लैंड पूलिंग एक्ट निरस्त नहीं, सिर्फ संशोधन, किसान संघ ने की रद्द करने की मांग

सिंहस्थ 2028 के लिए लैंड पूलिंग एक्ट में संशोधन किया गया है। वहीं, किसान संघ इसे रद्द करने की मांग कर रहे हैं। एक्ट में बदलाव के बावजूद किसानों में मुआवजे को लेकर नाराजगी बनी हुई है।

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Amresh Kushwaha
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UJJAIN. उज्जैन में सिंहस्थ 2028 के लिए लैंड पूलिंग एक्ट को लेकर बुधवार, 20 नवंबर को नया आदेश जारी किया गया है। यह आदेश मध्यप्रदेश सरकार के नगरीय विकास व आवास विभाग के जरिए जारी किया गया है। इसके अनुसार इस एक्ट को खत्म करने की बात नहीं है। वहीं, जबकि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दो दिन पहले इसे वापस लेने की बात की थी।

हालांकि, सरकार ने एक्ट को खत्म नहीं किया है। केवल एक धारा में बदलाव किया है। धारा 52(1) ख में धारा 50(12) क का संशोधन किया गया है। इसका मतलब है कि नियमों में बदलाव किया गया, एक्ट खत्म नहीं हुआ। इस बदलाव के बाद भी किसानों में नाराजगी बनी हुई है।

किसानों की चिंता बढ़ी

किसानों की मुख्य चिंता मुआवजे की राशि को लेकर है, जो सरकार तय करेगी। यदि सिंहस्थ क्षेत्र में पक्के निर्माण होते हैं, जैसे सड़क, बिजली, नाली या पानी की टंकी, तो जमीन स्थायी रूप से अधिग्रहित होगी।

इस स्थिति में किसानों को दोगुना मुआवजा मिल सकता है। वहीं, अस्थायी निर्माण के लिए कम मुआवजा मिलेगा, और यह बातचीत से तय होगा। किसानों को डर है कि पक्के निर्माण के बाद वे अपनी जमीन देने से मना नहीं कर पाएंगे। यदि कोई आपत्ति करेगा, तो उसे हाई कोर्ट जाना होगा।

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स्पिरिचुअल सिटी की योजना का असर

सिंहस्थ क्षेत्र में सरकार ने 2344 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर स्पिरिचुअल सिटी बनाने की योजना बनाई थी। इसके लिए चार क्षेत्र टीडीएस 8, 9, 10 और 11 को चुना गया था। इन क्षेत्रों पर उज्जैन विकास प्राधिकरण का अधिकार था। अब इन चारों क्षेत्रों की जमीन का हक किसानों को वापस मिल गया है।

एमपी में लैंड पूलिंग एक्ट की खबर पर एक नजर...

  • लैंड पूलिंग एक्ट में संशोधन: उज्जैन में सिंहस्थ 2028 के लिए लैंड पूलिंग एक्ट में बदलाव किया गया है, लेकिन एक्ट को पूरी तरह से समाप्त नहीं किया गया है। केवल धारा 52(1) ख में संशोधन किया गया है।

  • किसानों की चिंता: किसानों को मुआवजे की राशि पर चिंता है, विशेष रूप से पक्के निर्माण के बाद जमीन स्थायी रूप से अधिग्रहित होने पर। अस्थायी निर्माण के लिए कम मुआवजा मिलेगा।

  • स्पिरिचुअल सिटी योजना: सरकार ने सिंहस्थ क्षेत्र में 2344 हेक्टेयर भूमि पर स्पिरिचुअल सिटी बनाने की योजना बनाई थी, लेकिन अब इन क्षेत्रों की जमीन किसानों को वापस मिल गई है।

  • किसान संघ की मांग: किसान संघ ने लैंड पूलिंग एक्ट को पूरी तरह से खत्म करने, टीडीएस 8, 9, 10 और 11 की गजट नोटिफिकेशन रद्द करने, और किसानों पर दर्ज सभी मामले वापस लेने की मांग की है।

  • सरकारी निर्माण की योजना: सरकार सिंहस्थ मेला क्षेत्र के लिए नए नियम लाने की योजना बना रही है, जिसमें अतिक्रमण रोकने के लिए सख्त दंड और जुर्माने का प्रावधान होगा।

लैंड पूलिंग एक्ट करे खत्म- किसान संघ

भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना ने सरकार के आदेश को गोल-मोल बताया है। किसानों की मुख्य मांग है कि सिंहस्थ क्षेत्र में लैंड पूलिंग एक्ट पूरी तरह से खत्म किया जाए। इसके अलावा, टीडीएस 8, 9, 10 और 11 की गजट नोटिफिकेशन रद्द की जाएं। साथ ही किसानों पर दर्ज सभी मामले वापस लिए जाएं। किसान संघ का कहना है कि सिंहस्थ क्षेत्र में कोई भी स्थायी निर्माण न किया जाए।

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सरकारी जमीन पर ही होगा पक्का निर्माण

नगरीय विकास विभाग के अनुसार, सरकार को निर्माण के लिए 70 हेक्टेयर जमीन चाहिए। इसमें से 23 हेक्टेयर सरकारी जमीन है। बाकी 45-50 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून के तहत होगा। सरकार का प्रयास है कि पक्का निर्माण ज्यादा सरकारी जमीन पर हो। इसके अलावा, 50 किलोमीटर सड़क बनाने की योजना है।

सिंहस्थ के लिए नए नियम लाने की योजना

सरकार सिंहस्थ मेला क्षेत्र के लिए एक नया कानून लाने की योजना बना रही है। इसका उद्देश्य मेला क्षेत्र में अतिक्रमण रोकना है। वर्तमान में मध्यभारत सिंहस्थ मेला एक्ट 1955 लागू है। जब मेला क्षेत्र में नया इंफ्रास्ट्रक्चर बनेगा, तो सरकार नए एक्ट में सख्त दंड जोड़ेगी। इस दंड का विवरण और जुर्माना कितनी राशि तक होगा, यह जल्द तय होगा।

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किसान संघ का विरोध जारी

भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना ने सरकार के आदेश का विरोध किया है। उनका कहना था कि बदलाव के बाद भी किसानों को उलझाने की कोशिश हो रही है। उन्होंने सरकार को दो दिन का समय दिया है। यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो किसान संघ आंदोलन करेगा।

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क्या था लैंड पूलिंग एक्ट?

लैंड पूलिंग एक्ट के तहत, सरकार किसानों की जमीन लेकर पक्का निर्माण करती थी। इसके बाद आधी जमीन वापस लौटाई जाती थी, लेकिन मुआवजे का कोई प्रावधान नहीं था। इससे किसानों में असंतोष था। विरोध के बाद सरकार ने एक्ट में संशोधन किया है। अब नए नियमों के तहत सरकार 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून के तहत मुआवजा देने की बात कर रही है।

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