/sootr/media/media_files/2025/09/15/ujjain-singhsth-land-pooling-dispute-2025-09-15-21-54-25.jpg)
Photograph: (The Sootr)
BHOPAL. उज्जैन सिंहस्थ 2028 की तैयारियों के मद्देनजर लैंड पूलिंग का मामला गर्माता देखकर अब राज्य सरकार बीच का रास्ता निकालने में जुट गई है। भारतीय किसान संघ उज्जैन सिंहस्थ के लिए किसानों की जमीन अधिग्रहण का विरोध कर रही है। मामला दिल्ली तक पहुंच गया था। इसे लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष के साथ सीएम डॉ. मोहन यादव की मीटिंग भी हो चुकी है। भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष भी भोपाल आकर किसान संघ के प्रतिनिधियों से बात कर चुके हैं।
सोमवार को प्रदेश भर में भारतीय किसान संघ के विरोध प्रदर्शन के बीच सीएम डॉ. मोहन यादव ने बयान दिया है कि किसी भी किसान की जमीन लैंड पूलिंग एक्ट के जरिए जबरदस्ती नहीं ली जाएगी। वहीं, उन्होंने मामले में बैठकर बातचीत के जरिए हल निकालने की बात भी कही है।
बता दें कि उज्जैन सिंहस्थ के लिए सड़क बनाने के लिए किसान अपनी जमीन देने के लिए पहले तैयार थे, लेकिन लैंड पूलिंग एक्ट आने के बाद वे इसके विरोध में आ गए हैं। इन किसानों के समर्थन में भारतीय किसान संघ भी आ चुका है। किसान संघ लगातार लैंड पूलिंग एक्ट को वापस लेने के लिए सरकार पर दबाव बना रहा है।
बता दें कि प्रदेश सरकार उज्जैन में करीब 2,376 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण कर रही है, जिसमें किसानों की भूमि भी शामिल है। किसान स्थायी निर्माण का विरोध कर रहे हैं। भारतीय किसान संघ ने आरोप लगाया है कि सरकार स्थायी निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण कर रही है, जिससे किसानों को नुकसान होगा।
ये भी पढ़ें... ज्वैल ऑफ इंडिया : जानिए उन सत्ताधीशों-अफसरों के नाम, जिन्होंने 4500 करोड़ की जमीन दे दी कौड़ियों के दाम
दिल्ली में सीएम डॉ.मोहन यादव और मुख्य सचिव अनुराग जैन की मौजूदगी में हुई बैठक में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सवाल किया था कि स्थायी निर्माण क्यों जरूरी है। इस बैठक में बैठक में शाह ने कहा कि उज्जैन सिंहस्थ के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या के हिसाब से हर स्तर पर प्लानिंग की जाए। उन्होंने नासिक और हरिद्वार जैसे शहरों का तुलनात्मक अध्ययन करने की सलाह दी थी।
इसके बाद अब मामले में सभी पक्षों के प्रतिनिधियों की बैठक कर बातचीत के जरिए बीच का रास्ता निकालने की कवायद की जा रही है। सूत्रों की मानें तो जल्द ही मामले का हल निकाल लिया जाएगा।
ये भी पढ़ें... भारतीय किसान संघ की मध्यप्रदेश सरकार को चेतावनी, जमीन का एक इंच भी छीना तो बर्दाश्त नहीं करेंगे
लैंड पुलिंग के खिलाफ क्यों हैं किसान ?
लैंड पुलिंग का मध्यप्रदेश में किसान संगठनों द्वारा विरोध किया जा रहा है। किसानों का कहना है कि लैंड पूलिंग के तहत सरकार उनकी जमीन स्थायी रूप से अधिग्रहित कर रही है जिससे उनकी आजीविका पर संकट आ जाएगा। वह चाहते हैं कि बिना उनकी सहमति के जमीन न ली जाए और उन्हें पूरा, पारदर्शी मुआवजा व पुनर्वास मिले। सिंहस्थ 2028 जैसी परियोजनाओं के लिए उज्जैन और आसपास के 17 गांवों की 4 हजार हेक्टेयर जमीनों का स्थायी अधिग्रहण किया जा रहा है। इससे किसान अपनी आजीविका व पारंपरिक नाता खोने का डर महसूस करते हैं। साथ ही विपक्ष और किसान संगठनों का आरोप है कि यह नीति कंपनियों और भू-माफियाओं को फायदा पहुंचा सकती है। मेला क्षेत्र की सांस्कृतिक व धार्मिक पहचान खतरे में पड़ सकती है और किसान पुनर्वास व भविष्य से अनिश्चितता के शिकार हो सकते हैं।
ये भी पढ़ें... पीएम मित्रा पार्क: 91 कंपनियों को दिया गया 1300 एकड़ जमीन, 72 हजार से अधिक रोजगार के अवसर
जानिए क्या है लैंड पूलिंग का मामला?
हाल ही में मध्यप्रदेश शासन ने लैंड पूलिंग स्कीम लागू किया है, जिसमें किसानों की जमीन को अधिग्रहण कर उस पर विकास कार्य करने का वादा है। वहीं, जमीन अधिग्रहण के बाद इसमें विकसित कर 50 प्रतिशत जमीन भू स्वामी को मिलेगी। उज्जैन में सिंहस्थ 2028 होने वाला है, लगभग 17 गांवों के किसानों की जमीन सिंहस्थ क्षेत्र में है। शासन की योजना है कि जमीन अधिग्रहण कर सिंहस्थ मेला क्षेत्र में आने वाले श्रद्धलुओं कि सुविधा के लिए सड़क, बिजली, पानी, साधु संतों के आश्रम और पक्के निर्माण किए जाएं।
ये भी पढ़ें... 40 लाख गायों को सड़कों से हटाने का मिशन, मोहन सरकार गोशाला के लिए देगी 125 एकड़ जमीन