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नीमच में 16 साल पुराने फर्जी बंशी गुर्जर एनकाउंटर मामले (Banshi Gurjar fake encounter case) में 18 पुलिस अधिकारी और कर्मचारियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इस मामले में सीबीआई ने अलग-अलग गवाहों के बयान लेने के बाद इस एनकाउंटर की कड़ियां काफी हद तक जोड़ ली हैं। इन सभी आरोपियों को अब हत्या के प्रयास की धारा 307 की जगह हत्या की धारा 302 का आरोपी बना दिया है। वहीं इस मामले में द सूत्र को मिली ऑन रिकॉर्ड जानकारी से पूरे एनकाउंटर का खुलासा हो रहा है।
35 लाख रुपए में हुई थी पुलिस और बंशी की डील
सीबीआई ने इस मामले में रिपोर्ट बनाई है कि इस एनकाउंटर के लिए पुलिस और नामी गुंडे बंशी गुर्जर के बीच 35 लाख रुपए की डील हुई थी। इसके तहत बंशी को मृत बताया जाना था। इसी डील के तहत पुलिस ने रामपुरा थाने में बंद एक व्यक्ति की हत्या की।
सीबीआई ने उस दौरान थाने में काम करने वाले एक व्यक्ति के बयान से बताया कि थाने में बंद एक पागल जैसे दिखने वाले व्यक्ति को प्रेस किए दूसरे कपड़े पहनाए गए। सुबह उसे बंशी बताया गया, लेकिन जब उसका चेहरा और कपड़े देखे तो मैं पहचान गया कि यह तो वही है जो रात में थाने में था और अब इसे बंशी बताया जा रहा है और यह मर चुका है, इसके सिर पर चोट लगी है।
बंशी ने बताया- उदयपुर से लाया लाश
उधर बंशी गुर्जर ने सीबीआई में जो बयान दिए हैं। इसमें इस एनकाउंटर को लेकर कहानी यह है कि- उसने खुद ही उदयपुर राजस्थान से एक लाश का इंतजाम किया और उसे मृत बताया। इसके लिए पूरी डील की गई थी।
बंशी गुर्जर से जुड़ी इस खबर को शॉर्ट में समझें
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आरोपी पुलिस अधिकारियों ने ऐसे एनकाउंटर बताया
इस एनकाउंटर मामले में पुलिस ने जो रामपुरा थाने नीमच में एफआईआर लिखवाई, जो तत्कालीन थाना प्रभारी ग्लैडविन ने ही लिखवाई थी। इसके अनुसार बात करें तो- ग्लैडविन रामपुरा टीआई थे, मनासा एसडीओपी अनिल पाटीदार थे। सात फरवरी 2009 को एसपी वेदप्रकाश शर्मा ने जानकारी दी कि बंशी गुर्जर गांधीसागर की ओर से छिपा हुआ है और रात को अपने घर पर पेशन मोटरबाइक से नलवा जा रहा है। इसके पास हथियार रहते हैं। थाना प्रभारी कुकडेशवर पीएस परमार और टीआई बघाना मुख्त्यार कुरैशी व मनासा टीआई विवेक गुप्ता को भी खबर दी गई।
गुर्जर को पकड़ने के लिए दो दल बने एक में टीआई परमार, कुरैशी के साथ प्रधानआरक्षक श्याम पाल सिंह, वेणीराम, आर अनोखी लाल, आर अनवर, मंगल सिंह थे। दूसरे दल में ग्लेडविन, विवेक गुप्ता, अनिल पाटीदार, भगवान सिंह, नीरज प्रधान, फतेह सिंह दुर्गाशंकर तिवारी, आर मनुरव्दीन, कमलेंद्र थे। एक दल बाइक की जांच कर रहा था तभी पहले दल के लोगों की आवाज आई गुर्जर सरेंडर कर दो, उनकी बात सुनकर दूसरे दल वालों ने बाइक वाले को देखा और आवाज लगाई सरेंडर कर दो, तभी उसने दो फायर किए एक ग्लेडविन की बाजू पर और दूसरी गुप्ता के रगड़ करते हुए लगी। ग्लेडविन और गुप्ता ने गोली चलाई, वहीं मनासा एसडीओ पाटीदार ने भी गोली चलाई, वह गिर गया। उसके पास डायरी व अन्य कागज थे इसमें बंशी गुर्जर नाम लिखा था, वह घायल था उसे रामपुरा अस्पताल ले गए, वहां मौत हुई।
अब कैसे पता चला गुर्जर जिंदा है
गुर्जर का एक साथी घनश्याम कुछ दिन बाद सड़क एक्सीडेंट में मारा गया। इसका भी केस हुआ। लेकिन एक मुखबिर की सूचना पर पुलिस को पता चला कि घनश्याम तो जिंदा है और उज्जैन जेल में है। इस पर उससे पुलिस ने पूछताछ की तो पता चला कि यह गुर्जर ने ही उसे बताया था कि मरने की नौटंकी करो, सारे केस खत्म हो जाएंगे। घनश्याम के पास मोबाइल में एक वीडियो मिला जिसमें एक कार्यक्रम में बंशी नाचते हुए दिखा। इस पर पुलिस चौंक गई। उसका पता निकाला और आईजी उज्जैन उपेंद्र जैन ने टीम बनाकर बंशी गुर्जर को जिंदा पकड़ लिया।
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तीन गिरफ्तार, बाकी पुलिस अधिकारी गायब
सीबीआई इस मामले में डीएसपी ग्लैडविन एडवर्ड कार, दुर्गाशंकर तिवारी और नीरज प्रधान को गिरफ्तार कर चुकी है और यह जेल में हैं। वहीं कुल 18 पुलिस अधिकारी, कर्मचारी आरोपी हैं। बाकी की तलाश जारी है। अनिल पाटीदार जो अभी बड़वानी एडिशनल एसपी है और उस समय मनासा एसडीओ थे, वह मोबाइल बंद कर गायब है। विवेक गुप्ता जो पीथमपुर सीएसपी थे और अभी हटाया गया है, उस समय मनासा टीआई थे, मुख्त्यार कुरैशी एसीपी भोपाल जो उस समय टीआई बघाना थे सभी भी जांच के घेरे में हैं। इन सभी ने अग्रिम जमानत आवेदन लगा रखे हैं।
बाकी यह पुलिसवाले भी बने हैं आरोपी
बाकी आरोपियों में- परशुराम सिंह परमार, मंगल सिंह पपोला, बेनीराम, अनोखेलाल राठौर, श्यामपाल सिंह भदौरिया, शेख अनवर, भगवानसिंह, कमलेंद्र सिंह, मुनब्बरूद्दीन, सैय्यद उवैश अली, चतर्भुज गुर्जर पर भी आईपीसी धारा 302, 120बी, 119, 193 व 201 के तहत केस दर्ज किया गया है।
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