भोपाल एम्स में 3 साल की बच्ची को मिली नई जिंदगी, जटिल सर्जरी कर हटाया परजीवी जुड़वां

भोपाल एम्स के डॉक्टरों ने 3 साल की बच्ची की जटिल सर्जरी सफलतापूर्वक की है, जिसमें उसके सिर और गर्दन से जुड़ा परजीवी जुड़वां निकाला गया। एम्स के विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम की इस उपलब्धि ने ने बच्ची को नया जीवन दिया है।

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Vikram Jain
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सांकेतिक फोटो

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AIIMS Bhopal: भोपाल एम्स में 3 साल की मासूम को नया जीवन मिला है। भोपाल के एम्स अस्पताल में 3 साल की बच्ची की जटिल सर्जरी ने डॉक्टरों की क्षमताओं को फिर से साबित किया है। मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले की रहने वाली इस बच्ची के सिर और गर्दन से जुड़ा परजीवी जुड़वां (Parasitic Twin), जो उसके दिमाग के संवेदनशील हिस्से से जुड़ा हुआ था, एम्स के विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने सफलतापूर्वक हटा दिया। इस सर्जरी ने बच्ची को नया जीवन दिया है।

परजीवी जुड़वां का सफल ऑपरेशन

मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले की 3 साल की बच्ची को जन्म के समय ही गर्दन के पिछले हिस्से में एक मांसल उभार था। हाल ही में उसे भोपाल एम्स में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उसकी स्थिति का मूल्यांकन किया। जांच के बाद पता चला कि बच्ची के सिर और रीढ़ की हड्डी से जुड़ा हुआ एक अधूरा शरीर था, जिसमें पैर और श्रोणि हड्डियां जुड़ी हुई थीं, और यह दिमाग के अत्यधिक संवेदनशील हिस्से ब्रेन स्टेम से जुड़ा हुआ था।

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न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने की सर्जरी

भोपाल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के कार्यकारी निदेशक प्रो. डॉक्टर अजय सिंह के मार्गदर्शन में यह सर्जरी की गई। इस जटिल स्थिति को देखते हुए एम्स भोपाल के न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने रेडियोलॉजी, बाल शल्य चिकित्सा और प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉक्टरों के साथ मिलकर सर्जरी की योजना बनाई। डॉक्टरों की टीम में डॉ. सुमित राज, डॉ. जितेंद्र शाक्य, डॉ. अभिषेक और अन्य विशेषज्ञ शामिल थे। 3 अप्रैल 2025 को यह सर्जरी सफलतापूर्वक पूरी की गई।

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परजीवी जुड़वां क्या होता है?

परजीवी जुड़वां यानी Parasitic Twin एक दुर्लभ स्थिति है, जिसमें एक भ्रूण पूरी तरह विकसित नहीं हो पाता और दूसरा भ्रूण उसके साथ जुड़कर उस पर निर्भर हो जाता है। इस मामले में बच्ची के सिर और रीढ़ की हड्डी से जुड़ा एक अधूरा शरीर था, जिसमें पैर और श्रोणि हड्डियां शामिल थीं। यह शरीर ब्रेन स्टेम से जुड़ा हुआ था, जो दिमाग का सबसे संवेदनशील हिस्सा होता है।

सर्जरी के दौरान डॉक्टरों का महत्वपूर्ण योगदान

इस सर्जरी के दौरान डॉक्टरों ने इंट्रा-ऑप न्यूरो मॉनिटरिंग का उपयोग किया, जिससे तंत्रिका तंत्र की गतिविधियों पर निगरानी रखी गई। एनेस्थीसिया टीम के डॉ. सुनैना और डॉ. रिया ने पूरी सर्जरी के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉक्टरों ने अत्यधिक सटीकता और कौशल का परिचय दिया, जिससे बच्ची को नया जीवन मिला। डॉ. सुमित राज के नेतृत्व में 3 अप्रैल 2025 को हुई इस सर्जरी को डॉ. जितेंद्र शाक्य और डॉ. अभिषेक की सहायता से सफलतापूर्वक पूरा किया गया।

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एम्स भोपाल की प्रतिबद्धता

एम्स भोपाल के कार्यकारी निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने कहा, "एम्स भोपाल मध्य भारत में विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह सर्जरी हमारी टीम के कौशल और संस्थान की उत्कृष्ट सुविधाओं का प्रमाण है।" साथ ही प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने इस उपलब्धि के लिए पूरी मेडिकल टीम को बधाई दी है।

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5 मुख्य बिंदुओं से समझें पूरा मामला 

✅ एम्स भोपाल में डॉक्टरों ने 3 साल की बच्ची की जटिल सर्जरी कर परजीवी जुड़वां को सफलतापूर्वक हटाया।

✅ बच्ची के सिर और रीढ़ से जुड़ा हुआ अधूरा शरीर ब्रेन स्टेम से जुड़ा हुआ था।

✅ एम्स की डॉक्टरों की टीम ने इंटरविभागीय समन्वय से इस सर्जरी को सफलतापूर्वक किया।

✅ परजीवी जुड़वां एक दुर्लभ स्थिति है, जिसमें भ्रूण पूरी तरह विकसित नहीं हो पाता।

✅ एम्स भोपाल की प्रतिबद्धता और डॉक्टरों के कौशल ने बच्ची को नया जीवन दिया।

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