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Photograph: (the sootr)
BHOPAL. जिस बड़े तालाब ने भोपाल को देश-दुनिया में अलग पहचान दी है उसका अस्तित्व लगातार सिमट रहा है। न केवल कारोबारी, आमजन बल्कि सरकारी एजेंसियां भी इसमें शामिल हैं। भोज वेटलैंड प्रोजेक्ट की एक गोपनीय रिपोर्ट ने एक बार फिर बड़े तालाब पर मंडरा रहे खतरे पर सरकार को आगाह किया है। इस रिपोर्ट में न केवल तालाब के अस्तित्व को खतरे में डालने वाले गतिविधियों का जिक्र है बल्कि सरकारी-गैर सरकारी लोगों और व्यावसायिक संस्थाओं के नाम भी उजागर किए गए हैं। सबसे बड़ा अतिक्रमणकारी भोपाल नगर निगम बना है जिसके हाथ में बड़े तालाब को सहेजने की जिम्मेदारी है। वहीं होटल व्यवसाय से जुड़ी नामचीन कंपनियां भी तालाब पर कब्जे की होड़ में पीछे नहीं रही हैं।
तालाब को अपने संरक्षक से बड़ा खतरा
द सूत्र ने भी भोज वेटलैंड प्रोजेक्ट के अधिकारियों की इस अधिकृत रिपोर्ट की पड़ताल की है। इस रिपोर्ट में सरकार की अपनी ही संस्थाएं, पर्यटन विकास निगम, भोपाल नगर निगम कॉर्पोरेशन को भी कब्जेदार बताया गया है। वहीं कई नामचीन होटल, ढाबे और कारोबारों को भी चिन्हित किया है जो बड़े तालाब के दायरे में अतिक्रमणकारी है। भोपाल नगर निगम जो कानूनी रूप से तालाब का संरक्षक है उसने सबसे ज्यादा कब्जा किया है। अब जब बागड़ ही फसल को खाने लग जाए तो उसे बचाने की उम्मीद किससे की जाए। नगर निगम ने दर्जनों सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, पम्प हाउस, कच्ची_पक्की सड़कें तालाब के फुट टैंक लेवल और कैचमेंट एरिया में बना डाली हैं। बिशनखेड़ी, ईटखेड़ी, कोटरा सुल्तानाबाद, माहोली-दामखेड़ा, वीआईपी रोड स्थित गरम गड्डा, बड़वई, गोरा, गोंदरमऊ, बिलखेड़ा, खानूगांव और बेहटा में दर्जन भर से ज्यादा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, पम्प हाउस और सड़कें आपको नजर आ जाएंगी जो तालाब के दायरे में हैं। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से गंदा पानी रिसकर सीधे तालाब में मिलकर इसे दूषित कर रहा है।
पर्यटन विकास निगम भी बना कब्जेदार
सरकार की एक और एजेंसी पर्यटन विकास निगम ने भी सैर सपाटा के नाम पर भदभदा क्षेत्र में तालाब की पाल पर ही कब्जा कर रखा है। यहां पक्के निर्माण किए गए हैं जबकि तालाब के दायरे में किसी भी तरह का निर्माण पूरी तरह प्रतिबंधित है। इसी तरह वन विहार रोड पर वॉटर स्पोर्ट्स के लिए बोट क्लब बना लिया है। यहां तालाब के भीतर मोटर बोट पानी को गंदा कर रहे हैं। वहीं चंद मीटर दूर सुलभ कॉम्पलेक्स का गंदा पानी भी बहकर तालाब में ही मिल रहा है। स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी साई भी तालाब पर कब्जा जमाने में पीछे नहीं रहा है। खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने वाला यह कैंपस तालाब के कैचमेंट एरिया में ही बनाया गया है।
कब्जे की हिस्सेदारी में सब साथ-साथ
ये तो बात हुई सरकार की एजेंसियों के कब्जे की जो तालाब को तिल_तिल मारने में जुटी हैं। वेटलैंड प्रोजेक्ट के तहत साल 2021 में अधिकारियों ने बड़े तालाब के कब्जों को चिन्हित कर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की थी। द सूत्र के पास मौजूद इस रिपोर्ट में ऐसे प्रतिष्ठानों का उल्लेख है जिन पर सीधे कार्रवाई करने में सरकार भी हाथ आगे बढ़ाने से हिचकिचा रही है। इसी वजह से अब तक इस रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं की गई है। भोज वेटलैंड की गोपनीय रिपोर्ट के अनुसार बड़े तालाब के फुल टैंक लेवल, कैचमेंट यानी ग्रीन बेल्ट में दर्जनों निर्माण किए गए हैं। इसमें सरकार और विभागों का प्रत्यक्ष या परोक्ष सहयोग भी रहा, क्योंकि इसके बिना इतना विशाल निर्माण होना संभव ही नहीं है। न तो तालाब के कैचमेंट एरिया में निर्माण की पाबंदी वाली गाइडलाइन को ध्यान में रखा गया न नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की नाराजगी की परवाह की गई। धड़ाधड़ अनुमतियों जारी कर दी गई और देखते-देखते ये प्रतिष्ठान तालाब की छाती पर तनकर खड़े हो गए।
सरकार बेसुध तो आगे आए जागरुक लोग
पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सक्रिय एक्टिविस्ट सुभाष सी. पांडे का कहना है जिम्मेदार संस्थाएं भी तालाब के अस्तित्व को खतरा बनी हुई है। जिनके पास तालाब को बचाने का दायित्व है वे ही ध्यान नहीं दे रहे और अतिक्रमण में शामिल हैं तो कार्रवाई की उम्मीद किससे की जा सकती है। भोपाल की सुंदरता और यहां के पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने में बड़े तालाब की अहम भूमिका है। जिम्मेदार इसे नजरअंदाज कर रहे हैं, लेकिन इसके घातक परिणाम भविष्य में सामने आएंगे। बड़े तालाब से अब भी लाखों लोग पानी का उपयोग करते हैं यदि इसका अस्तित्व खतरे में पड़ा तो राजधानी भोपाल भी संकट में पड़ जाएगी। यदि सरकार और जिम्मेदार बड़े तालाब के महत्व को नहीं समझ रहे हैं तो इसे बचाने, सहेजने के लिए जागरुक लोगों को आना होगा।
भोज वेटलैंड प्रोजेक्ट की रिपोर्ट के खुलासे
तालाब की पाल पर खड़े होटल- रेस्टोरेंट
-होटल रंजीत लेकव्यू तालाब से केवल 50 फीट दूर स्थित है
-हैदराबादी महफिल रेस्टोरेंट तालाब के पानी से 50 फीट दूर निर्माण
-सुलभ कॉम्पलेक्स तालाब से केवल 70 फीट दूर स्थित है
-केएन गुड व्यू रेस्टोरेंट तालाब की सीमा में स्थित
-लहर जिम तालाब के जलस्तर से 70 फीट दूर
-एमपी रेस्टोरेंट तालाब के जलस्तर से 50 फीट दूर
-चाय सुट्टाबार तालाब से 50 फीट दूर
-जॉक रेस्टोरेंट जलस्तर से केवल 50 फीट दूर
-भोपाल म्युजिकल फाउंटेन नगर निगम ने तालाब किनारे ही स्थापित किया है
-चाय-चाट स्टॉल तालाब किनारे खान_पान के स्टॉल
लालघाटी_सीहोर रोड किनारे तालाब पर कब्जे
-चिरायु अस्पताल बड़े तालाब के कैचमेंट एरिया में ही अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज
का निर्माण कर संचालन किया जा रहा है
-सीवेज पम्प हाउस फुलटैंक लेवल के अंदर तालाब के दायरे में ही किया गया निर्माण
-मैरिज गार्डन एवं शादी हॉल लाल घाटी क्षेत्र में तालाब के जलभराव क्षेत्र के नजदीक
-यश ढाबा भैंसाखेड़ी के पास मुनार से सटकर निर्माण
भदभदा_रातीबढ़ रोड पर तालाब परअतिक्रमण
-होटल ताज लेक फ्रंट तालाब के भराव क्षेत्र में पानी से केवल 100 फीट दूर
-होटल सयाजी फुलटैंक लेवल में पानी से केवल 80 फीट दूर स्थित
-जहांनुमा ट्रीट एंड स्पा तालाब के फुलटैंक लेवल एरिया में पानी से 100 फीट दूर
तालाब के दायरे में सरकारी एजेंसियों के कब्जे
-सैर सपाटा मप्र टूरिज्म बोर्ड द्वारा तालाब की सीमा में ही किया निर्माण
-गोरा_बिशनखेड़ी सड़क स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा जलभराव क्षेत्र में किया निर्माण
-बोट क्लब वॉटर स्पोर्ट्स के नाम पर मप्र टूरिज्म बोर्ड का कब्जा
-बिसनखेड़ी और ईटखेड़ी क्षेत्र सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और पंप हाउस
-कोटरा सुल्तानाबाद क्षेत्र अमृत प्रोजेक्ट के तहत नगर निगम ने सीवेज पम्प हाउस की क्षमता बढ़ाई
-माहोली_दामखेड़ा अमृत प्रोजेक्ट के तहत सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता में वृद्धि
-वीआईपी रोड गरम गड्ढा के पास पुराने पम्प हाउस की क्षमता बढ़ाकर नया सीवेज ट्रीटमेंट लगाया
-शहरी आबादी तालाब पर 10 फीसदी तक अतिक्रमण बढ़ा है।
-बेहटा, खानूगांव, गोरा भोज वेटलैंड प्रोजेक्ट के तहत फुल टैंक लेवल को चिन्हित करने वाली मुनारें तोड़ीं
-बड़वई एवं गोंदरमऊ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थित हैं।
-खानूगांव, गोरा और बिलखेड़ा पहले सड़क नहीं थी अब फुल टैंक लेवल में किया कच्ची और पक्की सड़क का निर्माण
-सीहोर नाका, बेहटा, गोरा गांव सड़क किनारे तालाब में सिंघाड़े की खेती
-खानू गांव सीवेज चेंबरों से रिसकर गंदा पानी मिल रहा तालाब में
-बोट क्लब सेना के जवानों की वॉटर स्पोर्ट्स गतिविधियां
-खानू गांव तालाब से 60 फीट की दूरी पर बेजा निर्माण जारी
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