एबीवीपी के विरोध के बाद अब मंत्रियों के बंगले बनाने के नाम पर नहीं कटेंगे 29 हजार पेड़

भोपाल में 29 हजार से ज्यादा पेड़ों को काटकर 5 और 6 नंबर स्टॉप पर विधायकों और मंत्रियों के लिए आवास बनाए जाने के प्रोजेक्ट को सरकार ने निरस्त कर दिया है।

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Ravi Singh
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 ABVP Sandeep Vaishnav
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भोपाल, अंतत : राजधानी के 29 हजार पेड़ों पर आरी चलने से रुक गई है। 5 और 6 नंबर स्टॉप पर मंत्रियों के लिए नए बंगले बनाने के नाम पर पेड़ काटने के निर्णय को सरकार ने वापस ले लिया है। सरकार के निर्णय बदलने की वजह संघ के ही अनुषांगिक संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का विरोध बना है।

एबीवीपी ( ABVP ) ने रविवार 16 जून को पेड़ काटने का विरोध करते हुए पूर्व सीएम के स्वागत जुलूस को रोक दिया था। तब शिवराज ने भी पेड़ बचाने में उनका साथ देने का भरोसा दिलाया था। माना जा रहा है अपने ही विद्यार्थी संगठन और केंद्रीय मंत्री के विरोध को देखते हुए सरकार ने अपने कदम पीछे खींच लिए हैं।

सरकार की ओर से नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इसकी घोषणा भी कर दी है। यानी की अब राजधानी ही हरियाली कुल्हाड़ी की धार सहने से बच जाएगी। उधर पेड़ काटने के निर्णय वापस लेने की खबर लगने के बाद राजधानी के पर्यावरणप्रेमी और सामाजिक संगठनों में भी खुशी की लहर है।

राजनीतिक छाप से अलग सोशल इमेज गढ़ रही एबीवीपी

एबीवीपी भी बीजेपी की तरह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का अनुषांगिक संगठन है। विद्यार्थियों से जुड़े मसलों को लेकर यह संगठन आंदोलन चलाता है। परिषद ने सामाजिक सरोकार और पर्यावरण को बचाने की गतिविधियों में भी अपनी भूमिका का विस्तार किया है। परिषद अब राजनीतिक संगठन की छात्र इकाई की छवि से बाहर निकल रही है।

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संगठन ने छात्र मुद्दों के साथ जल, जंगल, जमीन, जन और जानवर जैसे प्रकृति और समाज कल्याण के मामलों को लेकर भी अभियान शुरू कर दिए हैं। इसके लिए संगठन ने अलग - अलग इकाइयां भी बनाई हैं। कैसे एबीवीपी अपनी छवि को प्रकृति और समाज कल्याण से जोड़ रही है। इसको लेकर द सूत्र ने परिषद के प्रांत मंत्री संदीप वैष्णव से बात की। वैष्णव ने भी राजधानी के हजारों पेड़ों के संरक्षण में खड़े होने से लेकर जनकल्याण के कार्यों में परिषद की भूमिका का उजागर किया।

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जानिए एबीवीपी प्रांत मंत्री संदीप वैष्णव ने क्या कहा 

द सूत्र : कैसे एबीवीपी ने मंत्रियों के बंगलों के लिए हजारों पेड़ काटे जाने का विरोध शुरू किया।

प्रांत मंत्री : परिषद छात्र हित के साथ ही समाज और राष्ट्रहित के लिए काम कर रही है। छात्र हित से जुड़े मुद्दों और समाज के प्रति सकारात्मक सोच के साथ छात्र कैसे आगे बढ़े, जल, जंगल, जन, जमीन और जानवर जैसे पर्यावरणीय क्षेत्र में रुचि रखने वाले युवा भी परिषद से जुड़े हैं। राजधानी में हजारों पेड़ काटने जैसा मामला संज्ञान में आया तो हमने मानव श्रृंखला बनाकर सांकेतिक धरना प्रदर्शन किया था।

द सूत्र : पर्यावरण को बचाने और जनकल्याण के लिए कैसे अभियान चला रहे हैं।

प्रांत मंत्री : परिषद पर्यावरण संरक्षण के लिए घाटों की सफाई, जल संरक्षण, वॉटर हार्वेस्टिंग जैसे काम छात्र विद्यार्थी परिषद के माध्यम से कर रहे हैं। समाज के लिए कैसे अच्छा काम कर सकते हैं इसके परिषद के कार्यकर्ता अन्य छात्रों  को देकर सहभागिता कर रहे हैं।

द सूत्र : पर्यावरण संरक्षण के लिए परिषद कैसे अपनी ही सरकार के विरोध में खड़ी हुई।

प्रांत मंत्री: परिषद हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करती  है। समाज में जो विषय चल रहे हैं यदि उनको लेकर सरकार को भी आईना दिखाने की जरूरत होती है तो हम करते हैं। हाल ही में आरजीपीवी में चल रहे भ्रष्टाचार के मुद्दे को उठाकर कुलपति को जेल भेजने का काम भी परिषद ने किया है। परिषद सत्ता के लिए नहीं समाज परिवर्तन के लिए काम कर रही है और सतत करती रहेगी।

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द सूत्र : राजनीतिक दल से जुड़े संगठन केवल धरना प्रदर्शन जैसी गतिविधियों को बढ़ाते हैं, एबीवीपी कैसे अलग है।

प्रांत मंत्री : परिषद स्थापना के बाद से ही अलग-अलग क्षेत्रों में काम करती आ रही है। एक अच्छा कलाकार कैसे समाज में आगे बढ़े इसके लिए राष्ट्रीय कला मंच के माध्यम से सहयोग करते हैं। खेलो भारत के माध्यम से खिलाड़ियों को जोड़ते हैं। समाज सेवा और पर्यावरण संरक्षण के लिए एसएफडी यानी स्टूडेंट फॉर डेवलपमेंट के जरिए काम करते हैं।

द सूत्र : पर्यावरण को क्षति पहुंचाने वाले दूसरे प्रोजेक्ट का भी विरोध करेंगे।

प्रांत मंत्री : ऐसे प्रोजेक्ट संज्ञान में आने पर परिषद आवाज उठाकर सरकार को आईना दिखाने का काम करती है। कई ऐसे प्रोजेक्ट पर एबीवीपी ने मूवमेंट आगे बढ़ाए हैं।

द सूत्र : पेड़ काटने के मामले में सरकार तक बात पहुंचाने का प्रयास किया था क्या।

प्रांत मंत्री : हमने मानव श्रृंखला के माध्यम से विरोध दर्ज कराया था। प्रशासनिक अधिकारियों के जरिए भी अपनी बात पहुंचाई है और आगे भी प्रयासरत रहेंगे।

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