उज्जैन में लैंड पूलिंग के खिलाफ किसान संघ ने दिखाई ताकत, कहा- बातचीत-समझौते से हो समाधान

उज्जैन में भारतीय किसान संघ ने लैंड पुलिंग एक्ट के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन किया। किसानों ने तीन हजार ट्रैक्टरों के साथ प्रदर्शन कर सरकार से लैंड पुलिंग एक्ट को वापस लेने की मांग की। साथ ही किसान संघ ने संवाद और समझौते से समाधान का प्रस्ताव रखा।

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Manish Kumar
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Photograph: (The Sootr)

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BHOPAL/UJJAIN. उज्जैन में मंगलवार को भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में किसानों ने लैंड पुलिंग एक्ट के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन किया। किसानों ने तीन हजार से ज्यादा ट्रैक्टरों को सड़क पर उतार कर सरकार के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया। किसानों ने प्रदेश सरकार से लैंड पुलिंग एक्ट को तुरंत वापस लेने की मांग की।

इस विरोध प्रदर्शन में चंबल अंचल के सत्रह गांवों के किसानों के साथ-साथ जिलेभर के हजारों किसान मौजूद थे। इस दौरान किसानों ने कलेक्ट्रेट जाकर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और कलेक्टर के नाम पर एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में मुख्य रूप से लैंड पुलिंग एक्ट को तत्काल वापस लेने की मांग की गई थी।

इस विशाल ट्रैक्टर रैली में भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र, अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख राघवेन्द्र सिंह पटेल, प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना, प्रांत अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण पटेल और प्रांत महामंत्री रमेश दांगी समेत राज्यभर से आए किसान शामिल थे।

किसानों ने लगाए गंभीर आरोप

किसान संघ के अखिल भारतीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने इस मौके पर कहा कि सरकार किसानों के हितों की रक्षा नहीं कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार किसानों से उनकी जमीनें छीनने के लिए लैंड पुलिंग एक्ट का दुरुपयोग कर रही है और उन्हें डरा-धमका रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों से संवाद करके इस मुद्दे का समाधान निकालना चाहिए।

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किसानों की मांग: लैंड पुलिंग एक्ट वापस लो

किसानों का मुख्य नारा था, “जान ले लो, लेकिन जमीन नहीं देंगे।” ट्रैक्टर रैली में शामिल किसानों ने साफ तौर पर अपनी मांग रखी कि लैंड पुलिंग एक्ट को वापस लिया जाए और सरकार किसानों की भूमि को जबरदस्ती न छिने। किसान अपनी जमीनों को अपनी मां मानते हैं और उसे बचाने के लिए अपनी जान तक देने को तैयार हैं।

सिंहस्थ को लेकर कही ये बात

किसानों ने यह भी स्पष्ट किया कि वे सैकड़ों सालों से  उज्जैन सिंहस्थ  में सहयोग करते आ रहे हैं, लेकिन अब सरकार उनकी जमीनें अधिग्रहित कर स्थायी निर्माण करने पर अड़ी है। किसानों ने मांग की कि सिंहस्थ के आयोजन के बाद उनकी भूमि उन्हें वापस कर दी जाए, लेकिन सरकार इस पर सहमत नहीं है।

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क्या है लैंड पूलिंग स्कीम और उज्जैन में विरोध क्यों?

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लैंड पूलिंग स्कीम एक योजना है जिसका उद्देश्य भूमि के समुचित उपयोग और विकास को बढ़ावा देना है। इस योजना के तहत किसानों और भूमि मालिकों को अपनी भूमि का एक हिस्सा विकास कार्यों के लिए देने का प्रस्ताव किया जाता है।

50 प्रतिशत भूमि किसान या भू-स्वामी के पास रहेगी: इस योजना के तहत किसान या भूमि मालिक की आधी भूमि उनके पास ही रहेगी। वे इसका उपयोग जारी रख सकते हैं या इसे खेती के लिए रख सकते हैं।

25 प्रतिशत भूमि में निर्माण कार्य होगा: इसमें 25 प्रतिशत भूमि पर सड़कें, सेंटर लाइटिंग, स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम, सीवर लाइन, पानी की लाइन और अंडरग्राउंड विद्युत लाइनों का निर्माण किया जाएगा। यह सभी सुविधाएं बुनियादी ढांचे के निर्माण का हिस्सा हैं, जो क्षेत्र की प्रगति के लिए जरूरी होती हैं।

5 प्रतिशत भूमि पर पार्क बनेगा: योजना के तहत 5 प्रतिशत भूमि पर सार्वजनिक पार्क विकसित किए जाएंगे। इन पार्कों में झूले, स्लाइड्स, वॉकिंग पाथवे, ओपन जिम, लॉन और प्लांटेशन जैसी सुविधाएं उपलब्ध होंगी, जो लोगों के लिए आरामदायक और स्वास्थ्यवर्धक माहौल प्रदान करेंगी।

5 प्रतिशत भूमि पर जन सुविधा केंद्र बनेगा: इस भूमि पर पार्किंग, जनसुविधा केंद्र, अस्पताल, स्कूल और विद्युत सब-स्टेशन का निर्माण होगा। इससे नागरिकों को बुनियादी सेवाएं मिलेंगी और क्षेत्र का समग्र विकास होगा।

15 प्रतिशत भूमि पर सिंहस्थ से जुड़े कार्य होंगे: इस भूमि पर सिंहस्थ मेला और उससे जुड़े अन्य धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यों के लिए विकास कार्य किए जाएंगे। यह भूमि सिंहस्थ महापर्व के आयोजन के लिए महत्वपूर्ण होगी, जिसमें बड़े पैमाने पर श्रद्धालु और पर्यटक भाग लेते हैं।

ये है किसानों की मांग

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किसानों ने अपनी मांगें रखी हैं, जिनमें प्रमुख रूप से उज्जैन सिंहस्थ क्षेत्र से लैंड पूलिंग को पूरी तरह समाप्त करने की मांग की गई है। इसके अलावा गरोठ रोड पर दोनों ओर सर्विस रोड बनाने, सेवरखेड़ी और सिलारखेड़ी के किसानों की गाइडलाइन को बढ़ाने की भी मांग की गई है। यह किसान रैली कई मायनों में खास मानी जा रही है।

सोयाबीन फसल के उचित मूल्य को लेकर किसानों ने कहा कि पिछले तीन वर्षों से मंडियों में MSP से कम में खरीदी हो रही है, और इस बार MSP 5328 रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए, जिसमें 672 रुपये बोनस जोड़कर कुल 6000 रुपये प्रति क्विंटल पर सरकारी खरीदी की जाए।

नर्मदा पाइपलाइन से वंचित क्षेत्रों में पाइपलाइन बिछाने और अन्य नदियों से सूखाग्रस्त क्षेत्रों में सिंचाई व्यवस्था बढ़ाने की मांग भी की गई है। किसानों ने मुख्यमंत्री ट्रांसफार्मर अनुदान योजना को फिर से शुरू करने की अपील की है। साथ ही, राजस्व रिकॉर्ड सुधार पखवाड़े में पटवारी के गांव में बैठने के दिन तय करने की मांग की गई है, ताकि उन भूमि नक्शों में सुधार किया जा सके, जिनमें बंदोबस्त के बाद परिवर्तन हुआ था।

आवारा पशुओं जैसे रोजड़ा, सुअर, बंदर, हिरण आदि से किसानों की फसल बर्बाद हो रही है, और इस संबंध में कई बार प्रशासन को अवगत कराया गया है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इस पर सख्त योजना बनाई जाए। आगामी फसल के लिए खाद की उपलब्धता बढ़ाने की भी मांग की गई है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा में सैटेलाइट सर्वे की बजाय क्रॉस कटिंग के आधार पर ही बीमा क्लेम किया जाए और पीला मोजक से खराब हुए सोयाबीन का मुआवजा दिया जाए।

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लैंड पूलिंग कानून को समाप्त करने की मांग

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किसानों ने मध्य प्रदेश में लैंड पूलिंग कानून को समाप्त करने की भी मांग की है। इसके साथ ही किसी भी योजना में अधिग्रहित जमीन का मुआवजा 2012 की गाइडलाइन में प्रतिवर्ष 20% बढ़ाकर चार गुना देने की मांग की गई है, अन्यथा उग्र आंदोलन की चेतावनी दी गई है। विकास के नाम पर करोड़ों रुपये की बाजार भाव की जमीनें 4-6 लाख रुपये प्रति बीघा में न छीनी जाएं, और विक्रम नॉलेज सीटी योजना में चार गुना मुआवजा दिया जाए।

किसानों ने जावरा-उज्जैन रोड के कम ऊंचाई वाले नार्मल फोरलेन बनाने और दोनों साइड सर्विस रोड देने की भी मांग की है, जैसा देवास-बड़नगर रोड पर किया गया है। इसके अलावा, इंदौर-उज्जैन ग्रीन फील्ड की ऊंचाई कम रखने और बड़ी-बड़ी रोटरी के नाम पर अनावश्यक जमीनें न छीनी जाने की मांग भी की गई है।

सीएम ने कहा- बातचीत से निकलेगा रास्ता

लैंड पूलिंग एक्ट के विरोध में किसानों के जबलपुर में हुए प्रदर्शन के बाद सीएम मोहन यादव का भी बड़ा बयान सामने आया। उन्होंने इस संबंध में किसानों से बातचीत का संकेत दिया। सीएम मोहन यादव ने एक्ट में बदलाव के संबंध में स्पष्ट किया विकास के लिए काम करेंगे लेकिन किसानों से भी चर्चा करेंगे। सीएम ने कहा कि लैंड पूलिंग हो या सभी प्रकार के विकास के काम हो, हम सबसे संवाद करते हुए सबके हित की बात सोच कर चलने की भावना से काम करते हैं।

सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि राज्य सरकार धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कुंभ में सुरक्षा व्यवस्था, बेहतर प्रबंधन के साथ स्थायी संरचना के काम कर रही है। सभी किसानों को साथ लेकर सरकार चल रही है। उन्होंने दोहराया कि हमारा मकसद सबसे संवाद करके काम करने का है। सीएम मोहन यादव ने विकास के रास्ते पर साथ चलने और इसका क्रम बनाए रखने की अपील की।

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जबलपुर में भी किसानों का विरोध प्रदर्शन

बता दें कि, 15 सितंबर को जबलपुर जिले के संस्कारधानी की सड़कों पर लैंड पूलिंग एक्ट के खिलाफ और मूंग उड़द के भुगतान को लेकर बड़ा किसान आंदोलन देखने मिला। सैकड़ों की संख्या में दूरदराज गांवों के किसानों ने भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में ट्रैक्टर रैली निकाली। यहां सैकड़ों ट्रैक्टरों की संख्या के साथ किसान जिला कलेक्टर कार्यालय घंटाघर पहुंचकर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री व कलेक्टर के नाम अपनी समस्याओं के मांग पत्र सौंपे।

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