मध्य प्रदेश के धार स्थित भोजशाला का भारतीय पुरातत्व विभाग ( ASI - Archeological Survey of India ) ने सर्वे कर लिया है। इसकी रिपोर्ट आज मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ को सौंप भी दी गई है। सूत्रों के अनुसार भोजशाला की खोज में 10वीं सदी के सिक्के और खंभों में भगवान की आकृतियां मिली हैं।
10वीं सदी के सिक्के मिले
भोजशाला के ASI सर्वे में सदियों पुराने सिक्के मिले हैं। ये सिक्के 10वीं सदी से लेकर 18वीं सदी के हैं। 10वीं से 11वीं सदी के सिक्के इंडो-ससैनियन है। 13वीं और 14वीं सदी में दिल्ली सुल्तान, 15वीं और 16वीं में मालवा सुल्तान, मुगल सिक्के पाए गए थे।
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देवी-देवताओं की आकृतियां
भोजशाला ASI सर्वे में देवी-देवताओं की अच्छी या खंडित करीब 94 मूर्तियां मिली है। यह आकृतियां विभिन्न तरह के पत्थरों पर बनी हुई हैं। इस सर्वे में पाई गई मूर्तियां भगवान गणेश, ब्रम्हा, नरसिंह, भैरव और अन्य देवी-जेलचा शामिल हैं। इसके अलावा पशुओं में शेर, हाथी, कुत्ता, सांप आदि जानवर भी पाल रखे हैं।
हाईकोर्ट ने दिए थे सर्वे के आदेश
भोजशाला के ASI सर्वे के आदेश मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने ही दिए थे। 22 मार्च से शुरू हुआ यह सर्वेक्षण 98 दिन चला। इस सर्वे में भोजशाला की दीवारों, पिल्लरों और जमीन के नीचे खुदाई करके खोज की गई है। पूरे सर्वे की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी हुई है।
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क्या है भोजशाला विवाद ?
भोजशाला ( Bhojshala ) जमीन को लेकर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच एक विवाद है। इसमें हिंदू पक्ष का कहना है कि भोजशाला परमार राजवंश के राजा भोज के जमाने से स्थापित है। 1305 में अलाउद्दीन खिलजी ने इसे नष्ट कर दिया था हिंदू पक्ष का कहना है कि यह जमीन राजा भोज के परमार राजवंश ने मुस्लिम समुदाय को नमाज पढ़ने की लिए दिए थी। 1875 में यहां की खुदाई में मां सरस्वती की मूर्ति निकली थी।
दूसरी तरफ मुसलमान समाज की ओर से यह तर्क दिया जाता है कि सालों से वे इस मस्जिद में नमाज अदा करते हैं। इसलिए भोजशाला में उनका अधिकार है। ऐसे में हाईकोर्ट ने भोजशाला के ASI सर्वे के लिए आदेश दिए। इस सर्वे की रिपोर्ट के बाद अब इस बात का फैसला लिया जाएगा कि भोजशाला में नमाज अदा की जाएगी या पूजा होगी।
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ASI क्या है ?
भारतीय पुरातत्व विभाग (Archaeological Survey of India, ASI) भारत सरकार का एक महत्वपूर्ण संगठन है जो भारतीय पुरातत्व संरक्षण और अनुसंधान के लिए जिम्मेदार है। इसका मुख्य कार्यक्षेत्र भारतीय पुरातत्विक स्थलों का संरक्षण, अध्ययन, उनके प्रबंधन और संवर्धन का है।
ASI की स्थापना 1861 में हुई थी और यह भारतीय पुरातत्व स्मारकों, विश्वविख्यात स्थलों जैसे ताजमहल, कोणार्क सूर्य मंदिर, और खजुराहो के मंदिरों का संरक्षण करता है। ASI इतिहास, संस्कृति और भारतीय विरासत के प्रति जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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