भोपाल में अमृत सरोवर तालाब निर्माण परियोजना में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। मृत व्यक्तियों के नाम पर मजदूरी का भुगतान किया गया। आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने जांच शुरू कर दी है। कई ग्राम पंचायत अधिकारी आरोपित पाए गए हैं। जांच के बाद दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी।
इस घोटाले में ग्राम पंचायत सचिव, उपसरपंच और अन्य कई पदाधिकारी शामिल पाए गए हैं। आरोप है कि उन्होंने तालाब निर्माण के नाम पर फर्जी दस्तावेज बनाकर योजना का पैसा अपने हित में खर्च किया।
ये है पूरा मामला?
आर्थिक अपराध शाखा को शिकायत मिली थी जिसमें आरोप लगाया गया कि अमृत सरोवर तालाब निर्माण में मृत व्यक्तियों को मजदूरी के लिए दिखाया गया। ग्राम पंचायत सचिव देवीश्री यादव और उपसरपंच राजेंद्र यादव समेत कई लोगों ने इस फर्जीवाड़े में हिस्सा लिया।
मृत व्यक्तियों के नाम पर कागजात तैयार किए गए। इस फर्जी दस्तावेज़ के आधार पर मजदूरी का भुगतान किया गया। साथ ही तालाब निर्माण के लिए आवश्यक सामग्री तैयार करने के नाम पर घोटाला किया गया। साथ ही, ग्राम पंचायत के अधिकारियों ने योजना के तहत मिलने वाले अन्य लाभों को भी अपने नाम कर लिया।
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जांच में आर्थिक अपराध शाखा ने इनको आरोपी पाया
- सरपंच पुन्नू कोल (48 साल, ग्राम समर पिपरिया)
- उपसरपंच राजेंद्र यादव (39 साल, ग्राम बढ़ैयाखेडा)
- ग्राम पंचायत सचिव देवश्री यादव (ग्राम बढ़ैयाखेडा)
- ग्राम पंचायत सदस्य सुषमा यादव पति रामनाथ उर्फ रम्मू यादव (ग्राम बढ़ैयाखेडा)
- इन सभी पर मृतकों के नाम फर्जीवाड़ा कर योजनाओं का दुरुपयोग करने का आरोप है।
आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने की कार्रवाई
आर्थिक अपराध शाखा ने शिकायत मिलने के बाद तुरंत जांच शुरू कर दी। आरोपितों के खिलाफ भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और दस्तावेजों में गड़बड़ी के तहत अपराध दर्ज किए गए। मृत व्यक्तियों को मजदूरी देने की पुष्टि के बाद मामला और गंभीर हो गया है। जांच अभी जारी है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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भ्रष्टाचार रोकने के लिए सतर्कता के निर्देश
आगे की जांच में दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होगी। विभागीय अधिकारियों से भी पूछताछ की जाएगी। मध्यप्रदेश EOW ने ग्रामीण क्षेत्रों में भ्रष्टाचार रोकने के लिए सतर्कता बढ़ाने का निर्देश दिया है। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि विकास योजनाओं का लाभ सही लोगों को मिले।
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