उज्जैन में लैंड पूलिंग एक्ट पर फिर बिफरे किसान, संगठन ने कहा- निरस्त नहीं किया तो करेंगे बड़ा आंदोलन

भारतीय किसान संघ ने सिंहस्थ क्षेत्र से लैंड पुलिंग कानून निरस्त करने की मांग की है। साथ ही चेतावनी दी कि अगर सात दिन में मांगें पूरी नहीं हुई तो आंदोलन किया जाएगा। प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना ने संशोधन पर सवाल उठाए हैं।

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Manish Kumar
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कमल सिंह आंजना, प्रदेश अध्यक्ष, भारतीय किसान संघ Photograph: (The Sootr)

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BHOPAL. उज्जैन में लैंड पूलिंग का मामला एकबार फिर तूल पकड़ गया है। सरकार की वादाखिलाफी से नाराज किसान संघ ने एकबार फिर प्रदेशव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है। संघ ने कहा सिंहस्थ क्षेत्र में लैंड पूलिंग कानून सरकार निरस्त करे, अन्यथा हम फिर आंदोलन की राह पकड़ेंगे।

भारतीय किसान संघ के सदस्यों ने बुधवार, 3 दिसंबर को वर्चुअली बैठक के बाद यह फैसला लिया है। प्रदेश अध्यक्ष कमलसिंह आंजना ने कहा, सीएम डॉ. मोहन यादव ने लैंड पुलिंग कानून को निरस्त करने का वादा किया था। लेकिन, सरकार ने जो आदेश जारी किया, उसमें संशोधन की बात कही गई है। इसे लेकर आंजना ने प्रशासनिक अधिकारियों की मंशा पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि यह संशोधन किसके निजी हितों को साधने के लिए किया जा रहा है, यह स्पष्ट होना चाहिए।

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अन्य समस्याओं पर भी हुई चर्चा

भारतीय किसान संघ की बैठक में किसानों की अन्य समस्याओं पर भी चर्चा की गई। खाद की कमी, मक्का की एमएसपी पर खरीदी न होने और प्याज के दामों में गिरावट पर नाराजगी व्यक्त की गई। किसान संघ ने सरकार से मक्का और प्याज उत्पादक किसानों को प्रति क्विंटल राहत राशि देने की मांग की। इसके अलावा, बिजली की रात में सप्लाई और धान के कम खरीदी केंद्रों पर भी चर्चा की गई।

किसान संघ की बैठक में अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री गजेन्द्र सिंह, उपाध्यक्ष रामभरोस वासोतिया, भूमि अधिग्रहण आयाम के प्रमुख प्रमोद चौधरी, प्रचार प्रमुख राघवेन्द्र सिंह पटेल सहित प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य उपस्थित थे। बैठक में तीनों प्रांतों के अध्यक्षों और संगठन मंत्रियों ने आंदोलन की तैयारियों के लिए प्रांत, जिला, तहसील, और ग्राम समितियों में बैठकें आयोजित करने का निर्देश दिया।

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किसान संघ की प्रमुख मांगें 

  • सिंहस्थ लैंड पूलिंग कानून को निरस्त किया जाए।
  • किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस हों।
  • टीडीएस की धारा 8/9/10/11 के गजट नोटिफिकेशन को रद्द किया जाए।
  • सिंहस्थ क्षेत्र में स्थाई निर्माण पर रोक लगाई जाए।

गौरतलब है कि इस मसले को द सूत्र लगातार उठाता रहा है। इससे पहले हमने बताया था कि प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना की शुक्रवार, 21 नवंबर को अफसरों संग बैठक हुई थी। इसमें दावा किया गया था कि उनके सारे भ्रम दूर कर लिए गए हैं। अब एक बार फिर से किसान संघ आंदोलन की बात कह रहा है। खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें... 

जारी आदेश के बाद किसानों में है गुस्सा

उज्जैन में लैंड पूलिंग का विवाद फिर गरमा गया है। भारतीय किसान संघ के दबाव में सरकार ने मध्यप्रदेश लैंड पूलिंग एक्ट वापस लेने का ऐलान किया था। तब प्रदेशभर में किसानों ने राहत की सांस ली थी। इसके अगले ही दिन नगरीय प्रशासन विभाग ने संशोधित आदेश जारी कर दिया था। इसी आदेश ने किसान संगठनों को नाराज कर दिया है।

किसान संघ का आरोप है कि सरकार ने बातचीत में जो आश्वासन दिया था, उसे आदेश में शामिल नहीं किया गया। अब किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे बड़े आंदोलन की तरफ बढ़ेंगे।

लिखित में तय हुआ था कि एक्ट समाप्त होगा

भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना ने मीडिया से बातचीत में कई आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि सरकार के साथ हुई बैठक में साफ सहमति बनी थी। तय किया गया था कि सिंहस्थ क्षेत्र से लैंड पूलिंग एक्ट खत्म किया जाएगा। नगर विकास योजना (TDS–8, 9, 10, 11) के तहत जारी गजट नोटिफिकेशन को रद्द किया जाएगा।

संघ ने यह भी मांग रखी थी कि सिंहस्थ पहले की परंपरा के अनुसार आयोजित हो। किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएं। मेला क्षेत्र में स्थायी निर्माण पूरी तरह रोके जाएं। आंजना ने कहा, हमने सरकार को लिखित में अपनी शर्तें दी थीं, लेकिन संशोधित आदेश में ऐसा कुछ नहीं दिख रहा है। आदेश उलझाने वाला है। सरकार को दो दिन का समय दिया है। संशोधन को निरस्त किया जाए और बातचीत में जो वादे किए गए, उन्हें पूरा करे।

किसान बोले

किसान नेताओं का कहना है कि नए आदेश में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (TNCP) की धारा 50 और 12(क) पहले की तरह है। किसानों को इन्हीं धाराओं से आपत्ति है। प्रदेश अध्यक्ष आंजना ने कहा कि यही धाराएं किसानों की जमीन पर सरकारी अधिकार की शुरुआत करती हैं। बातचीत में यह तय हुआ था कि इन धाराओं को हटाया जाएगा, लेकिन आदेश से ऐसा लगता है कि सरकारी योजनाएं जस की तस चलेंगी।

यह है सरकार का नया आदेश

स्पिरिचुअल सिटी बनाने की थी योजना

बता दें कि सिंहस्थ क्षेत्र में सरकार ने 2344 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर स्पिरिचुअल सिटी बनाने की योजना बनाई थी। इसके लिए चार क्षेत्र टीडीएस 8, 9, 10 और 11 को चुना गया था। इन क्षेत्रों पर उज्जैन विकास प्राधिकरण का अधिकार था। अब इन चारों क्षेत्रों की जमीन का हक किसानों को वापस मिल गया है।

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सरकारी जमीन पर ही होगा पक्का निर्माण

नगरीय विकास विभाग के अनुसार, सरकार को निर्माण के लिए 70 हेक्टेयर जमीन चाहिए। इसमें से 23 हेक्टेयर सरकारी जमीन है। बाकी 45-50 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून के तहत होगा। सरकार का प्रयास है कि पक्का निर्माण ज्यादा सरकारी जमीन पर हो। इसके अलावा, 50 किलोमीटर सड़क बनाने की योजना है।

सिंहस्थ के लिए नए नियम लाने की योजना

सरकार सिंहस्थ मेला क्षेत्र के लिए एक नया कानून लाने की योजना बना रही है। इसका उद्देश्य मेला क्षेत्र में अतिक्रमण रोकना है। वर्तमान में मध्यभारत सिंहस्थ मेला एक्ट 1955 लागू है। जब मेला क्षेत्र में नया इंफ्रास्ट्रक्चर बनेगा, तो सरकार नए एक्ट में सख्त दंड जोड़ेगी। इस दंड का विवरण और जुर्माना कितनी राशि तक होगा, यह जल्द तय होगा।

क्या है लैंड पूलिंग एक्ट?

लैंड पूलिंग एक्ट के तहत, सरकार किसानों की जमीन लेकर पक्का निर्माण करती थी। इसके बाद आधी जमीन वापस लौटाई जाती थी, लेकिन मुआवजे का कोई प्रावधान नहीं था। इससे किसानों में असंतोष था। विरोध के बाद सरकार ने एक्ट में संशोधन किया है। अब नए नियमों के तहत सरकार 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून के तहत मुआवजा देने की बात कर रही है।

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सीएम डॉ. मोहन यादव भारतीय किसान संघ सिंहस्थ लैंड पूलिंग सिंहस्थ लैंड पूलिंग निरस्त कमलसिंह आंजना
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