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Photograph: (thesootr)
लैंड पुलिंग एक्ट की खिलाफत और किसानों से जुड़ी अन्य मांगों को लेकर अब किसान खुलकर सामने आ गए हैं और उन्होंने मध्यप्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। प्रदेश व्यापी प्रदर्शन की कड़ी में जबलपुर पहुंचे किसान ट्रैक्टर और कल्टीवेटर जैसे उपकरण लेकर आए थे जिसके पीछे उनका यह कहना था कि जब सरकार उनसे किसी करने का हक ही छीन रही है तो यह उपकरण भी जिला मुख्यालय में ही रख लिया जाए।
भारतीय किसान संघ का प्रदर्शन
भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में सोमवार को जबलपुर में हुई विशाल ट्रैक्टर रैली और ज्ञापन कार्यक्रम के बाद आंदोलन का स्वर और तीखा हो गया है। मांगों को लेकर जिला मुख्यालय पर हुए किसान आंदोलन और प्रदर्शन में संघ के राष्ट्रीय प्रचार सचिव राघवेंद्र पटेल ने मुख्यमंत्री को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि मांगे पूरी नहीं की गईं, तो आगामी आंदोलन राजधानी भोपाल की धरती पर और भी बड़े स्तर पर होगा।
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लैंड पुलिंग एक्ट किसानों को लूटने का जरिया
भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय प्रचार सचिव राघवेंद्र पटेल ने सरकार द्वारा लाए गए लैंड पुलिंग एक्ट को किसानों को खत्म करने की साजिश करार दिया। उन्होंने कहा कि “जमीन किसान की मां होती है। किसान अपनी जमीन का एक इंच भी छीने जाने को कभी बर्दाश्त नहीं करेगा।
यह एक्ट किसानों को उनकी जमीन से बेदखल करने और उनकी मेहनत की जड़ों को खत्म करने की योजना है। सरकार किसानों को खत्म कर देना चाहती है ताकि वे न तो बिजली की मांग करें और न ही पानी की।”
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भारतीय किसान संघ ने प्रशासन को सौंपा ज्ञापन
रैली के दौरान किसानों को कलेक्टर कार्यालय पहुंचने से पहले घंटाघर पर बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया गया। इसके बाद किसानों ने वहीं पर धरना जैसा माहौल बनाकर नारेबाजी की और फिर अपनी मांगों का ज्ञापन अपर कलेक्टर नाथूराम गोड को सौंपा।
भारतीय किसान संघ की प्रमुख मांगें और मुद्दे...
ज्ञापन में किसानों की मांगें और कई गंभीर समस्याओं का उल्लेख किया, जिनमें शामिल हैं—
लैंड पुलिंग एक्ट को तुरंत वापस लिया जाए।
गेहूं 2700 और धान 3100 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदी की जाए।
धान, गेहूं, मूंग और उड़द के रुके हुए भुगतान किए जाएं।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में पारदर्शिता हो और उपज का वास्तविक आकलन सुनिश्चित किया जाए।
मंडियों में आधुनिक परीक्षण, ग्रेडिंग मशीनें और बड़े तौल कांटे लगाए जाएं।
जले हुए ट्रांसफार्मरों को बदलने के लिए एंबुलेंस सेवा शुरू की जाए।
अतिवृष्टि, कीट व वायरस से प्रभावित फसलों की भरपाई बीमा और राहत राशि से की जाए।
देसी गाय के दूध पर 10 रुपए प्रति लीटर प्रोत्साहन राशि दी जाए और कृषि न्यायालय की स्थापना की जाए।
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भारतीय किसान संघ का दो टूक संदेश
किसान संघ ने साफ कर दिया है कि यदि सरकार ने किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए ठोस कदम नहीं उठाए, तो यह आंदोलन केवल ज्ञापन तक सीमित नहीं रहेगा। राष्ट्रीय प्रचार सचिव राघवेंद्र पटेल ने कहा कि “सरकार को अब यह समझ लेना चाहिए कि किसान अपनी जमीन और हक के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। भोपाल में आंदोलन हुआ तो वह प्रदेश की राजनीति की दिशा और दशा बदल देगा।”
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लैंड पुलिंग एक्ट के खिलाफ क्यों हैं किसान ?
लैंड पुलिंग एक्ट का कई राज्यों, खासकर मध्यप्रदेश में किसान संगठनों द्वारा विरोध किया जा रहा है। किसानों का कहना है कि इस एक्ट के तहत सरकार उनकी जमीन स्थायी रूप से अधिग्रहीत कर रही है जिससे उनकी आजीविका पर संकट आ जाएगा; वह चाहते हैं कि बिना उनकी सहमति के ज़मीन न ली जाए और उन्हें पूरा, पारदर्शी मुआवजा व पुनर्वास मिले। सिंहस्थ 2028 जैसी परियोजनाओं
के लिए उज्जैन और आसपास के 17 गांवों की 4 हजार हेक्टेयर जमीनों का स्थायी अधिग्रहण किया जा रहा है, जिससे किसान अपनी आजीविका व पारंपरिक नाता खोने का डर महसूस करते हैं। साथ ही विपक्ष और किसान संगठनों का आरोप है कि यह नीति कंपनियों और भू-माफियाओं को फायदा पहुंचा सकती है, मेला क्षेत्र की सांस्कृतिक व धार्मिक पहचान खतरे में पड़ सकती है, और किसान पुनर्वास व भविष्य से अनिश्चितता के शिकार हो सकते हैं।