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Photograph: (the sootr)
राजस्थान के अलवर जिले में स्थित सरिस्का टाइगर रिजर्व में क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट (CTH) की सीमाओं में बदलाव पर खनन माफिया को फायदा पहुंचाने के लगे आरोपों की सुनवाई अब सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति कर रही है। समिति ने राजस्थान में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली को शिकायत संबंधी आवश्यक दस्तावेजों के साथ दिल्ली बुलाया है।
दरअसल, सरिस्का की CTH को बदलने के प्रस्ताव को केंद्रीय वन्य जीव बोर्ड से हरी झंडी मिल गई है। आरोप है कि सीमा बदलाव से सरिस्का के आसपास बंद पड़ी 50 से अधिक खदानों को जीवनदान मिल जाएगा। विपक्ष का आरोप है कि इस सीमा बदलाव के जरिए 500 करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार किया जा रहा है। केंद्र और राज्य के वन एवं पर्यावरण मंत्री इन आरोपों के घेरे में हैं।
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली पहुंचे दिल्ली
सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति के बुलावे के बाद नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली दिल्ली पहुंच गए हैं। वे दस्तावेजों के साथ अपना पक्ष समिति के सामने प्रस्तुत करेंगे। बताया जाता है कि टीकाराम जूली यह बताएंगे कि किस तरह सरिस्का की सीमा परिवर्तन से खदानों को फायदा पहुंचाया जा रहा है।
विरोध में भेजे जा रहे ईमेल
उधर, बाघों के घर सरिस्का को बचाने के लिए पर्यावरणविद् 14 जुलाई से ‘सरिस्का बचाओ अभियान’ चला रहे हैं। आंदोलनकारियों का कहना है कि देश के चीफ जस्टिस, केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और अन्य सरकारी अधिकारियों को 680 से अधिक ईमेल भेजे गए हैं, जिनमें उनसे सरिस्का टाइगर रिजर्व की सीमाओं को दोबारा निर्धारित करने के प्रस्ताव को रद्द करने का अनुरोध किया गया है। इस पर्यावरण आंदोलन को बल मिल रहा है।
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ऐसे मिलेगा खदानों को अभयदान
अभियान से जुड़े पशु अधिकार कार्यकर्ता अजय जो का कहना है कि चिंता का एक बड़ा विषय यह है कि इससे सरिस्का रिजर्व की पुनः निर्धारित सीमाओं के आसपास संगमरमर, डोलोमाइट, चूना पत्थर और मेसोनिक पत्थर की लगभग 50 खदानें फिर से शुरू हो सकती हैं। यह कदम पूरी तरह से कानून के शासन के विरुद्ध हैं, क्योंकि इससे कानून तोड़ने वालों को पुरस्कृत किया जाएगा। देश के अन्य सभी संरक्षित क्षेत्रों में इसी तरह की अवैधताओं को वैध बनाने के लिए खतरनाक मिसाल कायम होगी।
प्रस्ताव को किया जाए निरस्त
अजय के अनुसार, सीमाओं के युक्तिकरण की प्रक्रिया का उपयोग बंद पड़ी खदानों को फिर से शुरू करने और बाघों की आवाजाही के महत्वपूर्ण क्षेत्रों को अभयारण्य से बाहर निकालने के रूप में नहीं किया जाना चाहिए। इस प्रस्ताव को पूरी तरह से रद्द किया जाए, सरिस्का अभयारण्य की सीमाओं के चारों ओर वर्तमान में 1 किलोमीटर के दायरे में स्थापित बफर जोन को बढ़ाया जाए और सरिस्का के महत्वपूर्ण बाघ आवास के निकट अवैध खदानों को बंद करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के मई, 2024 के निर्देश को बरकरार रखा जाए।
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