को भेज दिया गया है।
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बाघ एसटी 2303 पहुंच गया था हरियाणा
अगस्त 2024 में बाघ एसटी 2303 सरिस्का से निकलते हुए कोटकासिम और भिवाड़ी के रास्ते हरियाणा के झाबुआ बीड में पहुंच गया था। करीब 3 महीने यहां रहने के बाद इसका बड़ी मुश्किल से रेस्क्यू कर उसे रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट में शिफ्ट किया गया, जहां टेरिटोरियल फाइट में उसकी मौत हो गई थी। इस समय एस टी 2305 भी बाहर निकल गया। एक महीना तक उसका कोई पता नहीं चला। बाद में जानकारी आया कि वह जयपुर ग्रामीण क्षेत्र में दिखाई दिया है। अब अजबगढ़ रेंज में उसका मोमेंट बताया जा रहा है।
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रोजाना 200 किलोमीटर तक मूवमेंट
अधिकारियों का कहना है कि वयस्क होते ये बाघ एक ही दिन में 150 से 200 किलो मीटर तक मूवमेंट कर लेते हैं। कई बार ये आबादी क्षेत्र में पहुंच जाते हैं। मानव डिस्टरवेंस के चलते हिंसक भी हो सकते हैं। वर्ष 2008 के बाद जितने भी टाइगर बाहर से ले गए थे वह सभी रेडियो कॉलर के साथ जंगल में छोड़े गए थे। कुछ टाइगर्स का रेडियो कॉलर खराब भी हो गया था। बाद में इसे बदला भी गया, लेकिन सरिस्का में आकर उनकी संतान उत्पत्ति के बाद रेडियो कॉलर नहीं लगाए गए।
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रेडियो कॉलर क्या होता है और यह कैसे काम करता है?रेडियो कॉलर एक उपकरण है जिसे जानवरों के गले में बांधकर ट्रांसमीटर लगाया जाता है, जो रेडियो तरंगें भेजता है।
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सरिस्का में टाइगर को मानसून के बाद लगेगा रेडियो कॉलर
बाघों को मानसून में रेडियो कॉलर लगाना बहुत बड़ी चुनौती है। इसलिए माना जा रहा है कि अगर एनटीसीए द्वारा स्वीकृति मिलती है तो मानसून के बाद रेडियो कॉलर लगाया जाएगा। मानसून में टाइगर ऊपरी हिस्से में रहते हैं।
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क्या सरिस्का में पहले भी बाघों को रेडियो कॉलर लगाए गए हैं?
वर्ष 2008 के बाद, जितने भी बाघों को बाहर से लाकर सरिस्का में छोड़ा गया था, उन सभी बाघों को रेडियो कॉलर (Radio Collar) के साथ जंगल में छोड़ा गया था। कुछ बाघों का कॉलर खराब हो गया था, जिन्हें बाद में बदलना पड़ा था। लेकिन सरिस्का में आने के बाद इन बाघों की संतान के लिए कॉलर नहीं लगाए गए थे।
सरिस्का में अब 48 टाइगरवर्तमान में सरिस्का टाइगर रिजर्व में 48 बाघ हैं, जिनमें 11 मेल बाघ (Male Tigers), 18 फीमेल बाघ (Female Tigers) और 19 शावक (Cubs) शामिल हैं। इन बाघों में से एक बाघ ST 2402 का रेडियो कॉलर अभी भी लगा हुआ है। यह बाघ जनवरी में दौसा बांदीकुई (Dausa Bandikui) क्षेत्र में पहुंच गया था, जहां वन विभाग की टीम पर उसने हमला किया था। बाद में उसे ट्रेंकुलाइज कर रेडियो कॉलर लगाया गया और फिर सरिस्का में छोड़ा गया। |
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